आपराधिक गतिविधियों में नाबालिगों की संलिप्तता चिंता का कारण

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December 29, 2025

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आपराधिक गतिविधियों में नाबालिगों की संलिप्तता चिंता का कारण

-नाबालिगों को अपराधी बनने से रोकने के लिए पुलिस की योजनाऐं भी हो रही फैल

नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- दिल्ली में आपराधिक गतिविधियों में नाबालिगों की संलिप्तता पुलिस व सरकार के लिए चिंता का विषय बनती जा रही है। हाल ही में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो ने अपराध से जुड़े जो आंकड़े जारी किये है उनमें नाबालिगों की उपस्थिति काफी चौंकाने वाली है। आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2020 में 2456 नाबालिग अपराध से जुड़े मामलों में आरोपित रहे हैं। यह संख्या देश के सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के लिए आज चौथे स्थान पर आता है।
      दिल्ली के अपराध जगत कें पिछले कुछ सालों से नाबालिगों की उपस्थिति काफी चौकाने वाली रही है। आंकड़ों की बात करे तो 1 लाख लोगों पर दिल्ली में नाबालिगों की संख्या 44 रही है जो पूरे देश में सर्वाधिक है। यही बात पुलिस व सरकार के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है कि दिल्ली में जहां पुलिस नाबालिग अपराधियों को अपराध जगत से दूर करने व मुख्य धारा में जोड़ने के लिए कई योजनाओं के माध्यम से काम कर रही है। और ऐसे नाबालिगों को हाथ का हुनर सिखा कर उन्हे आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश कर रही है। लेकिन फिर भी नाबालिगों का अपराध जगत में जाने का मामला रूक नही रहा है। हालांकि विशेषज्ञों की माने तो आज नाबालिग बच्चों के कंधों पर परिवार का बोझ आ गया है लेकिन न तो उनके पास कोई काम है और न ही नौकरी है जिसकारण जल्दी पैसा कमाने के लिए नाबालिग कुख्यात अपराधियों का निशाना बन रहे है और वो उन्हें बहला-फुसलाकर अपराध जगत में धकेल रहे हैं।
                  द्वारका पुलिस भी नाबालिगों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए पारस नाम से एक योजना चला रही है जिसमें नाबालिग अपराधियों को उनकी योग्यता के अनुरूप व्यवसायिक कोर्स सिखा कर अपने पैरों पर खड़ा करने का काम कर रही है। द्वारका डीसीपी शंकर चौधरी के नेतृत्व में पुलिस किशोरों को नई-नई योजनाओं से जोड़ने व समाज से जुड़े रहने के लिए एनजीओं के माध्यम से भी बात कर रही है लेकिन फिर भी रोजाना आ रहे नये केसों में नाबालिगों की मॉजूदगी यह साफ संकेत दे रही है कि पुलिस द्वारा नाबालिगों के लिए चलाई जा रही योजनाऐं नाकाफी साबित हो रही है। जिसके लिए पुलिस व सरकार को कुछ और योजनाओं के माध्यम से नाबालिगों की काउंसलिंग व उन्हे प्रशिक्षित करने का प्रयास करना होगा।

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