
कोलंबो/- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी श्रीलंका के तीन दिन दौरे पर हैं। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी दोनों देशों के बीच रक्षा संबंधों और ऊर्जा, व्यापार और क्नेक्टिविटी में सहयोग बढ़ाने के लिए द्विपक्षीय वार्ता करेंगे। कोलंबों पंहुचने पर पीएम मोदी का गार्ड ऑफ ओनर के साथ भव्य स्वागत किया गया जिसमें श्रीलंका के 6 मंत्रियों ने पीएम मोदी की अगुवाई की। वहीं हिंद महासागर क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को देखतें हुए भी यात्रा काफी अहम मानी जा रही है। जिसे लेकर चीन के साथ-साथ पूरे विश्व की नजर इस यात्रा पर लगी हुई है।

पीएम मोदी श्रीलंकाई राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके के बीच द्विपक्षीय बातचीत शुरू हो गई है। इस मौके पर भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी मौजूद हैं।
कोलंबो में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और श्रीलंकाई राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके ने संयुक्त रूप से सौमपुरा सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट का वर्चुअल उद्घाटन किया। इस प्रोजेक्ट का मकसद श्रीलंका की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करना, जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करना और नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देना है। यह प्रोजेक्ट 19 साल से रूका हुआ था।


इससे पहले पीएम मोदी को इंडिपेंडेंस स्क्वायर पर गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। इस दौरान उन्हें तोपों की सलामी भी दी गई। अधिकारियों के मुताबिक पहली बार श्रीलंका ने किसी मेहमान नेता का इंडिपेंडेंस स्क्वायर पर ऐसा भव्य स्वागत किया गया है।

इंडिपेंडेंस स्क्वायर श्रीलंका के ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता हासिल करने की स्मृति में बनाया गया है। श्रीलंका में विदेशी नेताओं का स्वागत आमतौर पर राष्ट्रपति भवन, भंडारनायके मेमोरियल इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस हॉल में होता रहा है। बता दें कि पीएम मोदी का यह तीसरा श्रीलंका दौरा है। इससे पहले वे 2015 और 2019 में श्रीलंका का दौरा कर चुके हैं।

कोलंबो में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और श्रीलंकाई राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके ने संयुक्त रूप से सौमपुरा सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट का वर्चुअल उद्घाटन किया। सौमपुरा एक 120 मेगावाट (50 मेगावॉट प्रथम चरण $ 70 मेगावॉट दूसरा चरण) का सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट है, जो श्रीलंका के पूर्वी त्रिंकोमाली जिले में स्थित है। भारत की नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन (एनटीपीसी) और श्रीलंका की सेलोन इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड (सीईबी)मिलकर इसे डेवलप कर रहे हैं। इस प्रोजेक्ट का मकसद श्रीलंका की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करना, जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करना और नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देना है।
भारत-श्रीलंका-यूएई में एमओयूका आदान-प्रदान
पीएम मोदी और श्रीलंकाई राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके की मौजूदगी में भारत, संयुक्त अरब अमीरात और श्रीलंका के बीच एक त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन का आदान-प्रदान हुआ। यह समझौता भारत, यूएई और श्रीलंका के बीच सहयोग को बढ़ाने के लिए है, जिसमें मुख्य रूप से एनर्जी, समुद्री व्यापार, और क्षेत्रीय सुरक्षा जैसे क्षेत्र शामिल हो सकते हैं।

मोदी का 6 मंत्रियों ने एयरपोर्ट पर किया स्वागत मोदी कल रात थाईलैंड दौरे के बाद श्रीलंका पहुंचे थे। एयरपोर्ट पर श्रीलंका के 6 मंत्रियों ने उन्हें रिसीव किया। इसमें विदेश मंत्री विजिता हेराथ, स्वास्थ्य मंत्री नलिंदा जयतिस्सा, श्रम मंत्री अनिल जयंता, मत्स्य पालन मंत्री रामलिंगम चंद्रशेखर, महिला एवं बाल मामलों की मंत्री सरोजा सावित्री पॉलराज और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री क्रिशांथा अबेसेना शामिल थे। इस मौके पर एयरपोर्ट पर भारी संख्या में भारतीय समुदाय के लोग भी मौजूद थे। उन्होंने मोदी-मोदी के नारे लगाए।
भारत-श्रीलंका के डिफेंस डील पर मुहर
मोदी और दिसानायके के बीच पहली बार डिफेंस डील पर मुहर लगेगी। यह समझौता दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग को बढ़ाने और हिंद महासागर क्षेत्र में सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। यह समझौता दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग के लिए एक औपचारिक ढांचा तैयार करेगा। इसमें संयुक्त सैन्य अभ्यास, प्रशिक्षण, सूचना साझा करना, और समुद्री सुरक्षा पर सहयोग शामिल हो सकता है। हिंद महासागर में बढ़ते चीनी प्रभाव को काउंटर करने के लिए यह भारत की रणनीति का हिस्सा है।

श्रीलंका के विदेश मंत्री विजिथा हेराथ के मुताबिक, इस समझौते की रूपरेखा दिसंबर 2024 में तैयार की गई थी, जब राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके ने भारत का दौरा किया था।
समुद्री सुरक्षाः दोनों देश पाक स्ट्रेट और हिंद महासागर में समुद्री निगरानी और पायरेसी रोकने के लिए सहयोग बढ़ा सकते हैं।
सैन्य उपकरण और तकनीकः भारत श्रीलंका को रक्षा उपकरणों की आपूर्ति या तकनीकी सहायता दे सकता है।
आतंकवाद विरोधी सहयोगः आतंकवाद और क्षेत्रीय खतरों से निपटने के लिए खुफिया जानकारी साझा करना।
ट्रेनिंगः श्रीलंकाई सैनिकों को भारत में ट्रेनिंग।
दिसंबर 2024 में श्रीलंकाई राष्ट्रपति अनुरा कुमार दिसानाइके भारत की यात्रा पर आए थे। तब उन्होंने पीएम मोदी से मुलाकात की थी।
श्रीलंका को लोन चुकाने में राहत दे सकता है भारत
भारत ने श्रीलंका को दिसंबर 2024 तक लगभग 5 बिलियन अमेरिकी डॉलर की लाइन ऑफ क्रेडिट और ग्रांट सहायता दी है। लोन रिस्ट्रक्चर में कर्ज लेने वाला श्रीलंका, भारत के साथ कर्ज की शर्तों में बदलाव- जैसे कि ब्याज दरों को कम करना, कर्ज चुकाने की अवधि बढ़ाना या फिर कुछ मामलों में कर्ज का एक हिस्सा माफ करने की मांग कर सकता है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दोनों नेता बिजली, रेलवे और अन्य क्षेत्रों में ऐसी कई परियोजनाओं की शुरुआत भी करेंगे, जो श्रीलंका में भारत के सहयोग से चल रही हैं। मोदी देश के और भी कई नेताओं से मिल सकते हैं।
उम्मीद की जा रही है कि मोदी और दिसानायके ऐतिहासिक शहर अनुराधापुरा भी जाएंगे और वहां स्थित महाबोधि मंदिर के दर्शन करेंगे। यहां के महाबोधि पेड़ को उस बोधि पेड़ का अंश माना जाता है जिसके नीचे महात्मा बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। इस पेड़ के 2,300 साल से भी ज्यादा पुराना होने के दावे किए जाते हैं।
भारतीय मछुआरों के मुद्दे पर बात कर सकते हैं पीएम मोदी
भारत और श्रीलंका के बीच मछुआरों से जुड़ा मुद्दा एक संवेदनशील और लंबे समय से चला आ रहा विवाद है, जो मुख्य रूप से पारंपरिक मछली पकड़ने के अधिकारों और समुद्री सीमा उल्लंघन से जुड़ा है। तमिलनाडु और श्रीलंका के मछुआरे पाक जलडमरूमध्य और मन्नार की खाड़ी में मछली पकड़ते हैं। यह इलाका समुद्री जैव विविधता से भरपूर है, लेकिन भारत और श्रीलंका की समुद्री सीमाएं निर्धारित हैं, और इनका उल्लंघन करना अंतरराष्ट्रीय अपराध माना जाता है। अक्सर तमिलनाडु के मछुआरे मछली पकड़ने के लिए श्रीलंकाई जल क्षेत्र में घुस जाते हैं।

विवाद के मुख्य कारण…
1. पारंपरिक रूप से मछली पकड़ने का दावाः भारत के मछुआरे कहते हैं कि वे सदियों से इन जल क्षेत्रों में मछली पकड़ते आ रहे हैं, और यह उनका पारंपरिक अधिकार है।
2. कच्चाथीवू द्वीपः भारत और श्रीलंका के बीच 1974 में एक समझौता हुआ था जिसमें कच्चाथीवू द्वीप श्रीलंका को दिया गया, और दोनों देशों की समुद्री सीमाएं तय की गईं। हालांकि, मछुआरे आज भी उस पर सवाल उठाते हैं।
3. ट्रॉलर का इस्तेमालः भारतीय मछुआरे मोटर से चलने वाले ट्रॉलरों का इस्तेमाल करते हैं। श्रीलंका के मछुआरे इसका विरोध करते हैं, क्योंकि इससे उनकी आजीविका पर असर पड़ता है।
4. श्रीलंकाई नौसेना की कार्रवाईः जब भारतीय मछुआरे श्रीलंकाई जल सीमा में प्रवेश करते हैं, तो उन्हें श्रीलंकाई नौसेना गिरफ्तार कर लेती है। उनकी नावें जब्त कर ली जाती हैं, और कई बार हिंसा की घटनाएं भी होती हैं।
श्रीलंका में तमिल समुदाय के अधिकार बढ़ाने की मांग कर सकते हैं मोदी
29 जुलाई 1987 को भारत और श्रीलंका की सरकारों के बीच एक समझौता हुआ था। इसमें श्रीलंका ने वादा किया था कि वो देश के तमिलों को संविधान के 13वें संशोधन के तहत तमाम अधिकार देगा। समझौते में यह कहा गया था कि 13वें संशोधन के तहत स्टेट काउंसिल बनाई जाएंगी और इनमें तमिलों को भी संख्या के आधार पर जगह दी जाएगी।
हालांकि, इस समझौते को अब तक लागू नहीं किया गया है। इस वजह से तमिल श्रीलंका की सत्ता और सिस्टम का हिस्सा नहीं बन पाए हैं। इसके चलते श्रीलंका के तमिल लोगों में नाराजगी है। करीब तीन साल पहले श्रीलंका की सात तमिल पार्टियों के नेताओं ने च्ड मोदी को एक लेटर लिखकर कहा था कि भारत सरकार श्रीलंका सरकार के आगे उनका मुद्दा उठाए।
पीएम मोदी को खास सम्मान
श्रीलंका में प्रधानमंत्री मोदी को मित्र विभूषण पदक से सम्मानित किया गया है। मोदी को यह सम्मान द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने और दोनों देशों की साझा सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को बढ़ावा देने के उनके असाधारण प्रयासों के कारण दिया गया है। यह किसी विदेशी राष्ट्र द्वारा पीएम मोदी को प्रदान किया गया 22वां अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार है। असाधारण वैश्विक मित्रता को मान्यता देने के लिए विशेष रूप से स्थापित यह पदक भारत-श्रीलंका संबंधों की गहराई और गर्मजोशी को दर्शाता है। धर्म चक्र साझा बौद्ध विरासत का प्रतिनिधित्व करता है जिसने दोनों देशों की सांस्कृतिक परंपराओं को आकार दिया है। यदि रक्षा सहयोग संबंधी समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हो जाते हैं तो यह भारत और श्रीलंका के बीच रक्षा संबंधों में एक बड़ी पहल का संकेत होगा। इसी के साथ लगभग 35 वर्ष पहले भारत द्वारा श्रीलंका से भारतीय शांति रक्षा सेना (आईपीकेएफ) को वापस बुलाए जाने से संबंधित कटु अध्याय पीछे छूट जाएगा।
भारत-श्रीलंका रिश्ता साझा इतिहास, धर्म, संस्कृति और लोगों के बीच मजबूत संपर्क में गहराई से निहित हैं। आधुनिक युग में, यह एक करीबी आर्थिक, सांस्कृतिक और तकनीकी साझेदारी में विकसित हुआ है। श्रीलंका हमारी ’पड़ोसी पहले’ नीति का एक अभिन्न अंग है और आपसी विश्वास और सद्भावना पर आधारित यह रिश्ता समय की कसौटी पर खरा उतरा है। – विक्रम मिसरी, विदेश सचिव, भारत
चीन को क्यों लगेगी मिर्ची?
चीन हिंद महासागर क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ा रहा है, खास तौर पर भारतीय सामरिक महत्व के क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। श्रीलंका के ऋण संकट के कारण हंबनटोटा बंदरगाह के अधिग्रहण ने चीन को वहां 25,000 टन वजनी उपग्रह और मिसाइल ट्रैकिंग जहाज युआन वांग 5 सहित अन्य जहाजों को तैनात करने की अनुमति दी है। श्रीलंका पर चीन का सैन्य प्रभाव भी बढ़ रहा है। श्रीलंका की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए यह रणनीतिक स्थिति भारत के लिए चिंता का विषय है। ऐसे में भारत द्वीपीय देश के साथ अपने संबंधों को नए सिरे से मजबूत कर रहा है। इस कड़ी में शानदार स्वागत के साथ ही मित्र विभूषण पदक से निश्चित रूप से चीन को मिर्ची लग सकती है।
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