नई दिल्ली/अनीशा चौहान/- दिल्ली में दशहरे के बाद से वायु प्रदूषण में अचानक बढ़ोतरी ने लोगों को परेशान कर दिया है। मंगलवार सुबह आईटीआई जहांगीरपुर में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 205 दर्ज किया गया, जो ‘खराब’ श्रेणी में आता है। यह स्तर स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माना जाता है और विशेष रूप से बच्चों, बुजुर्गों और सांस से संबंधित बीमारियों से पीड़ित लोगों के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकता है।
प्रदूषण के कारणों पर नजर
वायु प्रदूषण के बढ़ने के पीछे कई कारण माने जा रहे हैं, जिनमें त्योहारी सीजन के दौरान पटाखों का इस्तेमाल, फसल जलाने से निकला धुआं, और वाहनों से उत्सर्जित प्रदूषकों की मात्रा में वृद्धि प्रमुख हैं। दशहरे के समय पटाखों और रावण दहन से हवा में विषाक्त कणों की मात्रा में अचानक वृद्धि होती है, जो राजधानी में प्रदूषण का मुख्य कारण बनता है।
स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव
AQI का 205 का स्तर सांस लेने में तकलीफ, आंखों में जलन, और गले की खराश जैसी समस्याओं को बढ़ा सकता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्रदूषण लंबे समय तक रहने पर फेफड़ों और हृदय संबंधी समस्याओं का कारण बन सकता है। संवेदनशील लोगों को इस स्थिति में बाहर के प्रदूषण से बचने की सलाह दी गई है, खासकर सुबह के समय जब वायु में प्रदूषकों की मात्रा अधिक होती है।
सरकारी उपाय और चेतावनी
प्रदूषण की इस गंभीर स्थिति को देखते हुए सरकार और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने नागरिकों से एहतियाती कदम उठाने की अपील की है। दिल्ली में स्मॉग टावर और हॉटस्पॉट्स की निगरानी बढ़ाई जा रही है। साथ ही, गाड़ियों से निकलने वाले प्रदूषण पर भी नियंत्रण के लिए सख्त कदम उठाए जाने की संभावना है।
दिल्ली में अक्टूबर से फरवरी के बीच प्रदूषण का स्तर अक्सर बढ़ जाता है, जिससे आम जनजीवन प्रभावित होता है। इसलिए, सरकार और संबंधित एजेंसियों से यह उम्मीद की जा रही है कि वे प्रदूषण नियंत्रण के लिए जल्द से जल्द ठोस कदम उठाएं।
नागरिकों से अपील
प्रदूषण के इस बढ़ते खतरे को देखते हुए नागरिकों से अनुरोध किया जा रहा है कि वे वाहनों का कम इस्तेमाल करें, प्रदूषणकारी गतिविधियों से बचें और सार्वजनिक परिवहन का अधिक से अधिक उपयोग करें। इसके अलावा, घरों में एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल और बाहर निकलने पर मास्क पहनने की सलाह दी जा रही है।
दिल्लीवासियों को प्रदूषण के इस खतरनाक स्तर से निपटने के लिए जागरूक रहना होगा और सामूहिक प्रयासों के माध्यम से इसे कम करने की दिशा में कदम उठाने होंगे।
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