नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने देश के पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की चीन नीति की आलोचना की है। उन्होने एक इंटरव्यू में पंचशील समझौते पर सवाल उठाते हुए कहा कि चीन नीति से जुड़ी पहले की बातों को समझना आज बेहद मुश्किल है। पंचशील समझौता भी इसका उदाहरण है। उन्होंने कहा कि चीन से रिश्ते हकीकत के आधार पर होने चाहिए और उन्होंने पंडित नेहरू के चीन से लगाव पर भी सवाल उठाते हुए उसे समझ से परे बताया है।

क्या बोले विदेश मंत्री जयशंकर
मीडिया के साथ एक इंटरव्यू में विदेश मंत्री एस जयशंकर से पूछा गया कि क्या भारत हमेशा माइंड गेम में चीन से हारा है? इस पर विदेश मंत्री ने कहा कि ’मुझे ऐसा नहीं लगता कि हम हमेशा हारे हैं लेकिन पूर्व में ऐसी कई घटनाएं हुईं, जिन्हें आज समझना बहुत मुश्किल है। पंचशील समझौता भी इसका उदाहरण है। हम सदियों पुरानी सभ्यताएं हैं और जब हम एक दूसरे से रिश्तें आगे बढ़ाएं तो इस बात का भी ख्याल रखा जाना चाहिए।’
’पीएम मोदी की चीन नीति व्यवहारिक’
देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित नेहरू की चीन नीति की आलोचना करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि ’उदाहरण के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सीट को ही लें तो मैं ये नहीं कह रहा कि हमें उस वक्त सीट ले लेनी चाहिए थी, यह एक अलग बहस का विषय है लेकिन ये कहना कि पहले चीन को यह सीट लेने दी जाए, चीन के हित पहले आने चाहिए, यह एक अजीब बयान था।’
जयशंकर ने कहा कि ’हमारी पूर्व की चीन नीति आदर्शवाद पर आधारित और यथार्थवाद से परे रही। चीन के साथ हमारे संबंध यथार्थवाद के आधार पर होने चाहिए। मुझे लगता है कि सरदार पटेल भी चीन से यथार्थवाद के आधार पर संबंधों के पक्षधर थे और पीएम नरेंद्र मोदी का भी ऐसा ही मानना है।’ विदेश मंत्री ने चीन को लेकर पीएम मोदी की नीति की तारीफ की और कहा कि पीएम मोदी चीन को लेकर व्यवहारिक दृष्टिकोण रखते हैं।


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