
नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/दुनिया/शिव कुमार यादव/- एक साल पहले तक जो पाकिस्तान रूस-यूक्रेन युद्ध में रूस के साथ खड़ा था, आज ऐसा क्या हुआ कि पाकिस्तान ने अपना पाला बदल लिया है। दरअसल कंगाल पाकिस्तान पैसे के लिए हर जगह मुंह मार चुका है लेकिन उसे किसी ने भी मुंह नही लगाया यहां तक की उसके सबसे विश्वसनीय मित्र चीन ने भी उसका साथ नही दिया। यूरोप व अमेरिका ने भी पाकिस्तान को एक फूटी कौड़ी तक नही दी। जिसे देखते हुए पाकिस्तान ने अब मांगने का पैंतरा बदल लिया है। पाकिस्तान अब रूस-यूक्रेन युद्ध में रूस का साथ छोड़कर यूरोपियन यूनियन के साथ आ खड़ा हुआ है और उसने यूरोपीय देशों को खुश करने के लिए यूक्रेन को टैंक तक देने की घोषणा तक कर दी है।
अब सवाल उठ रहा है कि आखिर एक साल में ऐसा क्या हो गया कि पाकिस्तान ने अपना पाला ही बदल लिया? क्या इसमें अमेरिका की कोई चाल है? या पाकिस्तान समझ गया है कि रूस पर तो पहले से ही प्रतिबंध लगे है तो उससे उसका कोई फायदा होने वाला नही है। हालांकि रूस ने पाकिस्तान को सस्ता तेल देने की घोषणा की थी। लेकिन अब पाकिस्तान ने नई चाल चलकर पाला बदलने के संकेत दे दिये है। या ये भी हो सकता है कि पाकिस्तान चीन व रूस पर अपने नये ऐलान से आर्थिक मदद के लिए दबाव बनाना चाहता है। अब देखना यह है कि पाकिस्तान को इससे कोई फायदा मिलेगा या नही।
पाकिस्तान ने क्यों बदला पाला?
दरअसल, पाकिस्तान में आर्थिक स्थिति काफी खराब है। महंगाई ने आम नागरिकों को परेशान कर दिया है। विदेशी मुद्रा भी पाकिस्तान के पास खत्म हो चुकी है। ऐसे में तेल व अन्य जरूरी चीजों को आयात करने में भी पाकिस्तान को मुश्किलें आ रहीं हैं। शुरुआत में पाकिस्तान ने चीन, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात जैसे इस्लामिक देशों के सामने हाथ फैलाया। लेकिन कुछ खास मदद नहीं मिली। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ ने भी पाकिस्तान के सामने कई कड़ी शर्तें रख दी हैं। ऐसे में प्रतिदिन पाकिस्तान आर्थिक संकट से टूटता जा रहा है।
बताया जाता है कि पश्चिमी देश इसी का फायदा उठा रहे हैं। वह पाकिस्तान के सहारे यूक्रेन को मदद दिलवा रहे ताकि चीन और रूस का गठबंधन कमजोर हो सके। इसके अलावा पाकिस्तान के जरिए आसानी से यूक्रेन को युद्धक हथियारों की सप्लाई भी संभव है।
एक साल पहले तक जो पाकिस्तान रूस के साथ खड़ा था, वो अब यूक्रेन को युद्ध में मदद देने पर विचार कर रहा है। बताया जाता है कि युद्धक टैंक के अलावा यूक्रेन को गोला-बारूद और अन्य रक्षा आपूर्ति भी पाकिस्तान की तरफ से दी जाएगी। पाकिस्तानी सेना के पास 2,467 टैंक हैं। पाकिस्तान का यूक्रेन के साथ रिश्ता काफी मजबूत रहा है। दोनों देशों के बीच सैन्य और औद्योगिक संबंध हैं।
पाकिस्तान ने पूर्वी यूरोपीय देश से 320 से अधिक टी-80यूडी टैंक खरीदे थे जो सोवियत टी-80 का उन्नत संस्करण। पाकिस्तान और यूक्रेन के बीच हुए सौदे में गोला-बारूद और स्पेयर पार्ट्स सहित टी-80यूडी टैंकों के रखरखाव के लिए एक पूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र शामिल था। 1991 में तत्कालीन सोवियत संघ से अलग होने के बाद से यूक्रेन के पाकिस्तान के साथ घनिष्ठ सैन्य संबंध रहे हैं। दोनों देशों ने 2020 तक लगभग 1.6 बिलियन डॉलर के रक्षा अनुबंध संपन्न किए थे।
तो क्या अमेरिका की चाल है?
विदेश मामलों के जानकार डॉ. आदित्य पटेल कहते हैं, ’पश्चिमी देश और खासतौर पर अमेरिका के दबाव में पाकिस्तान मजबूर हो चुका है। पाकिस्तान को कहीं से भी मदद मिलने की उम्मीद नहीं है। ऐसे में अब पश्चिमी देश ही उसके लिए उम्मीद की किरण हैं। यूक्रेन को मदद करके पाकिस्तान पश्चिमी देशों से कर्ज हासिल कर सकता है। वहीं, पश्चिमी देशों को भी इसका फायदा होगा। रूस का साथ देने वाला एक देश घट जाएगा। इसके अलावा यूकेन को कराची बंदरगाह से आसानी से मदद भी पहुंचाई जा सकती है।’
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