नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- लोकतंत्र का चौथा स्तंभ मानी जाने वाली प्रेस पर अंकुश लगना कोई नई बात नही है लेकिन 21वीं सदी में इस तरह की बाते न केवल लोकतंत्र के लिए खतरा है बल्कि सत्तासीन नेताओं को भी निरंकुश बना सकती है। हालांकि प्रेस की स्वतंत्रता को लेकर हर साल 3 मई को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है और इसी दिन वैश्विक मीडिया निगरानी संस्था ’रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स’ हर साल अपनी वार्षिक रिपोर्ट प्रकाशित करती है। फ्रांस आधारित यह एनजीओ दुनियाभर के देशों में प्रेस की स्वतंत्रता पर हर वर्ष रिपोर्ट प्रकाशित करती है। रिपोर्ट में विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में भारत की स्थिति पर चिंता जताई जा रही है। आरएसएफ की रिपोर्ट के मुताबिक, 2023 के विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में भारत 11 पायदान गिरकर 161वें स्थान पर पहुंच गया। जबकि पहले भारत 150वें स्थान पर था।
पिछले साल इंडेक्स में इस नंबर पर था भारत
आरएसएफ ने पिछले साल 180 देशों के एक सर्वेक्षण में भारत को 150वां स्थान दिया था। आरएसएफ की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘तीन देशों- ताजिकिस्तान (एक स्थान गिरकर 153वें स्थान पर), भारत (11 स्थान गिरकर 161वें स्थान पर) और तुर्किये (16 स्थान गिरकर 165वें स्थान पर) में स्थिति ‘समस्याग्रस्त’ से ‘बहुत खराब’ हो गई है।’’ रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘अन्य स्थिति जो सूचना के मुक्त प्रवाह को खतरनाक रूप से प्रतिबंधित करती है, वह नेताओं के साथ घनिष्ठ संबंध बनाए रखने वाले कुलीन वर्गों की ओर से मीडिया संस्थानों का अधिग्रहण है।’’
वर्तमान में देश में 100,000 से अधिक समाचार पत्र (36,000 साप्ताहिक सहित) और 380 टीवी समाचार चैनल काम कर रहे हैं। 1 जनवरी, 2023 से देश में एक पत्रकार की हत्या कर दी गई जबकि 10 पत्रकार सलाखों के पीछे हैं। इस साल की रिपोर्ट से पता चलता है कि पत्रकारों के साथ व्यवहार के लिए “संतोषजनक” माने जाने वाले देशों की संख्या थोड़ी बढ़ रही है, लेकिन ऐसी संख्या भी है जहां स्थिति “बहुत गंभीर” है।
आखिर विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक क्या है?
विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक पांच अलग-अलग कारकों पर आधारित है जिनका उपयोग स्कोर की गणना करने और देशों को रैंक करने के लिए किया जाता है। इन पांच उप-संकेतकों में राजनीतिक संकेतक, आर्थिक संकेतक, विधायी संकेतक, सामाजिक संकेतक और सुरक्षा संकेतक शामिल हैं। इन संकेतकों में से प्रत्येक के लिए स्कोर की गणना की जाती है और प्रेस स्वतंत्रता के संदर्भ में देशों की समग्र रैंकिंग निर्धारित करने के लिए उपयोग किया जाता है।
मीडिया संगठनों ने जताई चिंता
इंडियन वुमन्स प्रेस कोर, प्रेस क्लब ऑफ इंडिया और प्रेस एसोसिएशन ने सूचकांक में देश के स्थान में गिरावट पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए एक संयुक्त बयान जारी किया। संयुक्त बयान में कहा गया है कि ‘‘आरएसएफ की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, भारत सहित कई देशों में प्रेस स्वतंत्रता के सूचकांक खराब हुए हैं।’’
बयान में कहा गया, ‘‘ग्लोबल साउथ में विकासशील लोकतंत्रों के लिए जहां असमानता की गहरी खाई मौजूद है, मीडिया की भूमिका को कम करके नहीं आंका जा सकता है. इसी तरह अनुबंध (ब्वदजतंबज) पर बहाली जैसी अस्थिर कामकाजी परिस्थितियां भी प्रेस की स्वतंत्रता के समक्ष चुनौतियां हैं. असुरक्षित कामकाजी परिस्थितियां कभी भी स्वतंत्र प्रेस में योगदान नहीं दे सकतीं.’’
हम सभी के लिए शर्म से सिर झुकने समय- शशि थरूर
कांग्रेस नेता शशि थरूर ने भी प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में भारत के स्थान में गिरावट को लेकर टिप्पणी की. उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘हम सभी के लिए शर्म से सिर झुकने समयः विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में भारत 180 देशों में 161वें स्थान पर पहुंचा.’’
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