’विचाराधीन कैदियों को निर्वस्त्र कर तलाशी लेना उनके मूलभूत अधिकारो का उल्लंघन- कोर्ट

स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

शिव कुमार यादव

वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

संपादक

भावना शर्मा

पत्रकार एवं समाजसेवी

प्रबन्धक

Birendra Kumar

बिरेन्द्र कुमार

सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

Categories

December 2025
M T W T F S S
1234567
891011121314
15161718192021
22232425262728
293031  
December 23, 2025

हर ख़बर पर हमारी पकड़

’विचाराधीन कैदियों को निर्वस्त्र कर तलाशी लेना उनके मूलभूत अधिकारो का उल्लंघन- कोर्ट

-कोर्ट ने विचाराधीन कैदियों के निर्वस्त्र कर तलाशी लेने को बताया गलत’

नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/मुंबई/शिव कुमार यादव/- मुंबई की एक विशेष अदालत ने कहा है कि विचाराधीन कैदियों को निर्वस्त्र करके तलाशी लेना गलत है। कोर्ट ने कहा कि यह उनके मूलभूत अधिकारों का उल्लंघन है। कोर्ट ने निर्देश दिया है कि जेल के अधिकारियों को निर्देश दिया है कि कैदियों की तलाशी के लिए स्कैनर और तकनीकी औजारों का इस्तेमाल किया जाए। बता दें कि निर्वस्त्र करके तलाशी लेने के खिलाफ 1993 के मुंबई बम धमाकों के आरोपी अहमद कमाल शेख ने याचिका दायर की थी।

मुंबई बम विस्फोट के आरोपी ने दायर की याचिका
महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एक्ट (मकोका) के विशेष जज बीडी शेलके ने 10 अप्रैल को यह आदेश दिया। आदेश की विस्तृत कॉपी अब मिली है। अहमद कमाल शेख ने दावा किया कि जब भी कोर्ट की सुनवाई के बाद उसे वापस जेल ले जाया जाता है तो जेल के गार्ड उसे निर्वस्त्र करके तलाशी लेते हैं। आरोप है कि अन्य कैदियों और जेल स्टाफ के सदस्यों के सामने उसे निर्वस्त्र किया जाता है।

क्या है याचिका में
याचिका में कहा गया है कि यह प्रैक्टिस शर्मसार करने वाली है, साथ ही उसके अधिकारों का भी उल्लंघन है। याचिका में ये भी कहा गया है कि जब वह इसका विरोध करता है तो जेल के सुरक्षाकर्मियों द्वारा उसके साथ गाली गलौज की जाती है। हालांकि मुंबई जेल के अधिकारियों ने इन आरोपों से इनकार किया है और कहा है कि ऐसी कोई घटना नहीं हुई है। यह सिर्फ जेल प्रशासन पर दबाव बनाने की कोशिश है।

कोर्ट ने दिया ये निर्देश
दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि आवेदनकर्ता की शिकायत में कुछ दम तो है क्योंकि कई अन्य आरोपियों ने भी कोर्ट में ऐसी शिकायतें की हैं। विचाराधीन कैदियों को निर्वस्त्र करके तलाशी लेना उसके मूलभूत अधिकारों का उल्लंघन है। साथ ही यह शर्मसार करने वाला है। गाली गलौज करना भी गलत है। कोर्ट ने केंद्रीय जेल के सुपरिटेंडेंट को निर्देश दिया कि कैदियों की तलाशी के लिए तकनीकी औजार, स्कैनर आदि का इस्तेमाल किया जाए। कोर्ट ने ये भी कहा कि अगर स्कैनर आदि की व्यवस्था नहीं है तो हाथों से भी तलाशी ली जा सकती है लेकिन इस दौरान कैदी को शर्मसार ना किया जाए और उसके साथ बदतमीजी ना की जाए।

About Post Author

आपने शायद इसे नहीं पढ़ा

Subscribe to get news in your inbox