आरजेसियंस ने माता रामरती देवी मंदिर कृषक प्रयोगशाला के सहयोग से रक्षाबंधन पर्व मनाया

स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

शिव कुमार यादव

वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

संपादक

भावना शर्मा

पत्रकार एवं समाजसेवी

प्रबन्धक

Birendra Kumar

बिरेन्द्र कुमार

सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

Categories

December 2025
M T W T F S S
1234567
891011121314
15161718192021
22232425262728
293031  
December 24, 2025

हर ख़बर पर हमारी पकड़

आरजेसियंस ने माता रामरती देवी मंदिर कृषक प्रयोगशाला के सहयोग से रक्षाबंधन पर्व मनाया

-सकारात्मक वर्ष में रक्षाबंधन पर्व पर आरजेएस पीबीएच के न्यूज़ लेटर का हुआ विमोचन -रक्षा सूत्र के रूप में कमियों को दूर करने की प्रतिज्ञा है रक्षाबंधन पर्व - बीके डा. सविता बहन. -भारतीय संस्कृति में तीन लोकों की रक्षा की भावना है- थपलियाल

नई दिल्ली/-  राम-जानकी संस्थान पॉजिटिव ब्रॉडकास्टिंग हाउस (आरजेएस पीबीएच) द्वारा रक्षाबंधन और भारत -वंदन से वसुधैव कुटुम्बकम चौथे भाग को श्रृंखलाबद्ध अमृत काल का सकारात्मक भारत-उदय -251वें संस्करण में प्रस्तुत किया। अवसर था विश्व मानवीय दिवस और रक्षाबंधन पर्व। रामरती देवी मंदिर कृषक प्रयोगशाला एवं कृषक पर्यटन स्थल कान्धरपुर गाजीपुर उत्तर प्रदेश के संस्थापक राजेन्द्र सिंह कुशवाहा के सहयोग से आयोजित वेबिनार में रक्षाबंधन पर्व का परिवार के साथ साथ वैश्विक महत्व को भी उजागर किया। श्री कुशवाहा ने अतिथियों का स्वागत और धन्यवाद ज्ञापन किया।

आरजेएस पीबीएच संस्थापक व राष्ट्रीय संयोजक उदय कुमार मन्ना के संयोजन और संचालन में आयोजित ऑनलाइन सेमिनार में मंथली बाइलिंगुअल न्यूजलेटर पाॅजिटिव मीडिया का विमोचन मुख्य अतिथि बीके डा.सविता बहन , नेशनल को-ऑर्डिनेटर वूमेन्स विंग, ब्रह्मकुमारीज संस्थान माउंट आबू और अध्यक्षता कर रहे भारतीय संस्कृति सम्मान के राष्ट्रीय संयोजक पार्थ सारथि थपलियाल ने किया। न्यूज़ लेटर अगस्त 2024 अंक के अतिथि संपादक राजेंद्र सिंह कुशवाहा हैं। कार्यक्रम में आरजेएस पीबीएच के  टाॅर्च बियरर्स ने पाॅजिटिव मीडिया न्यूज़ लेटर  को अपनी शुभकामनाएं दीं।

आरजेएस ऑब्जर्वर दीपचंद माथुर ने शुभकामनाएं व्यक्त करते हुए कहा कि न्यूज लेटर आरजेएस पीबीएच परिवार से जुड़े लोगों के बीच सेतु का काम करेगा जिसे आरजेएस पीबीएच के वेबसाइट पर भी देखा जा सकता है। प्रो. बिजाॅन कुमार मिश्रा आरजेएस एडवाइजर ने अपनी शुभकामना संदेश में  कहा कि न्यूज लेटर दुनिया के पॉजिटिव थिंकिंग का पार्ट बनेगा। इसे सभी आरजेसियंस मिलकर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाएंगे और पाठकों के विचारों को भी इसमें जगह दी जाएगी।

अतिथि वक्ता सुषमा कुशवाहा ने  सद्भाव व भाईचारे का प्रतीक रक्षाबंधन पर डॉ कौशल किशोर की कविता सुनाई “यह बंधन जो मन के होते हैं” अतिथि वक्ता दीपा कुशवाहा ने कहा कि रक्षाबंधन केवल भाई-बहन का ही नहीं बल्कि सभी नागरिकों का त्यौहार है। पहले बहन थी तो हम बहन के साथ ही रक्षाबंधन मनाते थे बाद में भाई आया तो भाई के साथ भी मनाने लगे । जरूरतमंदों की सहायता का भी पर्व है रक्षाबंधन। 

अतिथि वक्ता के रुप में पॉजिटिव मीडिया से जुड़े दिल्ली डायरी न्यूज़ की महिला पत्रकार खुशबू झा ने कहा कि जवानों के नाम पर भी राखी बांधना चाहिए क्योंकि वह हमारी रक्षा के लिए जान देते हैं। धरती की रक्षा और पर्यावरण की रक्षा करने के संकल्प पर्व का नाम है रक्षाबंधन।

कार्यक्रम की मुख्य अतिथि ब्रह्माकुमारीज संस्थान माउंट आबू राजस्थान के महिला विंग की नेशनल कोऑर्डिनेटर बीके डॉक्टर सविता बहन ने कहा कि परमात्मा सब की रक्षा करता है जैसे पति रहते हुए भी भगवान कृष्ण ने द्रौपदी के लाज की रक्षा की । बहन भाई के मस्तक पर तिलक करती है वह आत्मा का स्थान है। विश्व सचमुच हमारा परिवार है ।इसलिए सभी के प्रति हमारा स्नेह और सहयोग रहना चाहिए। ईश्वरीय विश्वविद्यालय की सोच है की बहन भी राखी बांधती है। जेल के कैदियों और  बॉर्डर के जवानों को राखी बांधी जाती है। ब्रह्माकुमारी बहनों द्वारा रक्षा सूत्र के रूप में अपनी कमियों को दूर करने की प्रतिज्ञा कराई जाती है। भारतीय संस्कृति सम्मान के राष्ट्रीय संयोजक पार्थसारथि थपलियाल ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि अपनी बहन की रक्षा का दायित्व तो हर व्यक्ति का होता है लेकिन भारतीय संस्कृति में पत्नी के अलावा हर नारी उम्र के अनुसार माता, बहन, बेटी की संज्ञा में आती हैं। ये सभी पूजनीय हैं।

मातृवत पर दारेषु पर द्रव्येशु लोष्ठवत्… भारत नारी का सम्मान की संस्कृति का देश है। आरजेएस ने इस पर्व को विश्वबंधन माना है। यह मानने का कारण भी भारतीय संस्कृति है, जो व्यक्तियों में भेद को स्वीकार नहीं करती। पूरी वसुधा को परिवार मानती है।भारतीय चिंतन में मिलता है- उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम् ॥ उन्होंने स्वामी विवेकानंद के शिकागो विश्वधर्म सम्मेलन में दिए गए भाषण का जिक्र करते हुए  बहन और भाई शब्द का संबोधन का संदर्भ जोड़ते हुए कहा कि भारतीय चिंतन भारतीय अनुष्ठानों के अंत में जो आप्त वचन कहे जाते हैं वे हैं धर्म की जय हो। अधर्म का नाश हो। प्राणियों में सद्भावना हो। विश्व का कल्याण हो। यह भाव आरजेएस का भी है। उन्होंने राम जानकी संस्थान के इस भाव को वैश्विक बनाने में सफलता की कामना की। कार्यक्रम में मो.इसहाक खान, सत्येंद्र त्यागी,डा.मुन्नी कुमारी,मयंक और आकांक्षा आदि शामिल हुए।

About Post Author

आपने शायद इसे नहीं पढ़ा

Subscribe to get news in your inbox