ये कैसे माननीय, राज्य सभा में दिखा मर्यादा टूटने का शर्मनाक नजारा

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September 8, 2024

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ये कैसे माननीय, राज्य सभा में दिखा मर्यादा टूटने का शर्मनाक नजारा

नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/द्वारका/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/-कृषि विधेयकों पर राज्यसभा में माननीयों के शर्मनाक प्रदर्शन पर लोगों ने कहा ये कैसे माननीय जो देश में आदर्श बनने की बजाये खुद ही अपनी सीमाओं को तार-तार कर रहे है। आखिर देश इस काम के लिए इन पर इतना खर्च करता है। इस तरह के अनेको सवाल देश के हर आम व खास में आज चर्चा का विषय बने हुए है।
दरअसल कृषि से जुड़े दो विधेयकों पर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर जब राज्यसभा में विपक्ष के सवालों का जवाब दे रहे थे, तभी अभूतपूर्व हंगामा हुआ। दरअसल, केंद्रीय मंत्री तोमर के जवाब से असंतुष्ट कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के सांसद वेल में पहुंच गए। इस दौरान उन्होंने माइक तोड़ा और कागज फाड़े। साथ ही उपसभापति से विधेयक छीनने की कोशिश भी की गई। विधेयकों पर बहस के दौरान कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर अपना जवाब दे रहे थे। लेकिन उनके जवाबों से असंतुष्ट टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन वेल में पहुंच गए और राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण को हाउस रूल बुक दिखाई। इसके अलावा कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के सदस्य भी वेल में पहुंच गए। 
  वहीं, कांग्रेस सांसद गुलाम नबी आजाद ने कहा कि राज्यसभा का समय ना बढ़ाया जाए। मंत्री का जवाब कल हो, क्योंकि अधिकतर सदस्यों का यही मानना है। सरकार चाहती है कि ये विधेयक आज ही पास हो जाए। इस दौरान हंगामा कर रहे सांसदों ने आसन के सामने लगे माइक को तोड़ दिया। इसके अलावा वेल के पास पहुंचकर उपसभापति से विधेयक छीनने की कोशिश भी की। 
इससे पहले, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने राज्यसभा में कृषि संबंधित तीन विधेयक- कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक, 2020 और  कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक, 2020 पेश किए। कृषि मंत्री ने विधेयकों को पेश करते हुए कहा, दो विधेयक ऐतिहासिक हैं और किसानों के जीवन में बदलाव लाएंगे। किसान देश में कहीं भी अपनी उपज का स्वतंत्र रूप से व्यापार कर सकेंगे। मैं किसानों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि ये विधेयक न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से संबंधित नहीं हैं। प्रधानमंत्री ने भी ने कहा है कि एमएसपी जारी है और आगे भी जारी रहेगी।
हालांकि राज्यसभा में भारी हंगामें के बीच दो कृषि विधेयक पारित हो गये। लेकिन फिर भी माननीयों का राज्य सभा में विरोध का जो आचरण रहा आज वह पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया है। हालांकि सरकार भी इन विधेयकों को लेकर एक स्वस्थ बहस की बजाये इन्हे आनन फानन में पास कराने की कोशिश में जुटी है। जिसकारण देश का आम आदमी सरकार के इस उतावलेपन पर विस्मित है।
 

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