नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/द्वारका/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- बुद्ध पूर्णिमा के पावन पर्व पर हरियाणा योग आयोग हरियाणा सरकार, अध्यात्म योग संस्थान और फिट इंडिया क्लब के संयुक्त तत्वावधान में 26 मई 2021 को कोरोना महामारी के समय मानसिक स्वास्थ्य का विकास विषय पर एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। अध्यात्म योग संस्थान हरियाणा के सचिव जसबीर योगाचार्य ने कार्यक्रम का संयोजन किया ।
वेद मंत्रों के साथ दीप प्रज्वलन और मंगलाचरण का आयोजन गुरुकुल गौतम नगर के रंजन व उनके साथी ब्रह्मचारियों के द्वारा संपन्न हुआ।
असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. रमेश कुमार जी ने संगोष्ठी में शामिल सभी अतिथियों का स्वागत किया और संगोष्ठी में जुड़े लोगों से उनका परिचय कराया। मंच संचालन का कार्यक्रम श्रीमती कलावती आर्या ने किया ।
सारस्वत अतिथि के रूप में प्रो. रमेश कुमार पांडेय जी कुलपति श्री लाल बहादुर शास्त्री केन्द्रिय संस्कृत विश्वविद्यालय नई दिल्ली ने बताया कि संकल्प शक्ति के द्वारा मानसिक विकास सम्भव, आहार के द्वारा शरीर एवं मन को शुद्ध और आश्रम व्यवस्था के द्वारा प्राकृतिक वातावरणीय जीवन को अपनाकर हम शारीरिकि एवं मानसिक दोनों का विकास कर सकते हैं। अंत में कहा भारतीय संस्कृति आचारमूला एवं चरित्रवान संस्कृति है।
मुख्य अतिथि डॉ. जयदीप आर्य अध्यक्ष योग आयोग हरियाणा सरकार ने बताया जो शुद्ध हो गया वो बुद्ध हो गया। उन्होने श्रीमदभगवद्गीता के छठे अध्याय को लेकर आत्म संयम के बारे समझाया और असंशय महाबाहो… का उदाहरण देकर स्पष्ट किया और अंत में कहा प्राणों को साधना चाहिए जिससे मन अपने आप नियंत्रित हो जाएगा।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रो. ईश्वर भारद्वाज (पूर्व डीन गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय) राष्ट्रीय अध्यक्ष अध्यात्म योग संस्थान नई दिल्ली ने बताया मन की शुद्धि सत्य से होती है, मनः सत्येन शुद्धयति। अशांत मन में मानसिक रोग उत्पन्न होते हैं, शांत मन में रोग नहीं उत्पन्न होते। चिंता चिता से भी खतरनाक होती है इसलिए चिंता को योग के माध्यम से ही दूर कर सकते हैं। अंतर्राष्ट्रीय अतिथि रोहित कुमार जी ने कहा योग के द्वारा हम समग्र स्वास्थ्य का विकास करते हैं। कोरोना काल में आज फिर लोग योग के प्रति आशाएं लेकर आगे बढ़ रहे हैं। मुख्य वक्ता श्री राजीव रस्तोगी ने बताया की योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा संतुलित विकास करती है। ये दोनों पद्धतियां जीवन का आधार हैं । महामारी के समय सोशल मीडिया से दूरी बनाएं एवं परिवार के साथ रहें। मुख्य वक्ता डॉ. मदन मानव मुख्य चिकित्साधिकारी योग एवं प्राकृतिक अस्पताल भिवानी हरियाणा ने बताया की योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा से कोई नुकसान नहीं है, लोगों को प्रकृति के समीप रहना चाहिए और उन्होंने कहा अस्पतालों में बच्चों को कहानियां, चुटकुले सुनाये जाएं जिससे वे खुश रह सकें और स्वस्थ रहें। क्योंकि खुश रहने और हंसने से हार्मोन अच्छे से स्रावित होते हैं। मुख्य वक्ता रू डॉ. विक्रम खेल प्रभाग श्री जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय ने बताया रू योग विज्ञान में कोई झगड़ा नहीं होना चाहिए है, सभी एक दूसरे के सहायक हैं। सभी विटामिन हमारे फल, मूल, कंद और आहार में है इसलिए हमें इनका ही सेवन करना चाहिए। ऑक्सीजन की कमी होने पर नैचुरल वेंटिलेटर प्राणायाम की प्रक्रिया करें, नासिका के लिए नेति, गले के लिए गरारे करने चाहिएं ।
विशिष्ट वक्ता आचार्य श्री धनंजय (प्रधानाचार्य गुरुकुल पौंधा देहरादून उत्तराखंड) ने महर्षि दयानंद सरस्वती का उदाहरण देते हुए कहा प्रकृति के मूल में जाओ, वेदों के ज्ञान को जानो,वर्तमान परिस्थितियों में यज्ञीय चिकित्सा के महत्व को समझाया। आचार्य श्री राकेश जी (अध्यक्ष गंगा न्यास योग उत्तराखंड) ने कहा कि तन की, मन की, प्राण की और आत्मा की शक्ति का विकास ही प्रतिरोधक क्षमता का विकास है। अंत में संयम, संकल्प, साधना, और सावधानी ये जीवन के चार महत्वपूर्ण नियम बता इनको धारण करने व अपने जीवन का उद्धार करने की सलाह दी है।
देश के जाने मने योगाचार्य और विश्व योग चैंपियन डॉ. रमेश कुमार (सहायक आचार्य) योग विज्ञान विभाग श्री लाल बहादुर शास्त्री केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय दिल्ली ने बताया स्वयं को जागृत करना ही बुद्ध की शरण में जाना है। धर्म की शरण में जाओ क्योंकि धर्म मानव की पहचान है। एकता को अपनाओ, संगठन सूक्त में भी कहा गया है कि संगच्छध्वम् संवदध्वम् सं वो मनांसि जानताम्, देवा भागम् यथा पूर्वं संजनाना उपासते। ओ३म् का जप करने से मानसिक लाभ होता है।
डॉ. रवि कुमार शास्त्री ने आयुर्वेद का उदाहरण देते हुए कहा कि समदोषः समाग्निश्च समधातु मलक्रियाः। प्रसन्नात्मेन्द्रियमनाः स्वस्थ इत्यभिधीयते।। जिस व्यक्ति के दोष (वात, कफ और पित्त) समान हों, अग्नि सम हो, सात धातुयें भी सम हों, तथा मल भी सम हो, शरीर की सभी क्रियायें समान क्रिया करें, इसके अलावा मन, सभी इंद्रियाँ तथा आत्मा प्रसन्न हो, वह मनुष्य स्वस्थ कहलाता है)। यहाँ सम का अर्थ संतुलित (न बहुत अधिक न बहुत कम) है। संसार की सभी परिभाषाएं निरूत्तर है इस परिभाषा के सामने ।
आचार्य योगेश कुमार गुरुकुल गौतम नगर नई दिल्ली ने बताया बुद्ध की साधना सर्वम् दुखं से शुरू हुई आनंद तक रही , इसलिए जीवन में धैर्य बहुत जरूरी है। अभी तो आगत भविष्य की आहट भर है , स्वयं को तैयार करो । भौतिकता से भगवता की और प्रवेश करें। मन रुचि देता है निष्कर्ष नहीं इसलिए बुद्धि की साधना करो। डॉ.नरेंद्र गौड (एसोसिएट प्रोफेसर खेल प्रभाग श्री वेंकटेश्वर महाविद्यालय दिल्ली विश्वविद्यालय) ने बताया कोरोना काल में षट्कर्म (शुद्धि क्रियाओं) की बहुत आवश्यकता है। आज योग विद्यालय, महाविद्यालय और विश्वविद्यालय में भी विद्यार्थियों के लिए एक विषय होना चाहिए जिससे उनका सर्वांगीण विकास हो सके।
विशिष्ट अतिथि धर्मवीर यादव ने बताया हम योग के द्वारा अध्यात्म और आधुनिकता को जोड़कर एक नया भविष्य तैयार कर सकते हैं। विशिष्ट अतिथि अनिल बाल्यान ने बताया हमें अपने जीवन को योग के माध्यम से सुधारना होगा। देश की इन परिस्थितियों में परिवार के साथ रहना, माता पिता की सेवा करना आदि को अपने जीवन में अपनाना पड़ेगा तभी हम अच्छे मानसिक स्वास्थ्य को प्राप्त कर सकेंगे। अंत में धन्यवाद ज्ञापन- आनंद कुमार, हंसराज प्रबंधक फिट इंडिया क्लब ने किया। शांतिपाठ रूकलावती आर्या राष्ट्रीय अध्यक्ष महिला समिति अध्यात्म योग संस्थान ने किया। इस कार्यक्रम में लगभग 230 से अधिक लोगों ने गूगल मीट, फेसबुक और यू-ट्यूब के माध्यम से बढ़ चढ़कर भाग लिया।
संकल्प शक्ति के द्वारा मानसिक विकास सम्भव- कुलपति पांडे
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