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    35 साल के लंबे इंतजार के बाद नजफगढ़ को मिलने जा रहा कॉलेज

    -वीर सावरकर के नाम से होगा नजफगढ़ कॉलेज नाम -पीएम मोदी ने 3 जनवरी को अशोक विहार से वर्चुअल तरीके से रखी आधारशिला

    नजफगढ़/शिव कुमार यादव/अनीशा चौहान/- 35 साल के लंबे इंतजार के बाद आखिर अब नजफगढ़वासियों को कॉलेज मिलने जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 3 जनवरी को अशोक विहार से वर्चुअल तरीके से डीयू के इस कॉलेज की आधारशिला रखी। इसके साथ ही कॉलेज का नामाकरण भी हो गया। नजफगढ़ कॉलेज को वीर सावरकर के नाम से जाना जाएगा। हालांकि इस नाम को लेकर कांग्रेस ने ऐतराज जताया है। कांग्रेस का कहना है कि दिल्ली में वीर सावरकर का कोई लेना-देना नही है इसलिए इस कॉलेज का नाम पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के नाम पर होना चाहिए। वहीं एबीवीपी ने वीर सावरकर के नाम पर नजफगढ़ कॉलेज का नाम रखने का स्वागत किया है। दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के छात्रों को जल्द अत्याधुनिक परिसरों में पढ़ने का मौका मिलेगा। शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अशोक विहार से वर्चुअल तरीके से डीयू के दो नए परिसरों और वीर सावरकर के नाम पर एक कालेज की आधारशिला रखी। 600 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश वाली इन परियोजनायों का उद्देश्य राजधानी में छात्रों के लिए शैक्षिक अवसरों को बढ़ावा देना और सुविधाओं का आधुनिकीकरण करना है।

    बता दें कि डीयू को 51 वर्ष बाद दो नए परिसर मिलने जा रहे हैं। 1973 में आखिरी बार दक्षिणी परिसर निर्मित हुआ था। इसके साथ ही 30 वर्ष बाद डीयू को नया कालेज मिलने जा रहा है। आखिरी बार डीयू में 1995 में भास्कराचार्य कालेज आफ एप्लाइड साइंस खुला था। चार साल से इन परिसरों का निर्माण कार्य शुरू होने का इंतजार किया जा रहा था। 2021 में कार्यकारी परिषद से इन परियोजनाओं को अंतिम रूप दिया गया था, लेकिन निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ था। कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने कहा है कि डेढ़ से दो वर्ष में इनका निर्माण पूरा हो जाएगा। फिलहाल, पूर्वी और पश्चिमी परिसर में एक ला सेंटर को हस्तांतरित किया जाएगा। छात्रों को सुविधायुक्त माहौल में पढ़ने का मौका मिलेगा। अभी इन परिसरों में कितनी सीटें होंगी, इसके बारे में जानकारी जारी नहीं की गई है। बता दें कि डीयू अपनी 100 वर्ष की यात्रा पूरी कर चुका है। उत्तरी परिसर और दक्षिणी परिसर वर्तमान में सुचारू रूप से संचालित हो रहे हैं।

    पूर्वी परिसर सूरजमल विहार में डीयू के पूर्वी परिसर की शुरुआत की जा रही है। 15.25 एकड़ में फैले पूर्वी परिसर को 373 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से विकसित किया जा रहा है। इसमें एलएलबी, एलएलएम और एक एकीकृत पांच वर्षीय एलएलबी कार्यक्रम के साथ- साथ अन्य बहु-विषयक पाठ्यक्रम भी पेश किए जाएंगे। पश्चिमी परिसर द्वारका सेक्टर 22 में पश्चिमी परिसर को मौजूदा उत्तर और दक्षिण परिसरों में जोड़ा जा रहा है। 107 करोड़ रुपये की लागत से बन रहा पश्चिमी परिसर पहले चरण में एक नया शैक्षणिक ब्लाक होगा। 19,434.28 वर्ग मीटर में फैले इस परिसर में 42 कक्षाएं, दो मूट कोर्ट, डिजिटल लाइब्रेरी, कान्फ्रेंस रूम, सेमिनार हाल और छात्र-छात्राओं के लिए अलग-अलग कामन रूम होंगे।

    वहीं नजफगढ़ परिसर का भवन आठ मंजिल का होगा, जिसमें एक बेसमेंट के साथ-साथ 14 क्लासरूम 80 छात्रों की कैपेसिटी के और 10 क्लासरूम 60 छात्रों की कैपेसिटी के होंगे। परिसर में एक आधुनिक लाइब्रेरी व पार्किंग की व्यवस्था भी होगी। भवन में कक्षाऐं 2026 के सत्र में शुरू हो जाऐंगी। इस परिसर की आधारशिला के साथ ही लोगों की प्रतिक्रियाऐं भी आनी शुरू हो गई है। हालांकि एबीवीपी ने इस कॉलेज का नाम वीर सावरकर पर रखने का स्वागत किया है तो कांग्रेस ने इसका विरोध करते हुए कहा कि वीर सावरकर की जगह कॉलेज का नाम पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के नाम पर होना चाहिए। वहीं स्थानीय लोगों का मानना है कि कॉलेज का नाम स्थानीय शहीद या  क्रांतिकारी के नाम पर होना चाहिए था। हालांकि कुछ लोगों का कहना है कि नाम में क्या रखा है बस सबसे बड़ी बात यही है कि देर से ही सही कम से कम नजफगढ़ में कॉलेज तो बना रहा है और वीर सावरकर भी कोई गलत नाम नही है।

    डा. नीरज वत्सः
    डा.नीरज वत्स एक समाजसेवी है और सामाजिक कार्यों में हमेशा आगे खड़े रहते हैं। कॉलेज की लड़ाई को लेकर भी वह सबसे आगे रहे और आज यह उनकी टीम की ही मेहनत का नतीजा है। कॉलेज को लेकर उन्होने कहा कि उन्हें बड़ी खुशी है कि नजफगढ़ में कॉलेज बनने का सपना साकार हो रहा है। उन्होने व उनकी टीम ने इस कॉलेज के लिए एक लंबी लड़ाई लड़ी है। इस कॉलेज में हर साल 5000 बच्चे पढेंगे जिससे क्षेत्र की कायापल्ट हो जाएगी। उन्होने कहा कि कॉलेज के नाम को लेकर कोई विरोध नही है। वीर सावरकर जी भी हमारे स्वतंत्रता सेनानी है। अगर स्थानीय शहीद व क्रांतिकारी का नाम होता तो और भी अच्छा होता लेकिन सरकार का फैसला भी सही है। उन्होने बताया कि वह सालों से बच्चों की फ्री काउंसलिंग कर रहे हैं और हजारों बच्चे उनकी सलाह से आज अच्छे पदों पर काम कर रहे है। इस कॉलेज के बनने से बच्चों को अच्छी शिक्षा मिलेगी और वो शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ सकेंगे उन्हे यही खुशी है। इसके लिए सरकार का आभार।

    प्रवीण शर्माः
    प्रवीण शर्मा एक शिक्षाविद् व भाजपा के नेता है। शिक्षा से वह हमेशा जुड़े रहे है और बीवीएम स्कूल के नाम से एक शिक्षण संस्था भी चला रहे है जिसमें गरीब बच्चों को मुफ्त शिक्षा देते हैं। उन्होने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यह बहुत अच्छी बात है कि नजफगढ़ में वीर सावरकर के नाम से कॉलेज बन रहा है। इस कॉलेज के बनने से नजफगढ़ के युवा क्राईम की तरफ नही शिक्षा की तरफ बढ़ेगे। उन्होने कहा कि बीजेपी झूठे वादें नही करती, काम करती है। भाजपा का लक्ष्य नजफगढ़ देहात के बच्चों को शिक्षित करना है और हमारी सरकार ने इस दिशा में बहुत काम किया है। कॉलेज के नाम को लेकर उन्होने कहा कि वीर सावरकर जी बीजेपी के लिए हमेशा से प्रेरणा स्रोत रहे हैं और नजफगढ़ के लिए इससे अच्छा नाम क्या हो सकता है। देहात का युवा भी वीर सावरकर के नाम से काफी प्रेरित रहा है। मै माननीय पीएम मोदी को इसके लिए बधाई देता हूं।

    करतार सिंह :
    नजफगढ़ कॉलेज के लिए लंबी लड़ाई लड़ने वाले करतार सिंह किसी पहचान के मोहताज नही है। आज जिस कॉलेज की आधारशिला पीएम मोदी ने रखी है यह उन्हे के संघर्ष का नतीजा है। करतार सिंह का मानना है कि उन्हे बड़ी खुशी है कि उनकी टीम की मेहनत का रंग अब दिखने लगा है। उन्होने कहा कि इस मामले में सांसद कमलजीत सहरावत जी का विशेष योगदान रहा हैं। उन्होने कहा कि 35 साल बाद नजफगढ़ में आखिर कॉलेज बन रहा है। कॉलेज के नाम को लेकर चल रहे विवाद पर उन्होने कहा कि उन्हें नाम से कोई लेना-देना नही है। कॉलेज बने हमारे बच्चे पढ़ें यही सबसे अच्छी बात है। उन्होने कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि यह मांग कांग्रेस की नही नेहरू परिवार की एक राजनीतिक चाल है। अपने समय में तो कांग्रेस ने इस कॉलेज को बनवाया नही और अब इस पर राजनीति कर रहे हैं। जबकि मनमोहन सिंह के साथ क्या बर्ताव किया है यह सभी जानते हैं। वीर सावरकर के नाम पर बनने वाले कॉलेज के लिए पीएम मोदी जी को बधाई।

    राजेश शर्माः
    प्रकृति को बचाने के लिए अनवरत संघर्ष कर रहे राजेश शर्मा जी की माने तो नजफगढ़ में शिक्षा का मंदिर बन रहा है यह बहुत अच्छी बात है। हम सब को आगे बढ़कर इसका स्वागत करना चाहिए। हमारे बच्चों को अब उनके दरवाजे पर ही उच्च शिक्षा मिलने जा रही जिससे क्षेत्र में आने वाले समय में शिक्षा का प्रचार-प्रसार बढ़़ेगा। उन्होने कहा कि राजा नाहर सिंह के नाम से कॉलेज का नाम होता तो अच्छा होता। लेकिन वीर सावरकर जी हमारे महान क्रांतिकारी नेता है और हमारे युवाओं के प्रेरणा स्रोत भी है। मैं उनके नाम का समर्थन करता हूं।

    अनिल डागरः
    नाहरगढ़ उत्थान संघ के अध्यक्ष अनिल डागर का कहना है कि हम नजफगढ़ का नाम नाहरगढ़ कराने के लिए कई साल से संघर्ष कर रहे हैं। अगर कॉलेज का नाम महान स्वतंत्रता सेनानी राजा नाहर सिंह के नाम पर होता तो बड़ा अच्छा होता। हमने भाजपा नेताओं को इसके लिए अपना सुझाव भी दिया था। उन्होने कहा कि राजा नाहर सिंह को बाहरी कहना गलत है। नजफगढ़ उनकी रियासत का हिस्सा था और उनकी रियासत में 210 गांव आते थे। फिर भी उन्होने वीर सावरकर के नाम का भी स्वागत किया।

    कवल सिंह यादवः
    नजफगढ़ से कांग्रेस के पूर्व विधायक कवल सिंह यादव का कहना है कि यह अच्छी बात है कि नजफगढ़ में कॉलेज बन रहा है और जिसने भी यह काम किया है बहुत अच्छा काम किया है। हालांकि यह काम 10 साल पहले हो जाना चाहिए था लेकिन आज हुआ है यह भी ठीक है। यह बात और है कि हमारी सरकार इस काम को नही कर पाई। कॉलेज के नाम को लेकर उन्होने कुछ कहने से इंकार कर दिया। उन्होने कहा कि जो कॉलेज बना रहा है नाम भी वही रखेगा।

    रमेश सहरावतः
    रमेश सहरावत एक जानेमाने शिक्षाविद् है और नजफगढ़ में नवउदय कांवेंट स्कूल के नाम से शिक्षण संस्था चला रहे है। कॉलेज को अस्तित्व में लाने के लिए उनकी विशेष भूमिका रही है। उन्होने करतार सिंह के नेतृत्व में कॉलेज के लिए लड़ाई लड़ रही समिति का पूरे तन-मन-धन से सहयोग किया है या यूं कहिये कि अगर उनका सहयोग नही होता तो शायद आज जो काम हो रहा है वह सपना बनकर ही रह जाता। रमेश सहरावत का मानना है कि वीर सावरकर की जगह अगर राजा नाहर सिंह नाम होता तो बहुत अच्छा होता क्योंकि सावरकर जी के नाम तो अनेक संस्थाऐं है। हमारे तो सिर्फ कुछ एक ही शहीद व योद्धा है। बाकि तो सरकार को करना है। मोदी जी ने जो नाम दिया है वह भी सही है।
    हमार उद्देश्य बच्चों की शिक्षा को लेकर है और वह पूरा हो रहा है। उन्होने इसके लिए सभी क्षेत्र वासियों को बधाई दी।

    डा. संजय पाराशरः
    डा. संजय पाराशर क्षेत्र में जगदीश मैमोरियल अस्पताल व धर्माथ ट्रस्ट   चलाते है जिसमें गरीबों का मुफ्त ईलाज किया जाता है और ट्रस्ट में महिलाओं व बच्चियों को मुफ्त ट्रेनिंग दी जाती है। वह आम आदमी पार्टी के नेता हैं। कॉलेज को लेकर डा. संजय पाराशर का कहना है कि यह एक चुनावी स्टंट है। कॉलेज का तीन बार उद्घाटन हो चुका है। पिछले साल दिल्ली के एलजी साहब ने इस परिसर में डीयू का कन्वेंशन सैंटर खोला था जिसमें बच्चों की काउंसलिंग होनी थी। अब अगर कॉलेज की आधारशिला रखी गई है तो अच्छी बात है लेकिन यह शुरू होनी चाहिए। केंद्र सरकार ने यहां के प्राईमरी हैल्थ सैंटर में भी एक अस्पताल बनवाया था जिसमें आज तक चिकित्सक तक नही है और करोड़ो का परिसर बदहाल पड़ा है। लोग सरकार को कोस रहे हैं। फिर भी अगर कॉलेज बनता है तो यह नजफगढ़ के लिए अच्छी बात है। रही बात कॉलेज के नाम की तो वीर सावरकर भी अच्छा नाम है। हमारा इसमें कोई विरोध नही है। उन्होने कहा कि जब आज तक नजफगढ़ का नाम नाहर गढ़ नही हुआ तो फिर और नामों से क्या लेना देना है।  

    तरूण यादवः
    तरूण यादव नजफगढ़ की राजनीति में एक उभरता हुआ नाम है। वह समाजसेवी है और सामाजिक कार्यों में हमेशा आगे खड़े रहते हैं। इस बार होने वाले विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी के नजफगढ़ से उम्मीदवार हैं। तरूण यादव का कॉलेज को लेकर कहना है कि यह काम बहुत साल पहले हो जाना चाहिए था। पहले कांग्रेस ने इसे लटका कर रखा और अब भाजपा ने 10 साल तक इस पर कोई काम नही किया। यह तो सामाजिक कार्यकर्ता करतार सिंह व उनकी टीम की मेहनत का नतीजा है जो आज नजफगढ़ में कॉलेज बन रहा है। इसके लिए मैं करतार सिंह जी की टीम को बधाई देता हूं। अब क्षेत्र के युवाओं को उच्च शिक्षा के लिए भटकना नही पड़ेगा। उन्होने कहा कि भाजपा ने आज दिल्ली में चुनावों को भुनाने के लिए इसकी आधारशिला रखी है। अगर यह कॉलेज बनता है तो अच्छी बात है और हां अगर स्थानीय योद्धा या स्वतंत्रता सेनानी के नाम पर इसका नाम होता तो और भी अच्छा होता।

    सतीश दलालः
    सतीश दलाल एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं और कॉलेज संघर्ष समिति के सदस्य है। सतीश दलाल का कहना है कि जितनी खुशी आज हुई है इतनी खुशी आज से पहले कभी नही हुई। आज संघर्ष समिति की मेहनत रंग लाई है और समाज में एक मिसाल कायम हुई है। उनका कहना है कि शिक्षा समाज का आईना होती है और हमारे यहां तो शिक्षा का मंदिर बन रहा है। कॉलेज के नाम को लेकर उन्होने कहा कि भारत भूमि वीरों की भूमि है और वीर सावरकर का तो नाम ही वीर से शुरू होता है तो इससे अच्छी बात क्या हो सकती है।

    एडवोकेट आर पी चौधरीः
    कॉलेज संघर्ष समिति के कानूनी सलाहकार व हाईकोर्ट तथा सुप्रीम कोर्ट में कॉलेज केस की पैरवी करने वाले एडवोकेट आर पी चौधरी का कहना है कि उन्हे इस शिक्षा व स्वास्थ्य से जुड़े सामाजिक कार्यों को करने में बड़ी खुशी मिलती है। उन्होने कहा कि नाम में क्या रखा है आज हम नाम के लिए फिर संघर्ष करने यह भी ठीक नही है। और वीर सावरकर जी हमारे स्वतंत्रता सेनानी थे तो उनके नाम में क्या बुराई है। इस कॉलेज के बनने पर यहां से हमारे बच्चे इंजिनियर व डाक्टर बनकर निकलेंगे इससे अच्छा और क्या हो सकता है।

    औमप्रकाश सहरावतः
    भगिनी निवेदिता महिला कॉलेज बनवाने में अहम भूमिका निभाने वाले और नजफगढ़ कॉलेज संघर्ष समिति में सक्रिय भूमिका निभाने वाले वयोवृद्ध समाजसेवी औमप्रकाश सहरावत का कहना है कि सरकार ने वीर सावरकर का नाम रखकर गलत किया है। नजफगढ़ देहात में महेन्द्र प्रताप, शहीद भगत सिंह, सुरजमल, राजा नाहर सिंह, राव तुलाराम का काफी नाम है। इन्ही में से एक नाम कॉलेज को दिया जाना चाहिए था। वीर सावरकर को नजफगढ़ देहात में जानने वाले बहुत ही कम है। उन्होने कहा कि यही सबसे बड़ी बात है कि नजफगढ़ में कॉलेज बन रहा है। हम पीएम मोदी व क्षेत्र की जनता का इसकी बधाई देते हैं।  

    दिलबाग सिंहः
    दिलबाग सिंह एक समाजसेवी है और फिलहाल जाट भवन में कैशियर के रूप में अपनी सेवा दे रहे हैं। दिलबाग सिंह का कहना है कि जो नाम भाजपा ने कॉलेज का रखा है। वह क्षेत्र के साथ सरासर अन्याय है। उन्होने कहा कि अगर वीर सावरकर स्वतंत्रता सेनानी थे तो सरकार बताये कि वो अंग्रेजो 60 रूपये पेंशन किस बात की ले रहे थे। जबकि अग्रेजों के अधिकारी वायसराय की पेंशन भी उस समय सिर्फ 44 रूपये थी। उन्होने कहा कि किसी भी क्षेत्र में वहां के स्थानीय योद्धाओं और स्वतंत्रता सेनानियों को प्राथमिकता देनी चाहिए यूं कोई भी थोपना नही चाहिए।

    शिव कुमार शौकीनः
    एक तेजतर्रार वक्ता व समाजसेवी शिव कुमार शौकीन का कहना है कि नेशनल स्तर पर तो वीर सावरकर का नाम सही है। लेकिन इस नाम से नजफगढ़ 360 की उपेक्षा की गई है। यह आधारशिला सिर्फ दिल्ली विधानसभा चुनावों को देखते हुई रखी गई हैं। अभी और भी इस तरह के उद्घाटन व आधारशिलाऐं भाजपा रखेगी। मेरा मानना है कि नजफगढ़ देहात में अनेकों ऐसे योद्धा व स्वतंत्रता सेनानी हुए है जिनके नाम पर कॉलेज का नाम रखा जाना था। उन्होने कहा कि यह नजफगढ़ का दुर्भाग्य ही है कि सरकारें नजफगढ़ देहात के लोगों की भावनाओं से खेलती है और उद्घाटन-2 की राजनीति करती है।

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