
मानसी शर्मा/- सनातन धर्म में महाशिवरात्रि की पूजा का बहुत बड़ा महत्व है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती हैं। ऐसा करने से व्यक्ति के वैवाहिक जीवन में सुख-शांति बनी रहती है। इस दिन शिव मंत्रों का जाप भी किया जाता है। तो वहीं. शिवरात्रि के दिन भी भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए शिव भक्त पूरे भक्ति-भाव से उनकी पूजा-अर्चना करते है। इसलिए हिंदू धर्म में शिवरात्रि और महाशिवरात्रि दोनों ही दिन को शुभ माना गया है। ऐसे तो शिवरात्रि और महाशिवरात्रि का दिन भगवान शिव और माता पार्वती को ही समर्पित होता है। लेकिन कई लोग इन दोनों ही दिन को एक ही समझ लेते हैं। आपको बता दें, शिवरात्रि और महाशिवरात्रि दोनों ही अलग-अलग त्योहार हैं।
इसका अपना अलग विशेष महत्व होता है। इस बार 26फरवरी को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जा रहा है। तो आइए जानते है कि शिवरात्रि और महाशिवरात्रि एक-दूसरे से कितना अलग हैं। कब हैं महाशिवरात्रि? इस बार फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 26फरवरी की सुबह 11बजकर 08मिनट से होगा। जिसका समापन 27फरवरी की सुबह 08बजकर 54मिनट पर होगा। महाशिवरात्रि और शिवरात्रि में अंतर हिंदू पंचाग के अनुसार, हर साल फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता हैं। तो वहीं, शिवरात्रि का त्योहार हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता हैं। शिवरात्रि का महत्व हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को शिवरात्रि का पर्व बड़े ही धूमधान से मनाया जाता हैं। ऐसे में एक साल में 12शिवरात्रि का पर्व पड़ता हैं।
हिंदू मान्यताओं की मानें तो चतुर्दशी तिथि के देव भगवान शिव हैं। इसे मासिक शिवरात्रि के नाम भी जाना जाता हैं। शिवरात्रि का दिन भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित होता है। इस दिन इनकी पूजा करने से जीवन में सुख-शांति बनी रहती हैं। महाशिवरात्रि का महत्व हर साल फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता हैं। इसलिए हिंदू धर्म में इसका खास महत्व हैं। इसी दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। ऐसे में पूरे विधि-विधान के साथ इनकी पूजा करने से आपके वैवाहिक जीवन से दुखों का नाश होता हैं।
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