नई दिल्ली/मानसी शर्मा/- जी-20 सम्मेलन के लिए नई दिल्ली आये सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान आज भारत के अधिकारिक दौरे की शुरूआत हुई। सोमवार सुबह सऊदी प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान राष्ट्रपति भवन पंहुचे जहां उनका स्वागत गार्ड ऑफ ऑनर के साथ किया गया। वहीं पीएम मोदी ने उन्हे गले लगाकर उनका अभिवादन किया। इस दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू भी मोहम्मद बिन-सलमान के स्वागत के लिए पीएम मोदी के साथ मौजूद रहीं। इसके बाद उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हैदराबाद हाउस में द्विपक्षीय बातचीत की। बैठक में दोनो देशों के नेताओं के बीच बातचीत में संभवता ऊर्जा और डिफेंस सेक्टर में बड़े समझौते होने की उम्मीद जताई जा रही है।
राष्ट्रपति भवन में स्वागत के बाद पीएम मोदी और सऊदी क्राउन प्रिंस ने हैदराबाद हाउस में द्विपक्षीय वार्ता में हिस्सा लिया। इस दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर और एनएसए अजीत डोभाल पीएम के साथ दिखे। बैठक के बाद हैदराबाद हाउस में आयोजित भारत-सऊदी रणनीतिक साझेदारी परिषद की पहली बैठक में हुए समझौतों पर हस्ताक्षर किए।
बैठक के बाद क्या बोले क्राउन प्रिंस सलमान-पीएम मोदी?
द्विपक्षीय बैठक के बाद प्रिंस सलमान ने कहा, “मैं आपको जी 20 शिखर सम्मेलन के प्रबंधन और मध्य पूर्व, भारत और यूरोप को जोड़ने वाले आर्थिक गलियारे सहित हासिल की गई पहलों के लिए बधाई देता हूं, जिसके लिए आवश्यक है कि हम इसे वास्तविकता में बनाने के लिए लगन से काम करें।“
वहीं, पीएम मोदी ने इस बैठक के बाद कहा, “भारत के लिए सउदी अरब हमारे सबसे महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदारों में से एक है। विश्व की दो बड़ी और तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं के रूप में हमारा आपसी सहयोग पूरे क्षेत्र की शांति और स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है। “आज की बैठक से हमारे संबंधों को एक नई दिशा मिलेगी और हमें मिलकर मानवता की भलाई के लिए काम करते रहने की प्रेरणा मिलेगी। कल हमने भारत, पश्चिमी एशिया और यूरोप के बीच कॉरिडोर स्थापित करने के लिए ऐतिहासिक शुरुआत की है। इससे न केवल दोनों देश आपस में जुड़ेंगे बल्कि एशिया, पश्चिम एशिया और यूरोप के बीच आर्थिक सहयोग, ऊर्जा के विकास और डिजिटल कनेक्टिविटी को बल मिलेगा।“ प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, अपनी बातचीत में, हमने अपनी साझेदारी को अगले स्तर पर ले जाने के लिए कई पहलों की पहचान की है।“
जी-20 के बाद भारत में ही रुके सऊदी क्राउन प्रिंस
गौरतलब है कि शिखर सम्मेलन में शिरकत करने आए विभिन्न देशों के शासनाध्यक्ष रविवार को स्वदेश वापस लौट गए। हालांकि सम्मेलन में शिरकत करने आए क्राउन प्रिंस का राजकीय दौरा इस द्विपक्षीय वार्ता के लिए सोमवार तक जारी रहेगा। बतौर मेजबान भारत ने सऊदी अरब को विशेष मेहमान के रूप में आमंत्रित किया था।
मोहम्मद बिन सलमान की ये दूसरी स्टेट विजिट है। क्राउन प्रिंस के वेलकम के बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मोहम्मद बिन सलमान के साथ आए डेलिगेशन से मुलाकात की। इससे पहले क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान 2019 में भी भारत की स्टेट विजिट की थी। तब दोनों देशों ने स्ट्रैटजिक पार्टनरशिप काउंसिल बनाई थी। आज की बैठक में इसी काउंसिल के कामों को लेकर चर्चा की गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से राजनीति, सिक्योरिटी, डिफेंस, ट्रेड और अर्थव्यवस्था के मुद्दों पर भी चर्चा करेंगे। सऊदी क्राउन प्रिंस पीएम मोदी के साथ द्विपक्षीय बैठक भी करेंगे।
एनर्जी को ऑपरेशन पर होगी बातचीत
इसी साल फरवरी में इंडियन एयरफोर्स के विमानों ने पहली बार सऊदी अरब की धरती पर लैंड किया था। दोनों देशों के बीच साल 2022-23 में 52.75 बिलियन डॉलर का व्यापार हुआ। भारत सऊदी का दूसरा सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है। सऊदी में 20 लाख से ज्यादा भारतीय समुदाय के लोग रहते हैं। 1 लाख 75 हजार भारतीय हर साल हज के लिए सऊदी जाते हैं।
सामरिक सौदा, कूटनीतिक बढ़त और निवेश पर है भारत की नजर
सऊदी अरब हथियारों और सुरक्षा के लिए अमेरिका पर निर्भर है। हाल ही में उसकी दिलचस्पी चीन के प्रति बढ़ी थी। सऊदी इस मामले में चीन और अमेरिका से अपनी निर्भरता कम करना चाहता है। भारत की योजना इस स्थिति का लाभ उठाने की है। इसके अलावा भारत की निगाहें निवेश पर भी हैं। हाल के समय में दोनों देशों के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास हुए हैं। दोनों देशों के सेना प्रमुखों ने एक दूसरे देश का दौरा किया है। चूंकि सऊदी में भारत के करीब 15 लाख लोग रह रहे हैं, ऐसे में दोनों देशों के बीच विशेष संबंध बना है।
भारत-सऊदी के रिश्तों में पाकिस्तान बड़ा फैक्टर
2019 में जब सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद सलमान भारत की स्टेट विजिट पर आए तो वो पाकिस्तान होते हुए आए थे। सऊदी भारत से नजदीकियां बढ़ा रहा है। हालांकि, वो पाकिस्तान को बहुत ज्यादा खफा नहीं कर सकता है। भारत ने जी20 समिट की एक बैठक कश्मीर में की थी। इसमें सऊदी ने अपने प्रतिनिधि को शामिल होने से इनकार कर दिया था। 1998 में जब पाकिस्तान ने परमाणु परीक्षण किया तो सऊदी अरब ने खुलकर उनका साथ दिया था।
हालांकि, अब लगातार बदल रही जियोपॉलिटिक्स में सभी देशों के रिश्ते बदल रहे हैं। सऊदी अरब अपनी अर्थव्यवस्था की तेल पर निर्भरता को कम करना चाहता है। ऐसे में वो ट्रेड के लिए नए पार्टनर ढूंढ़ रहा है। भारत भी उनमें से एक है। सऊदी ने भले ही कश्मीर में हुई जी20 समिट में हिस्सा नहीं लिया, लेकिन जब भारत सरकार ने कश्मीर को दिया विशेष राज्य का दर्ज समाप्त किया तो पाकिस्तान के दबाव के बावजूद सऊदी ने भारत की आलोचना करने से इनकार कर दिया था। हालांकि सऊदी पाकिस्तान की आर्थिक तौर पर काफी मदद करता है। जुलाई में सऊदी ने पाकिस्तान को आर्थिक तंगहाली के बीच 2 बिलियन डॉलर का लोन दिया था। 2020 तक पाकिस्तान को कर्ज देने वाले देशों में सऊदी पहले नंबर पर था।
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