नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/कारोबार डेस्क/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/-देश में पेट्रोल और डीजल का इस्तेमाल जितना ज्यादा होता है, उसकी कीमत भी उतनी ही ज्यादा है। अगर कभी यह सस्ता होता भी है, तब भी हमे इसका ज्यादा फायदा नही मिलता क्योंकि यह गिरावट काफी कम होती है और टैक्स काफी ज्यादा होते है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत में कमी के बावजूद हमारे देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतें आसमान छू रही है। जबकि वही तेल हमारे पड़ोसी देशों में काफी सस्ता मिल रहा है। फिर ऐसा क्या है कि देश की जनता को विकास की कीमत पेट्रोल-डीजल के दामों के रूप में चुकानी पड़ रही है। ग्राहक पेट्रोल व डीजल के बेस प्राइस यानी एक्स फैक्टरी का लगभग तीन गुना ज्यादा देते हैं।
हाल ही में भारतीय जनता पार्टी के नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने एक ट्वीट किया था, जो काफी चर्चा में है। ट्वीट में उन्होंने लिखा था कि भारत में पेट्रोल के दाम दो पड़ोसी देशों नेपाल और श्रीलंका से काफी ज्यादा हैं। गौरतलब है कि नेपाल में जो तेल जाता है, उसकी आपूर्ति पूरी तरह भारत से ही की जाती है, तब भी वहां तेल भारत से सस्ता है। भारत से प्रतिदिन करीब 1800 तेल टैंकर सड़क के रास्ते नेपाल जाते हैं। साथ ही 69 किलोमीटर लंबी मोतीहारी-अमलेखगंज पाइप लाइन के जरिए अब भारत से तेल नेपाल के पारसा के अमलेखगंज डिपो को भेजा जा रहा है।
नेपाल दरअसल, एक नेपाली रुपया हमारे 62 पैसे के बराबर होता है यानी नेपाल के 100 रुपये भारत के करीब 62 रुपये के बराबर होता है। भारत के कुछ राज्यों में पेट्रोल करीब 93 रुपये का है। नेपाल तेल कॉर्पोरेशन की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, 19 जनवरी को बीरगंज में तेल के दाम 108.50 नेपाली रुपये (67.95 भारतीय रुपया) था। नेपाल के दूसरे सीमावर्ती जिले रक्सौल में तेल के दाम 140.76 नेपाली रुपये (भारतीय रुपये के हिसाब से 88.15 रुपये) है। यानी जो तेल भारत से नेपाल जाता है, वो नेपाल में काफी सस्ता है। श्रीलंका में पेट्रोल के दाम फिलहाल 161 श्रीलंकाई रुपये प्रति लीटर है। यानी भारतीय मुद्रा के अनुसार 61 रुपये। वहीं बांग्लादेश में पेट्रोल के दाम भारतीय मुद्रा के अनुसार 76 रुपये प्रति लीटर हैं। भूटान में पेट्रोल सबसे सस्ता यानी 49 रुपये प्रित लीटर है। वहीं डीजल 46 रुपये प्रति लीटर के करीब है। भूटान भी पूरी तरह भारत से ही तेल मंगवाता है। लेकिन वहां तेल पर टैक्स बहुत कम है व पाकिस्तान के 100 रुपये भारत के 46 रुपये के बराबर हैं। पाकिस्तान में पेट्रोल की कीमत 111.90 पाकिस्तानी रुपये (50.99 भारतीय रुपये) प्रति लीटर है। डीजल की कीमत (52.81 भारतीय रुपये) है।
आइए जानते हैं कि कीमत में इतना अंतर क्यों है।
दरअसल भारत में तेल पर केंद्र और राज्य सरकारों के विभिन्न तरह के टैक्स बहुत ज्यादा हैं। ग्राहकों से तेल पर सेस भी वसूला जाता है। इसी वजह से हमाके देश में तेल के दाम इतने ज्यादा हैं। हम जिस तेल का मूल्य 84 रुपये प्रति लीटर दे रहे हैं, उसकी मूल कीमत 26 से 27 रुपये प्रति लीटर है। वहीं नेपाल में तेल पर टैक्स भारत की तुलना में काफी कम है।
साल 2020 में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में ऐतिहासिक गिरावट के बाद लोग राहत की उम्मीद कर रहे थे। लेकिन लोगों को केंद्र सरकार ने झटका दिया था। सरकार ने पेट्रोल पर 10 रुपये और डीजल पर 13 रुपये प्रति लीटर उत्पाद शुल्क और बढ़ा दिया था। इससे पहले साल 2014 में पेट्रोल पर टैक्स 9.48 रुपये प्रति लीटर था और डीजल पर 3.56 रुपये। नवंबर 2014 से जनवरी 2016 तक केंद्र सरकार ने इसमें नौ बार इजाफा किया। इन 15 सप्ताह में पेट्रोल पर ड्यूटी 11.77 और डीजल पर 13.47 रुपये प्रति लीटर बढ़ी। इसकी वजह से 2016-17 में सरकार को 2,42,000 करोड़ रुपये की कमाई हुई, जो 2014-15 में 99,000 करोड़ रुपये थी। बाद में अक्तूबर 2017 में यह दो रुपये कम की गई। हालांकि इसके एक साल बाद ड्यूटी में फिर से 1.50 रुपये प्रति लीटर का इजाफा किया गया। इतना ही नहीं, जुलाई 2019 में यह एक बार फिर दो रुपये प्रति लीटर बढ़ा दी गई। इसके बाद एक फरवरी 2021 को पेश आम बजट में पेट्रोल और डीजल पर कृषि सेस लगाने का ऐलान किया गया। पेट्रोल पर 2.5 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर चार रुपये प्रति लीटर के हिसाब से कृषि सेस लगाने की घोषणा हुई।
-पेट्रोल के दामों के रूप में देश के विकास की कीमत चुका रहे लोग
More Stories
चकराता में बर्फबारी का मौसम: पर्यटकों और किसानों के लिए खुशी की बात
हैदराबाद में अल्लू अर्जुन के घर के बाहर विरोध प्रदर्शन, अभिनेता ने फैंस से की अपील
दिल्ली अपराध शाखा ने हत्या के मामले में कुख्यात अपराधी को किया गिरफ्तार
दिल्ली में एएचटीयू और एजीएस अपराध शाखा का सफल ऑपरेशन, 4 लापता लड़कियां बरामद
प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया 14वें रोजगार मेले उद्घाटन
बल के वार्षिक मेले से बढ़ता है अनावश्यक वित्तिय भार, डीजी की विदाई परेड में खर्च किए जाते है करोड़ो…?