मानसी शर्मा / – सुल्तानपुरी के अधिकतर पार्क बदहाल हो चुके हैं, इन पार्कों में लोगों ने जाना ही छोड़ दिया है। हरियाली के नाम पर कुछ भी नहीं बचा है। पानी के अभाव में घास और पौधे सूख गए। हर तरफ फैली गंदगी और उड़ती धूल इन पार्कों की पहचान बन चुकी है। असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लगा रहता है। दैनिक जागरण ने सुल्तानपुरी के तीन पार्कों की पड़ताल की, दो पार्कों में लोग रस्सी बांध कपड़े व मछली के जाल सूखाते दिखे, तो एक पार्क में घोड़े बंधे हुए थे, पास में अराजक तत्व जुआ खेलते दिखे।
ए-ब्लाक पार्क में सूखते हैं कपड़े : सुल्तानपुरी स्थित जलेबी चौक के पास दिल्ली नगर निगम का एक छोटा पार्क है। इस पार्क में कपड़े सूखाने के लिए कई रस्सियां बांधी गई हैं। जिन पर कुछ लोग कपड़े सूखाते हैं। कई रस्सियां बंधी होने के कारण इस पार्क में लोगों का टहलना व बच्चों का खेलना मुश्किल हो गया है। यहां पानी के अभाव में घाल व पौधे सूख चुके हैं। हरियाली ना होने से अधिकतर लोग इस पार्क में जाना भी नहीं चाहते हैं। आसपास के लोग चाहते हैं कि इस पार्क से अतिक्रमण साफ कर फिर से हरा भरा बनाया जाना चाहिए, ताकि लोग यहां अपना कुछ समय बीता सके।
पार्क में ही बंधे दिखे घोड़े: सुल्तानपुरी ई-2 ब्लाक स्थित दिल्ली नगर निगम के इस पार्क में तो लोगों ने जाना ही छोड़ दिया है। यहां हर तरफ फैली गंदगी और घोड़े बंधे होने के कारण लोग नहीं जाते हैं। यह पार्क धीरे-धीरे असमाजिक तत्वों का भी अड्डा बनता जा रहा है। सुबह से देर रात यहां जुआ खेलते दिखते हैं। एक स्थानीय निवासी ने बताया कि यहां लंबे समय से घोड़े बांधने का खेल चल रहा है। कई बार इसे लेकर कुछ लोगों ने आपत्ति भी जाहिर की है, लेकिन इस पर कार्रवाई होता नहीं दिख रहा है।
यहां सूखाते हैं मछली पकड़ने का जाल : सुल्तानपुरी पी-4 पार्क में रोजाना कुछ मछुआरे मछली पकड़ने का जाल सूखाते दिख जाते हैं।जिससे पार्क में गंदगी के साथ-साथ प बदबू भी फैलती है। इस पार्क में ना तो घास है और नहीं पौधे लगाए जा रहे हैं। हर समय धूल, मिट्टी उड़ती रहती है।
इस पार्क को छठपूजा पार्क के नाम से भी जाना जाता है। पार्क के मुख्य द्वार पर ही काफी संख्या में गाड़ियां पार्क होती है, जिससे पार्क में आने-जाने वाले लोगों को भी परेशानी होती है। पार्क की दीवार 1 के साथ ही सुल्तानपुरी पुलिस – थाना का एक बूथ भी है, वहीं कुछ मीटर की दूरी पर सुल्तानपुरी थाना भी है। फिर भी यहां गाड़ियां पार्क होती हैं।। स्थानीय लोगों ने बताया कि लंबे समय से इस पार्क में न तो माली ही आए और नहीं किसी संबंधित अधिकारी ने आना जरूरी समझा।
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