पद्म पुरस्कारों का हुआ ऐलान, इन अनसंग हीरोज को मिलेगा पद्मश्री

स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

शिव कुमार यादव

वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

संपादक

भावना शर्मा

पत्रकार एवं समाजसेवी

प्रबन्धक

Birendra Kumar

बिरेन्द्र कुमार

सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

Categories

November 2024
M T W T F S S
 123
45678910
11121314151617
18192021222324
252627282930  
November 22, 2024

हर ख़बर पर हमारी पकड़

पद्म पुरस्कारों का हुआ ऐलान, इन अनसंग हीरोज को मिलेगा पद्मश्री

मानसी शर्मा / –  गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या यानी 25 जनवरी के पद्म पुरस्कारों का ऐलान हुआ। जिसमें 5 हस्तियों को पद्म विभूषण, 17 हस्तियों को पद्म भूषण और 110 हस्तियों को पद्मश्री अवार्ड देने की घोषणा हुआ। जहां एक्ट्रेस वैजयंती माला, वेंकैया नायडू को पद्म विभूषण पुरस्कार और मिथुन चक्रवर्ती, ऊषा उत्थुप को पद्म भूषण सम्मान के लिए चुना गया वहीं पद्मश्री पुरस्कार ऐसे लोगों को दिया जा रहा है जो अब तक गुमनामी की जिंदगी जी रहे थे। इसमें असम की रहने वाली देश की पहली महिला महावत पार्वती बरुआ, 28 हजार महिलाओं को स्वरोजगार देने वाली चामी मुर्मू, जशपुर से आदिवासी कल्याण कार्यकर्ता जागेश्वर यादव, आदिवासी पर्यावरणविद् दुखू माझी, पारंपरिक औषधीय चिकित्सक हेमचंद मांझी शामिल हैं। आखिर कौन हैं ये अनसंग हीरोज इसी के बारे में बताएंगे

पार्वती बरुआ

असम के गौरीपुर के एक राजघराने से ताल्लुक रखने वाली पार्वती बरुआ को शुरू से ही जानवरों से खास लगाव रहा है। खासकर हाथि‍यों से लगाव रहा है। उनका यही प्यार उनकी जिंदगी का लक्ष्य बन गया और उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी जानवरों की सेवा में लगाने का फैसला कर लिया। वो एशियन एलिफैंट स्पेशलिस्ट ग्रुप, आईयूसीएन की सदस्य भी हैं। उनकी जिंदगी पर कई डॉक्यूमेंट्री बन चुकी हैं।

 चामी मुर्मू

चामी मुर्मू पिछले 28 सालों में 28 हजार महिलाओं को स्वरोजगार दे चुकी हैं। चामी मुर्मू को नारी शक्ति पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।

जागेश्वर यादव

जशपुर से आदिवासी कल्याण कार्यकर्ता जागेश्वर यादव 67 साल के हैं। हैं। उन्हें सामाजिक कार्य (आदिवासी – पीवीटीजी) के लिए पद्म पुरस्कार से सम्मानित किया जा रहा है। उन्होंने हाशिये पर पड़े बिरहोर और पहाड़ी कोरवा लोगों के उत्थान के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया है। इन्होंने जशपुर में आश्रम की स्थापना की और शिविर लगाकार निरक्षरता को खत्म करने और मानक स्वास्थ्य सेवा को उन्नत करने के लिए काम किया। आर्थिक तंगी के बावजूद उनका जुनून सामाजिक परिवर्तन लाने के लिए बना रहा।

दुखू माझी

 पश्चिम बंगाल के पुरुलिया के सिंदरी गांव के आदिवासी पर्यावरणविद् दुखू माझी को सामाजिक कार्य (पर्यावरण वनीकरण) के क्षेत्र में पद्मश्री दिया जा रहा है। उन्होंने हर दिन अपनी साइकिल पर नए गंतव्यों की यात्रा करते हुए बंजर भूमि पर 5,000 से अधिक बरगद, आम और ब्लैकबेरी के पेड़ लगाए हैं।

हेमचंद मांझी

छत्तीसगढ़ के नारायणपुर के पारंपरिक औषधीय चिकित्सक हेमचंद मांझी को चिकित्सा (आयुष पारंपरिक चिकित्सा) के क्षेत्र में पद्मश्री दिया जा रहा। उन्होंने पांच दशकों से अधिक समय से ग्रामीणों को सस्ती स्वास्थ्य सेवा प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने 15 साल की उम्र से जरूरतमंदों की सेवा शुरू कर दी थी।

About Post Author

Subscribe to get news in your inbox