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  • नगर निगम व दिल्ली सरकार की लापरवाही से गायों की जेल बनी गौशाला-पंचायत संघ

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    नगर निगम व दिल्ली सरकार की लापरवाही से गायों की जेल बनी गौशाला-पंचायत संघ

    -दिल्ली देहात के वन्य जीवों को गर्मी से बचाए दिल्ली सरकार- थान सिंह यादव - गाय, गांव, गरीब व ग्रामीण को नजरअंदाज न करे सरकार- पंचायत संघ

    दिल्ली देहात/शिव कुमार यादव/- दिल्ली सरकार व निगम की लापरवाही के चलते दिल्ली देहात में भीषण गर्मी व लू के चलते वन्यजीवों व गौशालाओं में गायों के जीवन पर आ बनी है। वन्य जीव पानी के लिए अपनी जान को खतरे में डालकर गांवों का रूख कर रहे है तो गौशालाओं में पानी की कमी के चलते गायों की जिदंगी खतरे में पड़ गई है। ऐसे में दिल्ली पंचायत संघ ने दिल्ली सरकार से दिल्ली देहात के वन्यजीवों व गायों की सुरक्षा के इंतजाम करने की अपील की है।

    दिल्ली पंचायत संघ प्रमुख थान सिंह यादव और दिल्ली ओबीसी के अध्यक्ष जगदीश यादव ने दिल्ली में बढ़ती गर्मी व लू को देखते हुए दिल्ली देहात के गांवों में बनी गौशाला व देहात के वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए गांवों का दौरा किया। जिसमें दिल्ली देहात नजफगढ़ क्षेत्र में बनी गौशाला में जाने पर पता लगा की सरकार ने उनका करोड़ो का फंड रिलीज नहीं किया है। जिसके कारण उनको गायों की देखभाल करने में दिक्कत आ रही है। वहीं दूसरी ओर लगभग 5000 गायों की मौजूदगी बताई गई। जो ज्यादा है जिसमें बताया कि दिल्ली नगर निगम व दिल्ली सरकार मिलकर प्रत्येक पशु पर 40 रूपये प्रतिदिन उनके चारे के लिए देती है। जो पर्याप्त नहीं है और वह भी समय पर नही देते है। जिसकारण गायों के चारे का प्रबंध करना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है।
              इस संबंध में गोपाल गौ सदन हरेवली के प्रमोद सहरावत और हरे कृष्णा गोशाला सुरहेड़ा के कृष्ण यादव ने कहा की नगर निगम व दिल्ली सरकार ने गौशालाओं की करोड़ों रूपये की रकम रोकी हुई है जिसे गर्मी के मौसम को देखते हुए तुरंत रिलीज किया जाना चाहिए।
             पंचायत संघ प्रमुख थान सिंह यादव ने मांग की कि इनकी सेवा करने के लिए प्रत्येक पशुधन पर डेढ़ सौ रुपए प्रतिदिन इनको मिलने चाहिए। पंचायत संघ प्रमुख का मानना है की गौशाला की जगह यह पशुओं की जेल ज्यादा लगती है। क्योंकि उनके लिए आवंटित चारे या धन की व्यवस्था सरकार नहीं कर पा रही है। वहीं वन्य जीव नीलगाय, रोंझ जैसे वन्य जीव भी गांवों के नजदीक खाने और पानी की तलाश में आ रहे हैं।
             दिल्ली के घटते जंगल और घटती फसल को देखते हुए उनको रहने और खाने की पर्याप्त सुविधा नहीं है। इसलिए दिल्ली सरकार गाय, गांव, गरीब व् ग्रामीणों की अनदेखी न करें।  दिल्ली का विकास तभी संभव है। जब दिल्ली के चारों तरफ 2 किलो मीटर चौड़े वनों, जंगलों को बनाया जाए। जिसमें वन्य जीव रह सके। और बढ़ते प्रदूषण पर अंकुश लग सके।
              अति पिछड़ा आयोग के चैयरमैन जगदीश यादव ने दिल्ली सरकार को इनके लिए जिम्मेदार ठहराया है और कहा कि यह सरकार दिल्ली देहात व गांवों के साथ-साथ वन्य जीवो के जीवन पर भी कुठाराघात कर रही है।

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