नारी सम्मान को समर्पित रहा ऋषिकेश का नारी संसद शक्ति महाकुंभ

स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

शिव कुमार यादव

वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

संपादक

भावना शर्मा

पत्रकार एवं समाजसेवी

प्रबन्धक

Birendra Kumar

बिरेन्द्र कुमार

सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

Categories

April 2024
M T W T F S S
1234567
891011121314
15161718192021
22232425262728
2930  
April 20, 2024

हर ख़बर पर हमारी पकड़

नारी सम्मान को समर्पित रहा ऋषिकेश का नारी संसद शक्ति महाकुंभ

-ऋषिकेश के परमार्थ निकेतन में आयोजित किया गया ‘नारी संसद’

ऋषिकेश/- नारी संसद में मुख्यअतिथि के रूप में शिरकत करने पंहुचे केरल के माननीय राज्यपाल श्री आरिफ मोहम्मद खान ने नारी संसद आयोजित करने हेतू साधुवाद देते हुए कहा कि जो वस्तुयें हमें सुलभता से मिलती है हम उनके प्रति उदासीन हो जाते हैं। इसी तरह हमारी मातृ शक्ति माँ, बहन, पत्नी और बेटी के रूप में हमें मिली हैं इसलिये हम उनका महत्व कम कर देते हैं। उनके द्वारा किये गये कार्या को हम भूल जाते हैं। शास्त्रों में बहुत ही सुन्दर शब्द है सुमिरन हमें भी नारियों के विषय में सुमिरन करने और कराने की जरूरत हैं। उन्होंने परोपकार के महत्व की भी व्याख्या करते हुये कहा कि उपकार करना ही पुण्य है और अत्याचार करना ही पाप है। उन्होने कहा कि ऋषिकेश का नारी संसद सिर्फ एक आयोजन नही रह गया है बल्कि नारी सम्मान को समर्पित एक शक्ति महाकुंभ बन गया है।

माननीय राज्यपाल, केरल श्री आरिफ मोहमम्द खान साहब, परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी एवं सभी विशिष्ट अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर किया। ‘नारी संसद’ भारतीय नारी-घर और बाहर के प्रातःकालीन सत्र में वैदिक संस्कृति, सनातन संस्कृति, परम्पराओं, शास्त्रों, पुराणों और देवी पुराण में नारी की महिमा, कर्तव्य, अधिकारों, स्वाभिमान से युक्त नारी के विषय में विस्तृत चर्चा की।

इस अवसर पर माननीय राज्यपाल श्री आरिफ मोहम्मद खान ने जयदेव जी की गीता का वर्णन करते हुये कहा कि शास्त्रों में भगवान श्रीकृष्ण को पूर्ण पुरूष कहा गया है परन्तु जब वे एक बार यमुना जी के तट पर गये तो अन्धकार से डर गये तब वे राधा जी के पास गये अर्थात पूर्ण पुरूष को भी मातृ शक्ति के सहयोग की आवश्यकता पड़ी तो हम सब तो साधारण है इसलिये मातृशक्ति के महत्व को स्वीकार करना होगा। हम कहते है महिला लक्ष्मी है अब समय आ गया है कि हम स्वीकार करें कि लक्ष्मी महिला है, सरस्वती महिला है और शक्ति महिला तो इसे स्वीकार करने में किसी को भी कठिनाई नहीं होनी चाहिये।

उन्होंने कहा कि महिलाओं को मासिक धर्म होना एक शारीरिक बात है परन्तु ऐसी जो भी समस्यायें है वह समाज की समस्यायें है अतः महिलाओं की समस्याओं को लेकर इन्हें नजरअन्दाज नहीं किया जा सकता बल्कि यह तो पूरे परिवार और समाज की समस्या है। महिलाओं ने तो वेदों की रचना की है परन्तु समय के साथ महिलाओं को चार दीवारी के अन्दर बंद करके रखा गया। पुरूषों को अपना भला, आने वाली पीढ़ियों का भला और समाज का भला करने के लिये महिलाओं की समस्याओं को स्वीकार करना और समाधान करना होगा।

उन्होंने शिक्षा के महत्व को बताते हुये कहा कि लड़कियों को भी लड़कों की तरह शिक्षित किया जाये तो वह भी हर कार्य कर सकती हैं। लड़के और लड़कियों में जो भी अन्तर है वह शिक्षा के कारण है। हमें अपने घरों में भी बेटी और बेटों को समान शिक्षा देनी होगी। उन्होंने कहा कि नारी के उत्पीडन में नारी का ही बहुत बड़ा हाथ है। हमारा रवैया बेटी और बहू के साथ समान होना चाहिये। उन्होंने कहा कि मैने अपने बेटे के निकाह नामे में कुछ शर्ते लिखवायी थी तब लोगों ने कहा कि यह आप अपने खिलाफ ही लिख रहे हैं परन्तु मैं अपनी बहू को अपनी बेटी ही मानता हूँ।

उन्होंने इस अवसर पर भक्ति कवियों द्वारा लिखित रचनाओं का वर्णन करते हुये कहा कि उन रचनाओं में नारी शक्ति की अद्भुत व्याख्या की गयी है। महिलाओं में किसी भी प्रकार की क्षमता की कमी नहीं है आज हमारी बेटियां भी फाइटर प्लेन चला रही है। शास्त्रों में उल्लेख है कि अपनी आत्मा और अपने आप को उपर उठने के लिये प्रयत्न करें। जीवन का उद्देश्य सुख की प्राप्ति नहीं बल्कि ज्ञान की प्राप्ति है, जिस दिन ज्ञान प्राप्त हो जायेगा उस ‘नारी संसद’ के दूसरे दिन आंतकवाद से मुक्त विश्व के निर्माण हेतु ‘संकल्प पत्र’ किया प्रस्तुत स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने केरल के राज्यपाल श्री आरिफ स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने केरल के राज्यपाल श्री आरिफ स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने केरल के राज्यपाल श्री आरिफ मोहम्मद खान को ‘नटराज पुरस्कार’ से सम्मानित किया।

इस अवसर पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि नारियों को सामना नहीं सम्मान चाहिये। उन्हें अपने पैरों पर खड़े होने के लिये एक सुरक्षित वातावरण चाहिये। एक दिन आप विभेद करना भूल जायेगे। मैं कहां पैदा हुआ हूँ और किस रूप में पैदा हुआ हूँं यह मेरे हाथ में नहीं है परन्तु पौरूष करना हमारे हाथ में हैं।

डॉ साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा यदि हम वास्तव में एक सशक्त राष्ट्र का निर्माण करना चाहते है तो हमें स्वीकार करना होगा कि हम जिनकी पूजा करते है उन्हीं बेटियों को यह भी बताते है कि माँ काली की तरह नहीं बल्कि गौरवर्ण की तरह होना चाहिये। हम बेटियों को फेयर बनने की शिक्षा देते हैं तब हम कैसे सशक्त समाज का निर्माण कर सकते है। हम सम्मेलनों में महिला सशक्तिकरण और समानता के बारे में बात करते हैं परन्तु इसे विचारों और सोच में स्थान देना होगा तभी हमारे ये कार्यक्रम सफल हो सकते हैं।

समानता का मतलब लड़कियां को लडकों के जैसे बात करना, कपड़े पहनना नहीं है बल्कि जिस प्रकार धरती पर गुलाब और गेंदा अलग-अलग है उसी प्रकार हमारे समाज में विविधता है उस विविधता को स्वीकार करते हुये समानता को स्वीकार करना होगा।

पर्यावरणविद् डा वंदना शिवा जी ने कहा कि भारत की संस्कृति विविधता में एकता की संस्कृति हैं और परमार्थ निकेतन में स्पष्टता से उस संस्कृति के दर्शन हो रहे हैं। हर संस्कृति ने नदियों को माँ नहीं कहा परन्तु भारत ने सभी नदियों को माँ का दर्जा दिया है। नदियों का पानी केवल पानी नहीं है बल्कि उसमें शक्ति है।

इस अवसर पर उन्होंने माँ भागीरथी जी का पृथ्वी पर अवतरण के प्रसंग को साझा करते हुये कहा कि हमारी नदियां, जंगल और जल हमारी दिव्य संपदा हैं। उन्होंने बताया कि 1050 स्थानों पर बीज संरक्षण अभियान शुरू है और इन केन्दों से विलुप्त हो रहे बीजों को बचाने का कार्य किया जा रहा है। जैविक खेती, नीम के पौधे और जैविक नाशकों के विषय में जानकारी दी।

डॉ. शिवा ने कहा कि प्रकृति के साथ काम करना ही महिला शक्ति है और यही आज की जरूरत है। चिपको आन्दोलन का उल्लेख करते हुये कहा कि उस समय आन्दोलनकर्ता महिलाओं ने कहा कि जो प्रकृति में शक्ति है, जो बह्मण्ड में शक्ति है वही हम सभी में है। प्रकृति का स्वास्थ्य और हमारा स्वास्थ्य जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा भूले-बिसरे अनाज में पोषण है इसलिये हमें इनको पुनः स्वीकार करना होगा। मुझे परमार्थ निकेतन में आकरपूज्य स्वामी जी और साध्वी के सान्निध्य में अत्यंत प्रसन्नता होती है।

मेयर ऋषिकेश श्रीमती अनीता ममगाई जी ने कहा कि हमारी गंगा मां और भारत माता मातृशक्ति का प्रतीक है। नारी संसद के आयोजन हेतु उन्होंने पूज्य स्वामी जी को धन्यवाद देते हुये कहा कि परमार्थ निकेतन द्वारा वर्षा से ऋषिकेश और आस-पास की स्लम ऐरिया में जाकर नारियों और बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य के लिये अद्भुत कार्य किये जा रहे हैं जो की अनुकणीय है और यही वास्वत में नारी संसद का प्रतीक भी है।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने माननीय राज्यपाल केरल श्री आरिफ मोहम्मद खान साहब को रूद्राक्ष का दिव्य पौधा, अंगवस्त्र, ्साहित्य, स्मृति चिन्ह भेंट कर अभिनन्दन किया। नारी संसद में सहभाग करने वाले सभी विशिष्ट अतिथियों एवं सहभागियों को हिमालय की हरित भेंट रूद्राक्ष का पौधा भेंट किया। कार्यशाला में सहभाग करने वाले प्रतिभागियों ने परमार्थ निकेतन में आयोजित सभी आध्यात्मिक कार्यक्रमों और गंगा जी की आरती में सहभाग कर आनन्द लिया। यह कार्यक्रम परमार्थ निकेतन और माता ललिता देवी ट्रस्ट के संयुक्त तत्वाधान में परमार्थ निकेतन में आयोजित किया गया।

About Post Author

Subscribe to get news in your inbox