नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/दिल्ली/शिव कुमार यादव/- देश में स्कूली छात्रों में दूसरों की देखभाल करने व वस्तुओं को सांझा करने की भावना पैदा करना करने के लिए उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने युवाओं के लिए सामुदायिक सेवा अनिवार्य करने की पैरवी की है। उनका मानना है कि हमारे बच्चे अपनी संस्कृति से दूर हो रहे है। उन्होने इसके लिए सरकारी व निजी स्कूलों के बच्चों के लिए सामुदायिक सेवा अनिवार्य करने की सलाह देते हुए कहा कि इस देश के युवाओं में युवावस्था से सेवा की भावना पैदा करने की अत्यंत आवश्यकता है. मेरी सलाह है कि जब यह वैश्विक महामारी समाप्त हो जाएगी और सामान्य स्थिति लौट आएगी. तब सरकारी और निजी स्कूलों को कम से कम दो से तीन सप्ताह के लिए छात्रों के लिए सामुदायिक सेवा अनिवार्य बना देनी चाहिए।’
उपराष्ट्रपति नायडू ने केरल में कैथोलिक समुदाय के एक आध्यात्मिक नेता और समाज सुधारक संत कुरियाकोस इलियास चावरा की 150वीं पुण्यतिथि के अवसर पर निकटवर्ती मन्नानम में आयोजित एक समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया। उन्होंने कहा कि स्कूली स्तर पर युवाओं में सेवा की भावना पैदा करने से उनमें वस्तुओं को साझा करने और दूसरों की देखभाल करने की भावना पैदा होगी। नायडू ने कहा, ‘वास्तव में, वस्तुओं को साझा करने और दूसरों की देखभाल का दर्शन भारत की सदियों पुरानी संस्कृति के मूल में है और इसका व्यापक प्रसार किया जाना चाहिए.।
उन्होंने कहा, ‘हमारे लिए पूरा विश्व एक परिवार है और यही हमारे कालातीत आदर्श ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ का अर्थ है। इसी भावना के साथ हमें एक साथ आगे बढ़ना चाहिए।’ उपराष्ट्रपति ने महान समाज सुधारक श्री नारायण गुरु और संत चावरा जैसे दूरदर्शी आध्यात्मिक नेताओं के विभिन्न क्षेत्रों में योगदान पर प्रकाश डालते हुए अन्य राज्यों से शिक्षा, सामाजिक न्याय और महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में केरल से प्रेरणा लेने का आग्रह किया।
उन्होंने कहा कि विकास के लाभ देश की सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था के सबसे पिछले और गरीब वर्ग के सबसे आखिरी व्यक्ति तक भी पहुंचने चाहिए, जैसा कि दूरदर्शी विचारक, कार्यकर्ता और समाज सुधारक पंडित दीनदयाल उपाध्याय के ‘अंत्योदय’ के दर्शन में बताया गया है। नायडू ने कहा कि हालांकि संत चावरा की पहचान और उनकी सोच को उनकी कैथोलिक आस्था के आदर्शों ने आकार दिया. लेकिन सामाजिक और शैक्षणिक सेवा के क्षेत्र में उनके कार्य केवल उस समुदाय की प्रगति और विकास तक ही सीमित नहीं थे।
- बोले- बच्चों में दूसरों की देखभाल करने की भावना का होगा विकास’,
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