
नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- लगातार दो चुनावों में आम आदमी पार्टी के कब्जे में रही संगरूर सीट पर आप के मान का हार का झटका लगा है जबकि शिरोमणि अकाली दल अमृतसर के सिमरनजीत सिंह मान ने जीत दर्ज कर पार्टी का मान बढ़ाया है। उन्होंने आम आदमी पार्टी के युवा उम्मीदवार गुरमेल सिंह को 5,822 मतों से शिकस्त दी। पहले रुझान से ही सिमरनजीत मान आगे चल रहे थे। कुछ राउंड में गुरमेल सिंह आगे निकले लेकिन वे अपनी बढ़त कायम नहीं रख पाए। सीएम भगवंत मान का गढ़ माने जाने वाले संगरूर में पार्टी की शिकस्त एक बड़ा झटका है। इस चुनाव को आम आदमी पार्टी सरकार के कामकाज पर जनमत संग्रह के तौर पर देखा जा रहा था। खासतौर पर कानून व्यवस्था के मामले में आम आदमी पार्टी सरकार सवालों के घेरे में रही हैं। सिंगर और कांग्रेस नेता सिद्धू मूसेवाला की हत्या के बाद से मान सरकार बैकफुट पर रही है।
जीत के बाद मान ने ट्वीट कर लोगों का आभार जताया। उन्होंने कहा कि मुझे संसद में अपने प्रतिनिधि के रूप में चुनने के लिए मैं संगरूर के हमारे मतदाताओं का आभारी हूं। मैं अपने निर्वाचन क्षेत्र के किसानों, खेत-मजदूरों, व्यापारियों और सभी के कष्टों को दूर करने के लिए कड़ी मेहनत करूंगा। वहीं कांग्रेस पंजाब प्रधान अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग ने हार स्वीकार करते हुए कहा कि संगरूर उपचुनाव में जनता के फैसले को विनम्रतापूर्वक स्वीकार करते हैं। सिमरनजीत सिंह मान को उनकी जीत के लिए बधाई। मुझे यकीन है कि वह अपनी नई भूमिका में पंजाब की आवाज उठाते रहेंगे। लोगों में आम आदमी पार्टी के शासन के प्रति नाराजगी है।
आप की इस हार से पार्टी का लोकसभा में प्रतिनिधित्व खत्म हो गया हैं। क्योंकि इस सीट से पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान पार्टी के ंएकमात्र सांसद थे। हालांकि भगवंत मान संगरूर से लगातार दो बार सांसद रहे लेकिन अब पार्टी को यहां से हार मिली है। कांग्रेस नेता सुखपाल खैरा ने कहा कि मैं संगरूर के जागरूक मतदाताओं को केवल 3 महीनों में नकली क्रांतिकारियों को खारिज करके असली बदलाव लाने के लिए बधाई देता हूं। आम आदमी पार्टी ने 4.30 लाख वोटर्स का विश्वास खोया है, जिन्होंने तीन महीने पहले जीत दी थी।
इस सीट पर महज 45 फीसदी ही मतदान हुआ था। इसके चलते माना जा रहा था कि कुछ उलटफेर हो सकता है। आम आदमी पार्टी के एक नेता ने नाम उजागर न करने की शर्त पर कहा था, ’सिर्फ 45 फीसदी ही मतदान होना इस बात का संकेत था कि सरकार में सब कुछ सही नहीं चल रहा है। हमने बदलाव के लिए वोट दिया था, लेकिन वह दिख नहीं रहा है। नौकरशाह फैसले ले रहे हैं और कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज किया जा रहा है।’
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