भगवान से प्रीति बढ़ाने का महोत्सव है जन्माष्टमी

स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

शिव कुमार यादव

वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

संपादक

भावना शर्मा

पत्रकार एवं समाजसेवी

प्रबन्धक

Birendra Kumar

बिरेन्द्र कुमार

सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

Categories

December 2024
M T W T F S S
 1
2345678
9101112131415
16171819202122
23242526272829
3031  
December 23, 2024

हर ख़बर पर हमारी पकड़

भगवान से प्रीति बढ़ाने का महोत्सव है जन्माष्टमी

-इस्कॉन द्वारका में कृष्ण जन्माष्टमी का महा-महोत्सव -भगवान को माखन, मिश्री, फल-मेवा सहित 2022 व्यंजनों का भोग अर्पण -भगवान के साथ बनाएँ भक्ति और प्रेम का रिश्ता

इस धरती पर सभी भगवान को मानते हैं कि नहीं मानते, कुछ लोग मानते हैं या कुछ लोग नहीं मानते हैं। इन सबकी चिंता छोड़ हमें यह समझना चाहिए कि इस कलियुगी संसार में इतना, भय, असुरक्षा और हिंसा है कि लोगों को एक दिव्य शक्ति और चेतना का आभास होता है। जिसके दायरे में वह स्वयं सुरक्षित मानते हैं और अपना जीवनयापन करते हैं। यह शक्ति और कोई नहीं श्रीकृष्ण भगवान की दिव्य शक्ति है जिसका हमें हर युग और समय-समय पर साक्षात्कार मिलता है। श्रीमद्भगवद्गीता में भी श्रीभगवान स्वयं कहते हैं किः

यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्।
जब-जब धर्म का नाश होता है और अधर्म की प्रधानता हो जाती है तब-तब मैं अवतरित होता हूँ। मैं पुण्यात्माओं का उद्धार करने, दुष्टों का विनाश करने एवं धर्म की फिर से स्थापना करने के लिए युग-युग में अवतरित होता हूँ। इसीलिए कहा गया है कि भगवान का जन्म, प्राकट्य या आविर्भाव बहुत रहस्यमयी यानी दिव्य होता है– जन्म कर्म च मे दिव्यम्। लोग पूछते हैं कि क्या पूर्ण पुरुषोत्तम भगवान का भी जन्म होता है। लेकिन सच्चाई यह है कि पूर्ण पुरुषोत्तम भगवान का जन्म कभी भी सामान्य नहीं होता। वह अपनी अचिंत्य शक्ति के कारण हर जीव के ह्रदय में अंतर्यामी परमात्मा के रूप में स्थित हैं। इसी तरह श्रीकृष्ण माता देवकी के ह्रदय में रहते हुए भी उनके पुत्र में प्रकट हुए। पर आम लोग इन सबकी चिंता छोड़ उनके जन्मोत्सव को बड़ी धूमधाम से मनाते हैं। 19 अगस्त, शुक्रवार को देश-विदेश में कृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव बहुत धूमधाम से मनाया जा रहा है।
इस्कॉन द्वारका भी वृंदावन की तर्ज पर पूरी तरह सज कर तैयार हो गया है। मुख्य द्वार से लेकर मंदिर के चारों ओर फूलों की महक भक्तों के स्वागत के लिए तैयार है। प्रांगण में विस्तृत रंग-बिरंगे वस्त्रों से सजे हुए पांडाल सजे हैं। मानो किसी दिव्य लोक के उत्सव की तैयारियाँ चल रही हों।


दरअसल, कृष्ण जन्माष्टमी भगवान को माखन, मिश्री, फल-मेवा अर्पण करने और फिर उसे प्रसाद के रूप में पाने का उत्सव नहीं है, बल्कि भगवान से प्रीति बढ़ाने का उत्सव है। यह भगवान और भक्त के बीच में एक तरह का आदान-प्रदान है। भक्त भगवान को देते हैं और भगवान भक्तों को देते हैं। भक्त भगवान को प्रेम से माखन, मिश्री, फल-मेवा देते हैं और भगवान भक्तों को क्या देते हैं– अपनी कृपा यानी राधारानी की कृपा। तो भगवान आपका प्रेम माँगते हैं, भाव खाते हैं। यह देखते हैं कि कितनी श्रद्धा से आपने भगवान को कुछ अर्पण किया। तभी भगवान को भक्त के ह्रदय से सुख प्राप्त होता है।
इसलिए आप भी भगवान से प्रीति बढ़ाएँ, मन के भीतर अपार मधुरिमा का सागर लिए कृष्ण जन्माष्टमी मनाएँ और भगवान के श्रेष्ठ भक्तों की कृपा प्राप्त करें।
हमें शुद्ध मन से स्वीकार कर लेना चाहिए कि भगवान का रूप और लीला अनंत है। जब तक भगवान की कृपा प्राप्त नहीं होती है, तब तक हम उनके बारे में नहीं जान पाएँगे। भगवान की कृपा से ही हमें भक्ति मिलेगी और उनसे प्रीति बढ़ेगी। प्रह्रलाद महाराज ने नरसिंह भगवान के प्रेम को प्राप्त किया। भगवान ने जैसे ही उनको गले से लगाया तो दोनों को आनंद की अनुभूति हुई। भगवान और भक्त के इस अपार प्रेम की कल्पना कर आप भी ऐसा ही अनुभव कर सकते हैं। आनंद प्राप्त कर सकते हैं।
इस्कॉन द्वारका के विभिन्न स्कूलों, गोपाल फन स्कूल व इस्कॉन गर्ल्स फोरम के बच्चों द्वारा नृत्य-नाटिकाएँ प्रस्तुत की जाएँगी। कालिया दमन, राधा-कृष्ण लीला, राधा-गोपी नृत्य, अष्ट-सखी नृत्य व कृष्ण मेरा सुपर हीरो जैसे प्रसंगों को मंचित कर बच्चे दर्शको का मन मोहने में कामयाब रहेंगे। कृष्ण जन्मोत्सव पर ऐसी लीलाएँ बच्चों ही नहीं बड़ों को भी आकर्षित करती हैं।
इस अवसर पर प्रातःकालीन सत्र में परम पूज्य भक्ति पुरुषोत्तम स्वामी महाराज का कथा कार्यक्रम आयोजित किया गया है। कृष्ण कौन है, उसका असली रूप क्या है। क्यों, कब, कैसे आते हैं। कृष्ण प्रेम को पाना ही मनुष्य के जीवन का लक्ष्य क्यों है। जीवन में हमें क्यों कृष्ण प्रेम को पाने के लिए प्रयासरत रहना चाहिए। आदि प्रश्नों पर भी वे प्रकाश डालेंगे। कृष्ण जन्माष्टमी की पूर्व संध्या पर उन्होंने अपने कथा व्याख्यान में उन्होंने बताया कि भगवान ने जिस तरह वृंदावन, मथुरा और द्वारका में 125 वर्षों तक इस धरा धाम पर रहकर लीलाएँ कीं, आज हम उन्हीं लीलाओं का रसास्वादन कर रहे हैं। भगवान का अष्टमी तिथि, भाद्र महीना और रोहिणी नक्षत्र को आविर्भाव हुआ था। उन्होंने बताया कि श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन जो व्यक्ति भगवान का व्रत करता है, दान देता है, यमराज को दोबारा उसका मुँह नहीं देखना पड़ता।
इस्कॉन द्वारका के अध्यक्ष प्रद्युमन प्रिय दास कहते हैं कि, “महा-महोत्सव में कथा का श्रवण व्यक्ति को आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करता है। इसलिए भक्तों के लिए इस अवसर पर कथा के आयोजन की विशेष व्यवस्था की जाती है। हर साल हम भक्तगणों के साथ खूब धूमधाम से कृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव मनाते हैं। मेरा मानना है कि यह एक दिन का उत्सव नहीं बल्कि इस दिन से प्रेरणा लेकर साल के 365 दिन हमें उत्सव की तरह मनाने चाहिए क्योंकि हम हर दिन भगवान की कृपा पाना चाहते हैं तो हमें उसी प्रकार का आदान-प्रदान भी करना चाहिए। केवल विशुद्ध भावों को अर्पित करने से भगवान प्रसन्न हो जाते हैं। इस अवसर पर मैं लोगों से यही निवेदन करना चाहता हूँ कि पिछले दो-तीन वर्षों की अपेक्षा इस बार प्रकृति ने हम पर उपकार किया है और हमें यह अवसर प्रदान किया है कि हम व्यापक जनसमूह के साथ इस उत्सव को मना सकें, तो हमें भगवान को धन्यवाद देना चाहिए। साथ ही, हम हर दिन कोई ऐसा काम करें, जिससे भगवान की कृपा हम पर बरसती रहे। चाहे वह जरूरतमंदों को खाना खिलाने की सेवा हो या मंदिर निर्माण में सहयोग हो या फिर गीता का प्रचार हो।”
इस अवसर पर आधी रात को भगवान कृष्ण के जन्म के पश्चात उनका दिव्य अभिषेक, श्रृंगार, आरती की जाएगी। भगवान को 2022 व्यंजनों का भोग अर्पित किया जाएगा। इसके बाद भक्तों के लिए प्रसादम वितरण किया जाएगा।
मंदिर के प्रमुख प्रबंधक अर्चित प्रभु का कहना है, “ इस विशेष दिन को हम विशेष रूप से हर साल मनाते हैं। विशेष रूप से 250 किलो का केक काटा जाएगा। भक्तों के लिए बैठने के लिए विशेष पांडालों की व्यवस्था की गई है। छह सौ लोगों के बैठने के लिए पांडाल सजाए गए हैं, ताकि सभी भक्त भगवान का दर्शन करे सकें। लंबी-लंबी कतारों की भीड़भाड़ से बचने के लिए ऐसा प्रबंध किया गया है। प्रसादम के लिए भक्त अपनी -अपनी बारी से प्रसाद पा सकेंगे। इस दिन अनेक दिव्य द्रव्यों जैसे फूलों का रस, नारियल पानी, दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल आदि पंच द्रव्यों को मिट्टी की हांडी में डालकर भगवान का दिव्य अभिषेक किया जाएगा। जिन भक्तों ने अभिषेक के लिए अपने नाम दर्ज कराए हैं, वे भगवान का अभिषेक कर सकेंगे। इसके अतिरिक्त अंगूर, खजूर और सूखे मेवों की माला के हार भी भगवान को सजाया जाएगा। हम चाहते हैं कि सभी इस महा-महोत्सव में भाग लें और हर दिन मंदिर में आकर भगवान का दर्शन करें और भगवान के साथ प्रेम और भक्ति का रिश्ता कायम करें।”

About Post Author

Subscribe to get news in your inbox