यू डब्ल्यू ए के सहयोग से आरजेएस पीबीएच ने भारतीय न्याय संहिता बनाम पुरानी आईपीसी पर प्रकाश डाला

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यू डब्ल्यू ए के सहयोग से आरजेएस पीबीएच ने भारतीय न्याय संहिता बनाम पुरानी आईपीसी पर प्रकाश डाला

-आरजेएस पीबीएच न्याय प्रणाली और समाज की समस्याओं के समाधान पर कार्यक्रम करेगा.

नई दिल्ली/- आरजेएस पीबीएच – आरजेएस पॉजिटिव मीडिया ने उज्ज्वल विमेंस एसोसिएशन के सहयोग से आज (रविवार, 14 जुलाई, 2024) विश्व अंतर्राष्ट्रीय न्याय दिवस (17.07.2024) के संदर्भ में एक राष्ट्रीय वेबिनार आयोजित किया। वेबिनार का विषय था “आईपीसी को समझना: नया बनाम पुराना”। अंतर्राष्ट्रीय उपभोक्ता नीति विशेषज्ञ और कंज्यूमर ऑनलाइन फाउंडेशन के संस्थापक प्रोफेसर बेजोन कुमार मिश्रा की अध्यक्षता में कार्यक्रम आयोजित हुआ। उनकी बहुत सारी बातें प्रतिभागियों के मर्म को छू गई। उन्होंने अंतिम आदमी तक न्याय पहुंचाने का रास्ता सुझाया। उज्ज्वल विमेंस एसोसिएशन की चेयरपर्सन और एआईडब्ल्यूसी की संरक्षक सुश्री बीना जैन मुख्य अतिथि थीं। उन्होंने कहा कि नये आपराधिक कानून की जानकारी लोगों तक पहुंचाना जरूरी है। रिजॉल्व लीगल की मैनेजिंग पार्टनर सुश्री ज्योतिका कालरा मुख्य वक्ता थीं।
 1.07.2024 से लागू होने वाले नए कानूनों के विभिन्न पहलुओं का विश्लेषण अतिथियों, मुख्य वक्ता तथा प्रतिभागियों के साथ संवाद सत्र में किया गया।

रिजॉल्व लीगल के एसोसिएट श्री आदित्य झा ने चर्चा का संचालन किया। उज्जवल वीमेन्स एसोसिएशन की अध्यक्ष प्रो. युथिका मिश्रा ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि नए आपराधिक कानून ,दंड की जगह न्याय पर जोर देते हैं। पुराने कानून ‘उपनिवेशीकरण’ की दिशा में हैं। उनका मानना था कि भारतीय न्याय संहिता में लोगों के संवैधानिक अधिकारों को ध्यान में रखते हुए निष्पक्ष, त्वरित न्याय प्रदान करने पर जोर दिया गया है।

उन्होंने अतिथियों का स्वागत किया तथा सुश्री बीना जैन को आज उनके जन्मदिन पर बधाई दी। मुख्य वक्ता रिजॉल्व लीगल की मैनेजिंग पार्टनर सुश्री ज्योतिका कालरा ने बताया कि पुराने आईपीसी जो 1.07.2024 से पहले के मामलों पर लागू होते हैं, में 511 धाराएं थीं, जबकि नए कानून में कम धाराएं हैं, क्योंकि कई धाराओं को अब उसी धारा के अंतर्गत रखा गया है तथा कई को हटा दिया गया है।  उन्होंने विस्तार से बताया कि छोड़े गए कई प्रावधानों को न्यायपालिका ने पहले ही अवैध पाया था। उन्होंने यह भी बताया कि वास्तव में आईपीसी के अधिकांश प्रावधानों को नए कानूनों में शामिल किया गया है, और केवल 5% या उससे अधिक नए जोड़े गए हैं। बीएनएस में पहले की धाराओं को भी पुनः क्रमांकित किया गया है। इसलिए, सुश्री कालरा ने अपने विश्लेषण में इन दर्जन भर प्रावधानों पर चर्चा की।

इसमें उल्लेख किया गया कि केवल नए कानून लाने से न्याय वितरण प्रणाली में सुधार के वांछित परिणाम नहीं मिल सकते हैं, जब तक कि अधिक धन आवंटित न किया जाए, अधिक न्यायालय स्थापित न किए जाएं, अधिक न्यायिक अधिकारी न हों, तकनीकी समय में विभिन्न प्रकार के मामलों से निपटने के लिए अधिक और बेहतर ढंग से सुसज्जित, आधुनिक पुलिस बल न हो तब तक सफलता नहीं मिल सकती है। अनिश्चित आंकड़ों के अनुसार, विभिन्न न्यायालयों में लंबित मामलों का बैकलॉग 3.4 करोड़ से 5 करोड़ मामलों तक है, जो काफी बड़ा है।

अतिथियों और प्रतिभागियों के मन में विषय से अलग भी सवाल पूछे गए,इसपर  ज्योति कालरा ने कहा कि बेहतर होगा कि आरजेएस पीबीएच एक और कार्यक्रम आयोजित करें ,जिसमें न्याय वितरण प्रणाली के कामकाज में क्या समस्याएं हैं, इस पर चर्चा की जाए, क्योंकि वर्तमान समय में समाज में भी बहुत कुछ समस्याएं हैं। उज्ज्वल वीमेंस एसोसिएशन की कोषाध्यक्ष सुश्री पूनम मित्तल ने धन्यवाद प्रस्ताव रखा। आरजेएस पीबीएच के संस्थापक श्री उदय मन्ना आरजेएस पॉजिटिव ने आगामी कार्यक्रमों की जानकारी दी तथा 11.08.2024 को होने वाले आरजेएस पीबीएच समारोह की ओर ध्यान आकर्षित किया, जब आरजेएस पीबीएच की पुस्तक अमृत काल का सकारात्मक भारत ग्रंथ खंड 3 जनता को समर्पित किया जाएगा।  प्रोफेसर बिजॉन मिश्रा, जो आरजेएस पीबीएच के सलाहकार भी हैं, ने उज्ज्वल वीमेंस एसोसिएशन को बड़ी संख्या में आरजेएस पीबीएच समारोह में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया।

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