मानसी शर्मा /- रूस के कज़ान में ब्रिक्स प्लस प्रारूप में 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन को विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने संबोधित किया। उन्होंने कहा, “हम एक अधिक न्यायसंगत वैश्विक व्यवस्था कैसे बना सकते हैं?सबसे पहले स्वतंत्र प्रकृति के प्लेटफ़ॉर्म को मजबूत और विस्तारित करके। विभिन्न डोमेन में विकल्पों को व्यापक बनाकर और उन पर अनावश्यक निर्भरता को कम करके जिसका लाभ उठाया जा सकता है। इसमें ब्रिक्स ग्लोबल साउथ के लिए एक अंतर बना सकता है। स्थापित संस्थानों और तंत्रों में सुधार करके, विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी और गैर-स्थायी श्रेणियों में सुधार करके। इसी तरह बहुपक्षीय विकास बैंक मे सुधार करके, जिनकी कार्य प्रक्रियाएँ संयुक्त राष्ट्र की तरह ही पुरानी हैं।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत ने अपने जी 20 प्रेसीडेंसी के दौरान एक प्रयास शुरू किया और हमें यह देखकर खुशी हुई कि ब्राज़ील ने इसे आगे बढ़ाया। अधिक उत्पादन केंद्र बनाकर वैश्विक अर्थव्यवस्था का लोकतंत्रीकरण करके वैश्विक बुनियादी ढांचे में विकृतियों को ठीक करके जो औपनिवेशिक युग से विरासत में मिली हैं। दुनिया को अधिक कनेक्टिविटी विकल्पों की आवश्यकता है जो रसद को बढ़ाएं और जोखिमों को कम करें। यह एक सामूहिक प्रयास होना चाहिए, जिसमें क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता का पूरा सम्मान हो। अनुभवों और नई पहलों को साझा करके।
नई क्षमताएं उभरी हैं, जिससे अधिक प्रतिभाओं का इस्तेमाल आसान हुआ है- विदेश मंत्री
विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा, “हम इस विरोधाभास का सामना कर रहे हैं कि परिवर्तन की ताकतें आगे बढ़ने के बावजूद कुछ पुराने मुद्दे और भी जटिल हो गए हैं। एक ओर, उत्पादन और उपभोग में लगातार विविधता आ रही है। उपनिवेशवाद से स्वतंत्रता प्राप्त करने वाले राष्ट्रों ने अपने विकास और सामाजिक-आर्थिक प्रगति को गति दी है। नई क्षमताएं उभरी हैं, जिससे अधिक प्रतिभाओं का इस्तेमाल आसान हुआ है। यह आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक पुनर्संतुलन अब उस बिंदु पर पहुंच गया है जहां हम बहु-ध्रुवीयता पर विचार कर सकते हैं।”
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