शारदीय नवरात्रि 2025: अष्टमी और नवमी पर कन्या पूजन का महत्व और विधि

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December 23, 2025

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शारदीय नवरात्रि 2025: अष्टमी और नवमी पर कन्या पूजन का महत्व और विधि

मानसी शर्मा /- शारदीय नवरात्रि 2025 का शुभारंभ 22 सितंबर से होगा और यह पर्व 01 अक्टूबर तक चलेगा। नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना की जाएगी। इस दौरान कन्या पूजन (कंजक/कुमारी पूजन) का विशेष महत्व होता है।

शारदीय नवरात्रि 2025 का शुभारंभ 22 सितंबर से होगा और यह पर्व 01 अक्टूबर तक चलेगा। नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना की जाएगी। इस दौरान कन्या पूजन (कंजक/कुमारी पूजन) का विशेष महत्व होता है।

इस वर्ष पंचांग के अनुसार, अष्टमी तिथि 30 सितंबर को और नवमी तिथि 01 अक्टूबर को रहेगी। परंपरा के अनुसार, कन्या पूजन अष्टमी या नवमी दोनों दिन किया जा सकता है।

कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त

अष्टमी (30 सितंबर 2025): सुबह 10:40 बजे से दोपहर 12:10 बजे तक

नवमी (01 अक्टूबर 2025): सुबह 8:06 बजे से 9:50 बजे तक

कन्या पूजन का महत्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, 2 से 10 वर्ष की आयु की कन्याओं में मां दुर्गा का दिव्य स्वरूप निवास करता है। इनकी पूजा करने से—

व्रत का पारण शुभ होता है

स्वास्थ्य, धन, संतान सुख और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है

परिवार में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है

नारी शक्ति का सम्मान और संरक्षण होता है

कन्या पूजन की विधि

पूजन स्थल तैयार करें: पूजा स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें, मां दुर्गा की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें, लाल कपड़े से आसन सजाएं और दीपक जलाएं।

कन्याओं व बटुक का स्वागत: 9 कन्याओं और 1 बालक (बटुक भैरव) को आमंत्रित करें, उनके चरण धोकर आसन पर बिठाएं और फूलों से स्वागत करें।

तिलक व कलावा: कन्याओं और बालक को चंदन, कुमकुम व अक्षत से तिलक करें, हाथ में कलावा बांधें और ‘ॐ दुं दुर्गायै नमः’ मंत्र का जाप करें।

आरती व पूजन: अगरबत्ती व दीप दिखाकर आरती उतारें।

भोजन व भोग: पहले मां दुर्गा को भोग लगाएं, फिर कन्याओं को पूड़ी, हलवा, चना, फल और दूध खिलाएं।

उपहार व आशीर्वाद: भोजन के बाद कन्याओं को उपहार दें, चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लें।

व्रत पारण: अंत में माता का जयकारा लगवाकर कन्याओं को विदा करें और व्रत का पारण करें।

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