
नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/द्वारका/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- जीवनशैली में आये बदलाव का असर अब छोटी उम्र के युवाओं में भी साफ दिखने लगा है। खानपान व पर्यावरण की दुश्वारियों के चलते आज अधिक से अधिक लोगों को बिमारियां अपनी चपेट में ले रही है। वहीं मधुमेह एक ऐसा रोग हो गया है जो आज विश्व में सबसे तेजी से फैल रहा है। आंकड़ों पर नजर डालें तो देश की बड़ी आबादी इस गंभीर रोग की चपेट में है। डायबिटीज को नियंत्रित करने के लिए लोग तमाम तरह के उपायों को प्रयोग में लाते हैं। लेकिन काम की भागदौड़ व जीवनशैली में बदलाव इसका मुख्य कारण माना जा रहा है। हांलाकि मधुमेह का आज तक कोई पुख्ता ईलाज अभी तक सामने नही आया है लेकिन फिर भी हम कुछ चीजों का इस्तेमाल कर इसे काबू में जरूर कर सकते है। ऐसा ही एक खाद्य पदार्थ है कटहल। वैज्ञानिको ने शोध में पाया है कि हरा कटहल ब्लड शूगर को नियंत्रित व कम करने में काफी सहायक होता हैं। वैज्ञानिाकों ने हरे कटहल के आदे को टाईप-2 डायबिटीज में काफी फायदेमंद बताया है।
आइए इस लेख में जानते हैं कि वैज्ञानिक, आहार में किस चीज को शामिल करने की सलाह दे रहे हैं जोकि मधुमेह के रोगियों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है?
हरे कटहल के आटे का सेवन
हाल ही में नेचर जर्नल में छपी रिपोर्ट में वैज्ञानिकों ने बताया है कि रोजाना भोजन में हरे कटहल के आटे इस्तेमाल करने से टाइप-2 डायबिटीज के रोगियों को काफी लाभ मिल सकता है। वैज्ञानिकों का दावा है कि हरे कटहल का आटा मधुमेह के रोगियों में प्लाज्मा शर्करा के स्तर को कम करने में सहायक हो सकता है। अध्ययन में कटहल के आटे का सेवन करने वाले लोगों का ग्लाइकोसिलेटेड हीमोग्लोबिन (भ्इ।1ब) काफी कम पाया गया। ग्लाइकोसिलेटेड हीमोग्लोबिन का बढ़ना, मधुमेह का संकेत माना जाता है।
रोगियों के ग्लाइकोसिलेटेड हीमोग्लोबिन में दर्ज की गई कमी
कटहल के आटे की प्रभाविकता का मूल्यांकन करने के लिए वैज्ञानिकों ने अध्ययन के लिए 40 लोगों को शामिल किया। इन लोगों को दो समूहों में बांटा गया। समूह ए को 12 सप्ताह तक हरे कटहल के आटा जबकि समूह बी को सामान्य आटे का सेवन करने को कहा गया। अध्ययन के निष्कर्ष में वैज्ञानिकों ने पाया कि जिस समूह के लोगों ने हरे कटहल के आटे का सेवन किया था उनके ग्लाइकोसिलेटेड हीमोग्लोबिन में काफी कमी दर्ज की गई।
मात्र एक सप्ताह में ब्लड शुगर हो सकता है कम
वैज्ञानिकों ने बताया, समूह बी की तुलना में कटहल के आटे का सेवन करने वाले ग्रुप ए के लोगों के एचबीए1सी, एफपीजी (फास्टिंग प्लाजमा ग्लूकोज) और पीपीजी (पोस्टप्रिडेंशल प्लाजमा ग्लूकोज) में भी काफी कमी देखने को मिली है। अध्ययन में खाली पेट और भोजन के बाद, दोनों समय के शर्करा स्तर का मूल्यांकन किया गया और पता चला कि आहार में कटहल के आटे का इस्तेमाल किए जाने के सात दिनों के भीतर औसत रक्त शर्करा स्तर में कमी आ गई।
भारतीय आहार हैं फायदेमंद
मई 2019 से फरवरी 2020 के बीच किए गए इस अध्ययन में 18 से 60 साल की उम्र तक के लोगों को शामिल किया गया। वैज्ञानिकों ने बताया कि इस अध्ययन के आधार पर मधुमेह के इलाज में हरे कटहल के लाभों का पता चलता है। ये परिणाम पारंपरिक भारतीय आहार पर आगे और अनुसंधान के लिए प्रेरित कर सकते हैं। डायबिटीज के रोगियों को हरे कटहल के आटे के सेवन से लाभ मिल सकता है।


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