पश्चिमी दिल्ली का किला बचा पायेगी भाजपा या गठबंधन मार लेगा बाजी…!

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पश्चिमी दिल्ली का किला बचा पायेगी भाजपा या गठबंधन मार लेगा बाजी…!

-2009 में कांग्रेस तो 2014 और 2019 में भाजपा ने जीती है यह सीट -इस बार भाजपा की कमलजीत सहरावत व इंडी गठबंधन के संयुक्त प्रत्याशी महाबल मिश्रा में कड़े मुकाबले का संकेत

पश्चिमी दिल्ली/शिव कुमार यादव/- पश्चिमी दिल्ली लोकसभा सीट पर भाजपा ने प्रवेश वर्मा की जगह पार्षद व महापौर रही कमलजीत सहरावत को उतारा है वहीं इस बार आम आदमी पार्टी व कांग्रेस ने गठबंधन के तहत आप ने महाबल मिश्रा को संयुक्त प्रत्याशी के रूप में उतारा है। हालांकि पिछले तीन चुनावों में कांग्रेस की तरफ से महाबल मिश्रा ही प्रत्याशी रहे है और वो 2009 में कांग्रेस की सीट से पश्चिमी दिल्ली के सांसद भी रहे हैं लेकिन 2014 और 2019 में भाजपा के प्रवेश वर्मा ने उन्हे पछाड़ दिया। लेकिन इसबार भाजपा प्रत्याशी कमलजीत सहरावत की राह आसान नही है क्योंकि इसबार महाबल मिश्रा इंडी गठबंधन के संयुक्त प्रत्याशी है जिसकारण इस सीट पर इस बार कड़ा मुकाबला देखने को मिलेगा। अब सवाल उठता है कि क्या भाजपा प्रत्याशी कमलजीत सहरावत पश्चिमी दिल्ली लोकसभा सीट का किला बचा पायेंगी या नही या फिर विपक्षी गठबंधन बाजी मार लेगा। तो आईये हम सीट का पूरा लेखा-जोखा आपके सामने पेश कर रहे हैं जिसमें विकास, समस्याऐं, गठबंधन व जातिगत समीकरण पर मतदान को रखकर देखते है।

पश्चिमी दिल्ली लोकसभा सीट की बात करें तो यह हिंदू बाहुल्य सीट है। 2009 में यहां कांग्रेस का दबदबा था। 2009 में पश्चिमी दिल्ली सीट से महाबल मिश्रा जीते थे लेकिन उसके बाद लगातार दो बार से पश्चिमी दिल्ली सीट पर प्रवेश वर्मा ने जीत दर्ज की। हालांकि, इस बार बीजेपी ने प्रवेश वर्मा का टिकट काट दिया है। बीजेपी ने नए कैंडिडेट के तौर पर कमलजीत सहरावत को चुनावी मैदान में उतारा है। वहीं, आप ने कांग्रेस से आप में आये पूर्व सांसद महाबल मिश्रा पर ही दोबारा भरोसा जताया है।

पश्चिमी दिल्ली में कितनी विधानसभा सीट हैं?
पश्चिमी दिल्ली लोकसभा सीट में 10 विधानसभा सीटें आती हैं। इसमें मादीपुर, राजौरी गार्डन, हरि नगर, तिलक नगर, जनकपुरी, विकासपुरी, उत्तम नगर, द्वारका, मटियाला और नजफगढ़ विधानसभा सीट शामिल है। इसमें सबसे बड़ी बात ये है कि इन सभी विधानसभा सीटों पर आम आदमी पार्टी का कब्जा है।

विधानसभा में आप और लोकसभा में भाजपा रही है वोटरों की पसंद
पिछले विधानसभा चुनाव में आप को यहां से 54 फीसदी से ज्यादा वोट मिले थे। पिछले 2 लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव के आंकड़े देखें तो पता चलता है कि यहां के अधिकतर वोटर सांसद के चुनाव में बीजेपी को वोट कर रहे हैं और विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को वोट कर रहे है। अब गौर करने वाली बात ये है कि अगर इस बार भी लोक सभा चुनावों में मतदाताओं ने मोदी को ही पहली पसंद माना तो भाजपा प्रत्याशी की जीत निश्चित है लेकिन अगर केजरीवाल की घटना को लेकर वोटर भावुक हुए तो इंडी गठबंधन की जीत हो सकती है।

कौन हैं महाबल मिश्रा?
महाबल मिश्रा को पूर्वांचली नेता के रूप में जाना जाता है। महाबल मिश्रा बिहार के मधुबनी जिले से आते हैं। महाबल मिश्रा ने अपना पॉलिटिकल करियर दिल्ली के पार्षद तौर पर शुरू किया था। वह पहली बार 1997 में पार्षद बने थे। पूर्वांचल के लोगों के बीच महाबल मिश्रा का खासा प्रभाव है। 2009 में महाबल मिश्रा पश्चिमी दिल्ली लोक सभा सीट  से सांसद भी रह चुके हैं। दिल्ली के पुराने दिग्गज नेताओं के रूप में उनकी पहचान होती है।

कौन है कमलजीत सेहरावत ?
इस समय कमलजीत सेहरावत दिल्ली बीजेपी की महासचिव हैं। वह साउथ दिल्ली नगर निगम की मेयर रह चुकी हैं। वह एमसीडी की स्थायी समिति की सदस्य हैं। इससे पहले कमलजीत सहरावत पश्चिमी दिल्ली की मटियाला विधानसभा सीट से चुनाव लड़ चुकी हैं हालांकि, उन्हें जीत नहीं मिली थी।

पश्चिमी दिल्ली सीट की डेमोग्राफी
पश्चिमी दिल्ली लोकसभा सीट की डेमोग्राफी की बात करें तो यहां 85 फीसदी से ज्यादा हिंदू वोटर हैं। हिन्दू वोटरों में यादव, ब्राहम्ण, जाट, सुनार, खाती, गुर्जर मुख्य रूप से आते हैं। इसके बाद दूसरे नंबर पर लगभग 6 प्रतिशत के साथ मुस्लिम वोटर हैं। वहीं, करीब 6 फीसदी आबादी के साथ तीसरे नंबर सिख हैं। इसके अलावा यहां जैन 0.4 प्रतिशत और बौद्ध 0.1 फीसदी हैं। पश्चिमी दिल्ली लोकसभा सीट पर अनुसूचित जाति के वोटरों की संख्या 14.36 प्रतिशत है। यह सीट शहरी व ग्रामीण क्षेत्र में बंटी है।

पश्चिमी दिल्ली लोकसभा सीट का इतिहास
पश्चिमी दिल्ली में लोकसभा का पहला चुनाव 2009 में हुआ। तब कांग्रेस के महाबल मिश्रा ने जीत दर्ज की थी। उनके खाते में करीब 5 लाख वोट आए थे। वहीं बीजेपी के जगदीश मुखी को 3 लाख वोट मिले थे। इसके बाद 2014 के चुनाव में बीजेपी ने जीत दर्ज की।

लोकसभा चुनाव 2014 के नतीजे
2014 के लोकसभा चुनाव में प्रवेश वर्मा ने कांग्रेस के पूर्व सांसद महाबल मिश्रा व आप के जरनैल सिंह को हरा कर जीत हासिल की थी। प्रवेश वर्मा को कुल 651395 वोट मिले थे तो जरनैल सिंह के खाते में 383809 वोट आए थे। प्रवेश वर्मा ने करीब 2 लाख वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी। इस चुनाव में पश्चिमी दिल्ली सीट पर 66 फीसदी मतदान हुआ था।

2019 लोकसभा चुनाव के नतीजे
2019 के लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी के प्रवेश वर्मा ने जीत दर्ज की थी। प्रवेश वर्मा को इस चुनाव में कुल 8,65,648 वोट मिले थे। इस चुनाव में प्रवेश साहिब सिंह वर्मा को लोकसभा सीट में मौजूद कुल मतदाताओं में से 36.5 प्रतिशत का समर्थन प्राप्त हुआ था, जबकि इस सीट पर डाले गए वोटों में से 60.01 प्रतिशत उन्हें दिए गए थे। वहीं महाबल मिश्रा को 2,87,162 वोट हासिल हुए थे। यानी प्रवेश वर्मा ने 5 लाख से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज की थी। जबकि तीसरे नंबर पर आप के बलबीर सिंह थे। उन्हें 251873 वोट मिले थे।

पश्चिमी दिल्ली में कितने वोटर्स हैं?
पश्चिमी दिल्ली की कुल आबादी करीब 26 लाख है। यहां पर 17 लाख वोटर्स हैं। इसमें से करीब 10 लाख पुरुष और 7 लाख महिला वोटर्स हैं। यहां की साक्षरता दर करीब 78 फीसदी है। पश्चिमी दिल्ली में एससी वर्ग के 15 फीसदी, मुस्लिम वर्ग के 5.4 फीसदी लोग रहते हैं।

पश्चिमी दिल्ली लोकसभा सीट पर कब किसे मिली जीत
2009-महाबल मिश्रा (कांग्रेस)
2014- प्रवेश वर्मा (बीजेपी)
2019- प्रवेश वर्मा (बजेपी)

आप की दिल्ली में क्या है रणनीति?
आम आदमी पार्टी खुद दिल्ली के ग्रामीण इलाकों, झुग्गी बस्तियों और अनाधिकृत कॉलोनियों के वोट बैंक वाली सीटों को जीतने की जुगत में है। इसीलिए सीट बंटवारे के लिए नई दिल्ली, साउथ दिल्ली, उत्तरी-पश्चिमी और पश्चिमी दिल्ली सीट पर चुनाव लड़ने का प्लान आप ने बनाया है। वैश्य, पंजाबी और पूर्वांचल के लोगों के बीच आम आदमी पार्टी की मजबूत पकड़ मानी जाती है। आम आदमी पार्टी नॉर्थ-ईस्ट और साउथ दिल्ली सीट पर पिछले चुनाव में दूसरे नंबर पर रही थी। वेस्ट और नई दिल्ली में भी पार्टी को कांग्रेस के सहयोग से अपना जनाधार बढ़ाने में मदद मिल सकती है।

कांग्रेस छोड़कर आम आदमी पार्टी में शामिल हुए वेस्ट दिल्ली के पूर्व सांसद महाबल मिश्रा जहां वेस्ट दिल्ली में सियासी तौर पर बड़े मददगार साबित हो सकते हैं तो वहीं नई दिल्ली में भी सीएम अरविंद केजरीवाल खुद विधायक हैं और किसी ऐसे युवा चेहरे को उतारने की तैयारी में हैं जो बीजेपी को कड़ी टक्कर दे सकता है. इस तरह आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने अपने-अपने मजबूत सीटों को लिया है ताकि एकजुट होकर बीजेपी से मुकाबला किया जा सके. सीट शेयरिंग में कांग्रेस-आप ने जातिगत समीकरण, जनाधार, जमीनी स्तर पर पार्टी संगठन की स्थिति और वोट बैंक को साधने की कोशिश की है. देखना अब ये है कि कांग्रेस-आप का ये गठबंधन चुनाव और धरातल पर क्या रंग खिलाता है?
           उत्तम नगर, विकास पुरी, द्वारका और मादीपुर इलाके में उत्तर प्रदेश और बिहार के वोटर्स करीब पंद्रह फीसदी है। इनका वोट आम आदमी पार्टी, कांग्रेस और भाजपा में बंटेगा। लेकिन ज्यादा रुझान आप की ओर है। इन इलाकों में कांग्रेस और आप को वोट मिलेंगे। भाजपा को मोदी के नाम पर और आप को उसके विधायकों के काम पर वोट मिलेंगे। झुग्गी-झोपड़ी में सड़क और नाली बनने का फायदा आप को मिलेगा। आप के विधायकों को इन इलाकों में आना-जाना लगा रहता है। इससे पार्टी का रिश्ता मतदाताओं के साथ कायम है। कांग्रेस के महाबल मिश्रा को पूर्वांचली होने का सबसे ज्यादा लाभ यहीं मिलेगा। यहां की एक बड़ी आबादी 2014 के पहले कांग्रेस का कोर वोटर भी रही है। इस क्षेत्र में करीब 15 फीसदी वोटर उत्तर प्रदेश और बिहार से हैं। महाबल मिश्रा इलाके से तीन बार विधायक और एक बार सांसद भी रहे हैं और काडर आज भी है, जिसे सिर्फ जगाने की जरूरत है, ऐसे में मिश्रा को कम करके नहीं आंका जा सकता। पिछली बार की तुलना में उन्हें ज्यादा वोट मिल सकता है।

            तिलक नगर, हरि नगर, जनकपुरी और राजौरी गार्डेन पंजाबी बहुल इलाका है। राजौरी गार्डेन को छोड़ कर हर जगह से आम आदमी पार्टी के विधायक हैं, इसका फायदा आप को मिलेगा, लेकिन वर्ष-2017 के उप चुनाव में भाजपा और अकाली दल ने मिल कर आप से राजौरी गार्डन की सीट छीन ली थी। लोग कहते हैं दो वर्ष तक सत्ता में रहने के बाद आम आदमी पार्टी के प्रति लोगों का झुकाव कम हुआ था, क्योंकि आप ने जो उम्मीदें जगाई थीं, वह पूरी नहीं हुईं। हालांकि आप के विधायक ने इन इलाकों में सड़क, नाली, जल बोर्ड का नई पाइप लाइन सहित कई अन्य काम किए हैं जिसकी वजह से आप उम्मीदवार को वोट मिलने की संभावना है। वहीं दूसरी तरफ एक बड़ी आबादी यह मानती है यह चुनाव प्रधानमंत्री चुनने के लिए है न की मुख्यमंत्री बनाने के लिए। ऐसे में पंजाबियों का एक बड़ा तबका भाजपा को वोट देगा।

शीला दीक्षित के काम को भी याद कर रहे हैं लोग
नौकरी-पेशा लोगों का आप के प्रति लगाव कम दिख रहा है, चाहे वह दिल्ली सरकार के अधीन काम काम रहे हों, चाहे दिल्ली नगर निगम या केन्द्र सरकार में काम कर रहा हो। हालांकि रोजगार के आंकड़ों पर पूरे देश में विपक्ष की हायतौबा के बावजूद प्राइवेट सेक्टर के लोगों का झुकाव मोदी की ओर है। भाजपा के बाद दूसरे विकल्प के तौर पर कांग्रेस उनकी पसंद है। दिल्ली के लोग अभी भी शीला दीक्षित के काम को याद करते हैं और आप से अलग चुनाव लड़ने के फैसले को सही मानते हैं। लेकिन इस बार पश्चिमी लोकसभा से आप व कांग्रेस ने मिलकर सांझा उम्मीदवार उतारा है जिसे देखते हुए अधिकतर लोगों का यही मानना है कि गठबंधन का कोई ज्यादा फायदा महाबल मिश्रा को मिलने वाला नही हैं। हां आने वाले विधानसभा चुनाव में गठबंधन से अलग रहकर कांग्रेस चुनाव लड़ती है तो इसका उसे फायदा मिलेगा।
           जनकपुरी विधानसभा क्षेत्र में पंजाबी मतदाताओं की संख्या अच्छी खासी है, जबकि मटियाला, विकासपुरी, उत्तमनगर और नजफगढ़ का क्षेत्र गांव बाहुल्य है। वहीं, मादीपुर और हरि नगर क्षेत्र की आबादी मिली जुली है। इसलिए इस सीट पर जीत हासिल करने के लिए उम्मीदवार क्षेत्रवाद और जातिवाद का भी सहारा ले रहे हैं। खासतौर पर सभी उम्मीदवार द्वारा पूर्वांचल और पंजाबी मतदाताओं को लुभाने की कोशिश हो रही है। साथ ही, गांव के मतदाताओं को भी अपने पक्ष में लाने की कवायद है। इसे लेकर सभी दलों के प्रत्याशी जोर शोर से जुटे हैं।

पांच प्रमुख समस्याएं
1. कच्ची कॉलोनियां, 2. सफाई, 3. नाली और सीवरेज, 4. ट्रैफिक जाम, 5. कनेक्टिविटी

अगले लेख में आखिर कौन होगा सीट का असली दावेदार इस पर चर्चा करेंगे।

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