
द्वारका/शिव कुमार यादव/- भक्तों के कल्याण के लिए भगवान हर युग में विभिन्न रूपों में प्रकट होते हैं। त्रेता युग में परम पुरुषोत्तम भगवान ने श्रीराम के रूप में अवतार लिया और संपूर्ण विश्व के लोगों में शांति का संदेश प्रसारित किया। जब-जब धर्म की हानि होती है तो भगवान अधर्मी लोगों के विनाश के लिए मानव रूप में आते हैं। भगवान राम जहाँ रावण का वध करने के लिए आए, वहीं अपने कुछ भक्तों के साथ लीला करने के लिए भी प्रकट हुए। भगवान कहते हैं कि मैं कभी-कभी मैं अपने भक्तों को आनंद देने के लिए धरती पर अवतार लेता हूँ और मुझे भी इसमें आनंद मिलता है। तो भक्तों को ऐसी ही खुशी प्रदान करने के लिए इस्कॉन द्वारका श्री श्री रुक्मिणी द्वारकाधीश मंदिर में 6 अप्रैल रविवार को प्रातः 8 बजे से बहुत धूमधाम से श्रीराम जन्म का भव्य उत्सव मनाया जा रहा है। जहाँ हज़ारों की संख्या में लोग एकत्रित होंगे।
इस अवसर पर अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जाएँगे। शुरुआत प्रातः 8 बजे राम कथा से होगी। प्रसिद्ध कथावाचक अनंत कृष्ण दास गोस्वामी महाराज राम कथा का विस्तृत वर्णन करेंगे। वैसे उनकी कथा 2 अप्रैल से 6 अप्रैल तक सुबह 8 बजे शाम साढ़े 7 बजे के दोनों सत्र में होगी। कहते हैं रामकथा जब भी जिस रूप में, जितनी बार भी कही जाती है, लोग विनीत भाव से उसके रस में डूब जाते हैं। रामकथा दुनिया की सबसे अधिक देखी-सुनी जाने वाली कथा मानी जाती है। भक्तों का एक ही लीला को बार-बार देखने-सुनने का मन करता है।6 अप्रैल को कथा के बाद प्रातः 9 बजे हरे कृष्ण कीर्तन का कार्यक्रम रहेगा। साढ़े दस बजे अनेक दिव्य द्रव्यों एवं फूलों से भगवान राम का महा अभिषेक किया जाएगा। फिर वह चरणामृत के रूप में भक्तों में वितरित किया जाएगा। दोपहर 12 बजे भगवान को 108 विशिष्ट भोग अर्पित किए जाएँगे। तत्पश्चात महाआरती की जाएगी।
पूरे मंदिर को एवं भगवान के ऑल्टर को विविध रंगों के फूलों व रंगोली से सजाया जाएगा, वहीं भगवान राम भी पीत रंग के वस्त्रों में दिखाई देंगे। भगवान के साथ-साथ इस बार उनके भक्तों का ड्रेस कोड भी पीले रंग का ही रहेगा।
भगवान राम की लीलाओं को प्रदर्शित करते अनेक सेल्फी पॉइंट भी आकर्षण का केंद्र रहेंगे। बच्चों के लिए धनुष बाण चलाने के लिए विशेष काउंटर होगा और यादगार के रूप में महिलाएँ गोपी डॉट्स के स्टॉल से गोपी बिंदियों का भी लुत्फ ले सकेंगी। बच्चों के अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होंगे, जिसमें राम भजन आदि प्रमुख रहेंगे। अंत में सभी के लिए स्वादिष्ट प्रसादम की व्यवस्था की गई है। बुराई पर अच्छाई की जीत, सच्चाई, श्रद्धा, समर्पण, साहस और देश एवं संस्कृति की आस्था के प्रतीक हैं श्रीराम और उनकी जीवनगाथा। यही वजह है कि रामायण की प्राचीन कहानी और राम की कहानी बहुत लंबे समय से वैदिक संस्कृति का हिस्सा रही है और आज भी हम अपने अंदर से क्रोध, लोभ, मोह, काम, मद, मात्सर्य, अहंकार को दूर करने के लिए इसका सहारा लेते हैं।
इस्कॉन द्वारका में आयोजित इस महोत्सव के प्रबंधक का कहना है कि भगवान राम भगवान विष्णु के सातवें अवतार हैं और वे भगवान विष्णु के सबसे शक्तिशाली अवतारों में से एक हैं, जो शक्तिशाली रावण को नष्ट करने के लिए प्रकट हुए थे। लगभग पचास दशक पूर्व अंतर्राष्ट्रीय मंच पर इस्कॉन के संस्थापक ए. सी. भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद ने भी श्रीराम पर अपना व्याख्यान देते हुए कहा किदृ “यदि हम रामचंद्रजी के जीवन, उनकी गतिविधियों, लीलाओं का श्रवण करते हैं, तो इसका मतलब हम रामचंद्रजी के साथ जुड़े हुए हैं। उनके रूप, उनके नाम, उनकी लीलाओं और उनमें कोई अंतर नहीं है। वह निरपेक्ष हैं। इसलिए या तो आप राम के पवित्र नाम का जप करें या आप राम की मूर्ति को देखें या आप उनकी लीलाओं की बात करें, पारलौकिक लीलाएँ, सब कुछ, इसका अर्थ है कि आप भगवान के परम व्यक्तित्व के साथ जुड़ रहे हैं। इसलिए हम इन दिनों का लाभ उठाते हैं जब भगवान का आविर्भाव या तिरोभाव होता है, और हम उसके साथ जुड़ने का प्रयास करते हैं। उनकी संगति और संकल्प से हम अपनी चेतना को शुद्ध कर रहे हैं। हमारी प्रक्रिया शुद्धि है।” तो आप भी मंदिर में आइए और श्रीराम नवमी के भव्य उत्सव का लाभ उठाएँ।
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