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    रणजी ट्रॉफी: गलत रास्ते पर है पूरा सिस्टम, इसलिए गिर रहा दिल्ली क्रिकेट का ग्राफ

    मानसी शर्मा / – दिल्ली से टीम इंडिया में अपनी स्थाई जगह बनाने वाले अंतिम क्रिकेटर ऋषभ पंत हैं। ऋषभ ने साल 2017 में भारत की ओर से पहला इंटरनेशनल मैच खेला था। उनके बाद से नवदीप सैनी और नीतिश राणा को टीम इंडिया से डेब्यू का मौका मिला, लेकिन वे जगह पक्की नहीं कर सके। मौजूदा अंडर-19 नेशनल टीम में दिल्ली का एक भी प्लेयर नहीं है। सात बार की रणजी चैंपियन रही दिल्ली के क्रिकेट के गिरते ग्राफ का सबसे ताजा मामला पुडुचेरी से हार का है। अनजान प्लेयर्स वाली टीम के हाथों दिल्ली को उसके घर में मिली हार के बाद से कई पूर्व क्रिकेटर्स और कोच परेशान हैं। इस सर्दी के मौसम दिल्ली क्रिकेट को दिल से चाहने वालों के बीच चिंता की लहर फैल गई है।

    अतुल वासन ने बताई वजह

    पूर्व इंटरनेशनल क्रिकेटर और डीडीसीए की क्रिकेट सलाहकार समिति के चेयरपर्सन रह चुके अतुल वासन भी रणजी में पुडुचेरी के खिलाफ दिल्ली के प्रदर्शन पर निराश हैं। उन्होंने कहा, ‘दिल्ली का प्रदर्शन शर्मसार करने वाला है। इसके लिए किसी एक को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। यह सामूहिक गलती है। पूरा सिस्टम ही गलत रास्ते पर है। आपकी अकैडमी नहीं है, आप बच्चों को तैयार करने की कोई जिम्मेदारी नहीं निभाते। आप सिर्फ लीग कराते हैं, लेकिन वहां प्रदर्शन चयन का आधार नहीं बनता। तो फिर मैच जिताने वाले प्लेयर्स आपको कहां से मिलेंगे।’

    प्लेयर नहीं पैसे बनाने पर जोर!

    दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ से जुड़े कुल 110 क्लब हैं, लेकिन कहा यही जाता है कि ये क्लब प्लेयर बनाने से ज्यादा पैसे बनाने में मशगूल हैं। डीडीसीए के एक अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा, ‘क्लबों के मालिक अपने क्लब पांच-छह लाख सालाना की दर पर कोचों को किराए पर पर दे देते हैं। फिर ये कोच प्लेयर बनाने की बजाए पैसे बनाने में लग जाता है। वह डीडीसीए लीग में क्लब की ओर से मैच खिलाने के नाम पर बच्चों और पैरेंट्स से मोटे पैसे लेते हैं। हर कोई तो पैसे दे नहीं सकता, ऐसे में टैलंटेड प्लेयर्स को मौका ही नहीं मिलता। जब तक ऐसा होता रहेगा, दिल्ली के क्रिकेट का ग्राफ यूं ही गिरता रहेगा।’

    कोच, सिलेक्टर्स को वक्त देने की मांग

    द्रोणाचार्य अवार्डी क्रिकेट कोच संजय भारद्वाज का मानना है कि दिल्ली क्रिकेट को पटरी पर लाने के लिए कोच को समय मिलना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘कोच, सपोर्टिंग स्टाफ और सिलेक्टर्स की जवाबदेही तय हो, लेकिन इससे पहले इनके करार को कम से कम दो साल का किया जाए। अभी डीडीसीए कोच, सिलेक्टर्स के साथ सिर्फ एक साल के लिए करार करता है।’ गौतम गंभीर जैसा अंतरराष्ट्रीय प्लेयर देने वाले भारद्वाज ने कहा, ‘कोच व सिलेक्टर्स स्थिर होंगे तो वह भविष्य के किसी प्लान पर काम कर सकेंगे। वह सीजन शुरू होने से पहले ही प्लेयर्स के कैंप लगा सकेंगे। नए खिलाड़ियों की तलाश कर सकेंगे।’

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