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    सियासत में फंसा दिल्ली का बजट, अब केंद्र-दिल्ली आमने-सामने

    -दिल्ली सरकार ने सचिवों पर केंद्र के इशारे पर काम करने का लगाया आरोप

    नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/नई दिल्ली/भावना शर्मा/- 21 मार्च को दिल्ली विधानसभा में आम बजट पेश होना था। दिल्ली की जनता भी बजट का बेसब्री से इंतजार कर रही थी लेकिन तभी सूचना मिलती है कि 21 को दिल्ली सरकार का बजट पेश नही होगा जिसपर चर्चाओं के साथ-साथ आरोप-प्रत्यारोप का खेल भी शुरू हो गया और बजट पर केंद्र-दिल्ली आमने-सामने आ गये। हालांकि अभी तक केजरीवाल सरकार दिल्ली के एलजी पर केंद्र से मिले होने का आरोप लगाती रही है लेकिन बजट रूकने से केजरीवाल ने दिल्ली के सचिवों पर भी केंद्र से मिले होने का आरोप लगाने में देरी नही की। साथ ही यह भी का दिया कि सचिव दिल्ली सरकार के खिलाफ केंद्र के कहने पर षडयंत्र रच रहे हैं।
                      करीब सवा आठ बजे अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर गृहमंत्रालय पर दिल्ली का बजट रोकने का आरोप लगा दिया। इसके बाद भाजपा की ओर से भी कुछ बयान आने लगे। रात 9.00 बजे राजनिवास की ओर से एक स्पष्टीकरण आया।

    राजनिवास का स्पष्टीकरण
    इस स्पष्टीकरण में कहा गया था कि, एलजी ने 9 मार्च को कुछ टिप्पणियों के साथ वार्षिक वित्तीय विवरण 2023-2024 को मंजूरी दी और फाइल मुख्यमंत्री को भेजी। इसके बाद दिल्ली सरकार ने गृह मंत्रालय को एक पत्र भेजकर राष्ट्रपति (कानून द्वारा अनिवार्य) की मंजूरी मांगी। गृह मंत्रालय ने 17 मार्च को दिल्ली सरकार को अपनी टिप्पणियों से अवगत कराया। बजट 21 मार्च को पेश किया जाना था। उपराज्यपाल कार्यालय अभी मुख्यमंत्री की ओर से फाइल भेजे जाने का इंतजार कर रहा है।
                     उपराज्यपाल कार्यालय का कहना है कि दिल्ली सरकर से रात 9.25 पर फाइल मिली और एलजी ने मंजूरी देते हुए कानूनन आगे की कार्रवाई के लिए 10.05 पर मुख्यमंत्री को भेज दिया।

    पूरे मुद्दे पर केजरीवाल सरकार का पक्ष
    केजरीवाल सरकार का कहना है कि जब गृहमंत्रालय ने बजट पर टिप्पणियां करके 17 मार्च को ही भेज दिया था तो आखिर दिल्ली के मुख्य सचिव और वित्त सचिव ने वो फाइल अपने पास तीन दिन तक क्यों रखी। बजट की इतनी जरूरी फाइल दिल्ली के दोनों सचिव अपने पास कैसे रख सकते हैं।
                     जब वित्त मंत्री कैलाश गहलोत को गृहमंत्रालय की टिप्पणियों की जानकारी हुई तो उन्होंने तुरंत उत्तर लिखकर फाइल आगे भेजी। तीन घंटे के काम को तीन दिन तक सचिवों ने क्यों रोका। क्या वह केंद्र के इशारे पर काम कर रहे हैं? केंद्र सरकार को इन दोनों सचिवों को हटा देना चाहिए, लेकिन वो ऐसा नहीं करेंगे क्योंकि यह दिल्ली सरकार के खिलाफ षड्यंत्र है।

    क्या हैं वो तीन बिंदु जिस पर आखिरी मोमेंट पर अटका बजट
    1) बजट का मात्र 20 फीसदी पूंजीगत व्यय (कैपिटल एक्सपेंडीचर) पर खर्च करने का प्रस्ताव है। यह राशि, दिल्ली जो देश की राजधानी है और एक महानगर भी है, के लिए पर्याप्त नहीं है।
    2) केजरीवाल सरकार दो साल में प्रचार-प्रसार पर खर्च को दो गुना कर चुकी है, जिसपर उपराज्पयपाल महोदय ने स्पष्टीकरण मांगा है।
    3) आयुष्मान भारत जैसी अन्य केंद्रीय योजनाओं का लाभ दिल्ली की गरीब को जनता न देने पर भी उपराज्यपाल ने स्पष्टीकरण मांगा है।

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