नजफगढ़ मेट्रो न्यूज़/विक्की झा– महाशिवरात्रि शिव की साधना करने वालों के लिए सबसे बड़ा पर्व है, इसे फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। माना जाता है कि, इस दिन शिव का प्राकट्य हुआ था, इसके अलावा शिव का विवाह मां गौरी से भी शास्त्रों द्वारा इसी दिन को ही मनाया जाता है।
भारत में महाशिवरात्रि के व्रत एवं चार पहर की पूजा का बहुत बड़ा महत्व है, इस बार महाशिवरात्रि का त्यौहार 1 मार्च मंगलवार के दिन मनाया जाएगा। अब आप सभी सोच रहे होंगे महादेव के हृदय के अति निकट और सबसे प्रिय दिन महाशिवरात्रि को, उन्हें खुश करने के लिए क्या-क्या करना चाहिए??
आपकी जानकारी के लिए बता दें, महाशिवरात्रि के दिन शिव को चारों पहर पूजने का रिवाज है। ऐसा माना जाता है कि, जो इस दिन शिव की चारों पहर पूजा करता है, उसकी सारी मनोकामना पूर्ण होती है।
इस वर्ष महाशिवरात्रि पर पहले पहर की पूजा मंगलवार को शाम 6:21 से 9:27 तक होगी, फिर रात को 9:27 मिनट से 12:33 तक दूसरी पहर की पूजा होगी। इसके पश्चात बुधवार के दिन रात को 12:33 से 3:39 तक तीसरे पहर की पूजा होगी, और अंत में उसी रात को 3:39 से सुबह 6:45 तक चौथे पहर का पूजन कार्य संपन्न होगा।
भगवान शिव को प्रिय महाशिवरात्रि का पर्व हिंदू कैलेंडर के हिसाब से इस बार 1 मार्च को मनाया जा रहा है। इस दिन भगवान शिव की आराधना करने से मान्यता है कि, भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं, और सभी मनोकामनाएं भी पूर्ण होती है। धार्मिक मान्यता है कि, इस दिन भगवान शिव परिवार की पूजा होती है। भोलेनाथ की पूजा में इस दिन चंदन, अक्षत बेलपत्र, धतूरा, और आंकड़े के फूल अवश्य अर्पित करने चाहिए।
वैसे तो भगवान शिव भोले और भंडारी हैं, फिर भी उन्हें प्रसन्न करने के लिए उनकी प्रिय चीजें ही पूजा के समय उन्हें भेंट करनी चाहिए। इतना ही नहीं कह कहते हैं, इस दिन शक्कर और गेहूं के आटे से बने प्रसाद का भोग लगाना चाहिए, और साथ ही धूप और दीप से प्रभु की आरती करनी चाहिए। साथी भोलेनाथ को गाय का कच्चा दूध अर्पित करना चाहिए पूजा के समय इन सब बातों का ध्यान रखने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। भोलेनाथ की पूजा में इन चीजों को कृपया कर कभी शामिल ना करें : शंख, तुलसी का पत्ता, नारियल पानी, हल्दी, कुमकुम, रंगोली। धार्मिक शास्त्रों में ऐसी मान्यता है कि, महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा में शंख का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, क्योंकि शंखचुर नामक असुर का वध भगवान शिव ने ही किया था। इसीलिए भोलेनाथ की पूजा में शंख को शामिल नहीं किया जाता है।
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