नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/– राहुल गांधी की संसद सदस्यता की बहाली को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। वकील अशोक पांडे की ओर से दायर याचिका में कहा गया कि एक बार संसद या विधानसभा का सदस्य पर लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 8 (3) के तहत कानून के तहत कार्रवाई कर दी जाए तो वह तब तक अयोग्य ही रहेगा जब तक कि कोई बड़ी अदालत उसे आरोपों से बरी न कर दे। याचिका में मांग की गई कि कोर्ट को चुनाव आयोग को वायनाड सीट पर फिर से चुनाव कराने का निर्देश देने चाहिए।
चार अगस्त को राहुल गांधी को मिली थी बड़ी राहत
’मोदी उपनाम’ टिप्पणी मामले में चार अगस्त को कांग्रेस नेता राहुल गांधी को बड़ी राहत मिली थी। सर्वोच्च न्यायालय ने एक अंतरिम आदेश जारी कर उनकी सजा पर रोक लगा दी थी। इस फैसले के बाद सात अगस्त को लोकसभा सचिवालय ने राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता भी बहाल कर दी थी।
मोदी सरनेम मामले में गई थी सांसदी
मोदी सरनेम को लेकर साल 2019 में राहुल गांधी ने एक टिप्पणी की थी, जिसके चलते उनके खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर हुआ था। इस मामले में सूरत की अदालत ने राहुल गांधी को दोषी माना और उन्हें दो साल की सजा सुनाई। दो साल की सजा मिलने के चलते जनप्रतिनिधि कानून के प्रावधान के तहत राहुल गांधी को 24 मार्च 2023 को संसद सदस्यता से अयोग्य ठहरा दिया गया।
हाईकोर्ट से नहीं मिली थी राहत
सजा के खिलाफ राहुल गांधी ने गुजरात हाईकोर्ट में अपील की, लेकिन गुजरात हाईकोर्ट ने भी राहुल गांधी की सजा बरकरार रखी। जिसके बाद राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। जहां सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी की सजा पर रोक लगा दी। सजा पर रोक लगने के बाद राहुल गांधी की संसद सदस्यता फिर बहाल हो गई है।
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