फेक न्यूज से तनाव बढ़ने का खतरा- सीजेआई

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December 30, 2025

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फेक न्यूज से तनाव बढ़ने का खतरा- सीजेआई

-देश में लोकतंत्र के लिए प्रेस की स्वतंत्रता जरू री

नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- देश में स्वस्थ लोकतंत्र के लिए प्रेस का स्वतंत्र होना बहुत जरूरी है लेकिन इस डिजिटल युग में फेक न्यूज समाज में प्रेस की स्वतंत्रता और निष्पक्षता के साथ-साथ देश के लोकतंत्र के लिए भी एक गंभीर खतरा बन गई है। जिस पर सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि डिजिटल युग में फेक न्यूज समुदायों के बीच तनाव पैदा कर सकती है। साथ ही इससे लोकतंत्र को भी खतरा हो सकता है। अब यह
पत्रकारों के साथ-साथ सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है कि वे घटनाओं की रिपोर्टिंग बिना किसी पूर्वाग्रह से करें। फेक न्यूज लाखों लोगों को एक साथ गुमराह कर सकती है। यह लोकतंत्र के फंडामेंटल्स के खिलाफ होगा।
                   सीजेआई चंद्रचूड़ रामनाथ गोयनका पुरस्कार समारोह में बोल रहे थे। सीजेआई ने यह भी कहा कि अगर सत्ता प्रेस को सच बोलने से रोकती है तो इससे लोकतंत्र प्रभावित होता है। सीजेआई ने कहा कि प्रेस को सत्ता से कठिन सवाल पूछना चाहिए। मीडिया ट्रायल के बारे में उन्होंने कहा कि ऐसे कई मामले सामने आए हैं जहां मीडिया ने अदालत के दोषी पाए जाने से पहले ही लोगों की नजरों में आरोपी को दोषी करार दे दिया।
                  जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि हर संस्थान की तरह पत्रकारिता भी चुनौतियों का सामना कर रही है। जिम्मेदार पत्रकारिता वह इंजन है जो लोकतंत्र को बेहतर कल की ओर ले जाता है। डिजिटल युग में पत्रकारों के लिए अपनी रिपोर्टिंग में सटीक, निष्पक्ष, जिम्मेदार और निडर होना पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है। उन्होंने जोर देकर कहा कि एक स्वस्थ लोकतंत्र को एक ऐसी प्रेस को इनकरेज करना चाहिए जो सत्ता से कठिन सवाल पूछ सके या सत्ता से सच बोले।

आपातकाल का जिक्र किया
आपातकाल के दौर का जिक्र करते हुए उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस के संपादकीय पेज का जिक्र किया जिसमें संपादकीय को खाली (कोरा) छोड़ दिया गया था। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि यह उदाहरण है कि मौन कितना ताकतवर है। उन्होंने कहा कि आपातकाल का दौर एक भयावह समय था, लेकिन ऐसे मौके निडर पत्रकारिता’ को भी जन्म देते हैं और इसलिए 25 जून 1975, जिस दिन आपातकाल लगाया गया था, इतिहास में एक निर्णायक क्षण था।
                  उन्होंने कहा, “एक घोषणा ने बता दिया कि स्वतंत्रता कितनी कमजोर हो सकती है। उन्होंने कहा कि पत्रकार,वकील और उनके जैसे जज बहुत कुछ एक जैसे होते हैं। दोनों भरोसा दिलाते हैं कि कलम तलवार से ताकतवर है। साथ ही उनका पेशा ऐसा है कि उन्हें लोग नापसंद कर सकते हैं। इसे सहन करना आसान नहीं है।

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