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    मुहांसों का सबसे बड़ा कारण है तनाव- विनीता झा

    -शोध में हुआ खुलासा, किशोरावस्था में मुंहासे होने का कारण शरीर में होने वाले हार्मोंस से संबंधित बदलाव व तनाव

    नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/ – कहते है चेहरा इंसान के मन की बात बता देता है। वही सुंदर त्वचा चेहरे के सौंदर्य को कई गुना बढ़ा देती है। चमकीली और मुलायम त्वचा तो हर कोई चाहता है, लेकिन अक्सर उम्र बढ़ने के साथ या खराब जीवनशैली के कारण यह अपना आकर्षण खो देती है। त्वचा की कई समस्याएं हैं, लेकिन मुहांसे सबसे ज्यादा लोगों को परेशान करते हैं। त्वचा को प्रभावित करने में मौसम के अलावा तनाव भी मुख्य भूमिका निभाता है। शोध में पाया गया कि आहार और साफ-सफाई के अलावा तनाव भी त्वचा को प्रभावित करता है। कई लोग जो तनावग्रस्त होते हैं उनके मुहांसे और गम्भीर हो जाते हैं। शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन किशोरों में परीक्षा का तनाव होता है, उनमें मुहांसे उभरने या उभरे हुए मुहांसे और गम्भीर होने की सम्भावना अधिक होती है। परीक्षा के वक्त किशोरों को चेहरे पर मुहांसे भी उभरने के साथ पक भी जाते है। तनाव से खाज और अन्य त्वचा संबंधी समस्याएं हो जाती हैं। देखा जाए तो त्वचा हमारे मन की स्थिति का आईना होता है। किशोरावस्था में मुंहासे होने का कारण शरीर में होने वाले हार्मोंस से संबंधित बदलाव होते हैं। इसके अलावा इस उम्र में बच्चे तनाव का शिकार भी जल्दी होते हैं। पीयर प्रेशर और हमेशा सुंदर दिखने का दबाव उन पर रहता है।
              यही वजह है कि टीनएजर मुंहासे होने पर गहरे तनाव में घिर जाते हैं। ऐसी स्थिति में माता-पिता को चाहिए कि वे बच्चों पर इससे होने वाले मनोवैज्ञानिक प्रभावों को समझें और जानें। जो माता-पिता बच्चों की इस समस्या को उचित मार्गदर्शन से सही कर सकते हैं उनके बच्चे इस समस्या से उबर सकते हैं।
              मुंहासे जवानी में भी हो सकते हैं। लगभग 50 प्रतिशत जवान महिलाएं और 25 प्रतिशत पुरुषों को जवानी में यह समस्या निरंतर जकड़े रहती है। कई महिलाएं तो इनके कारण डिप्रेशन का शिकार हो जाती हैं। इन मुंहासे के होने के कई कारण हो सकते हैं। जैसे वातावरण का प्रभाव, शारीरिक और हारमोन्स से संबंधित होने वाले बदलाव वगैरह। जिस समय व्यक्ति तनावग्रस्त होता है तो शरीर में कोर्टिसोल हार्मोंस का स्राव बढ़ जाता है जिसके कारण शरीर में त्वचा की ग्रंथियों से सीवम नामक हारमोन का स्राव ज्यादा होने लगता है जिसके कारण मुंहासे होते हैं।
               इसके अलावा यह ब्लैक हेड्स और व्हाइट हेड्स होने का भी कारण हो सकता है। अतः तनाव को बेहतर तरीके से हैंडल करना चाहिए। तनाव का प्रभाव शरीर पर न पड़े इसके लिए खुश रहें और पूरा आराम करें। पर्याप्त आराम,  एक्सरसाइज और सकारात्मक नजरिए से तनाव पैदा होने वाली तमाम स्थितियों से काफी हद तक बचा जा सकता है।
              मुंहासों की समस्या यदि ज्यादा गंभीर होने लगे तो इसके लिए डॉक्टर से परामर्श करें। अपने भोजन और लाइफ स्टाइल में बदलाव करें। रिफाइंड काब्रोहाइड्रेट युक्त आहार व कैफीन मात्रा में लें। लो-फैट डाइट लें और पर्याप्त मात्रा में पानी पीएं। मुंहासे की समस्या को देखने का हर व्यक्ति का अपना नजरिया होता है। कुछ लोगों को यह एक बड़ी गंभीर समस्या लगती है उन्हें लगता है कि इससे उनका चेहरा भद्दा लगता है। इन्हें देखकर उन्हें गुस्सा आता है और वे तनावग्रस्त हो जाते है। स्त्री,  पुरुष,  किसी भी आयु वर्ग के,  किसी भी देश के व्यक्ति मुंहासों की जद में आ सकते है।

    ध्यान देने योग्य बातें
    – दिन में कम से कम चेहरे को तीन बार सादे पानी से धोएं,  लेकिन ध्यान रहे साबुन या फेसवॉश का इस्तेमाल दिन में एक बार ही करें, क्योंकि इनके ज्यादा प्रयोग से त्वचा को नुकसान पहुंचता है और वह रूखी हो जाती है।
    – पिंपल्स जितने अधिक समय तक रहेंगे, दाग उतने ही गहरे होंगे, इसलिए तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।
    – अक्सर देखा जाता है कि जिन लोगों में मुहांसों की समस्या होती है, उनके शरीर में इंसुलिन का स्त्राव औसत से अधिक होता है। इससे बचने के लिए अपने भोजन में काबरेहाइड्रेट और डेयरी उत्पादों का सेवन कम करें।
    – कुछ अनुसंधानों में यह बात सामने आई है कि अधिक मात्रा में दूध और दुग्ध उत्पादों का सेवन करने से भी मुहांसों की समस्या हो जाती है।
    – चेहरे को जोर-जोर से न रगड़ें। मुहांसों को दबाएं या फोड़े नहीं। ज्यादा तैलीय, मसालेदार भोजन न खाएं।
    – चेहरे की त्वचा को साफ रखें। चेहरे पर ऑयल फ्री प्रोडक्ट लगाएं।
    – तनाव न लें, क्योंकि

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