

नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/नजफगढ़/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- वर्षों से लंबित पड़े दिल्ली के तीसरे रिंग रोड़ पर फिर से कार्यवाही शुरू करने के लिए मंगलवार को नजफगढ़ में डीडीए के प्रोजेक्ट अर्बन एक्सटेंशन रोड़ को खाली कराने के लिए प्रशासन ने एडीएम कापसहेड़ा के नेतृत्व में व्यापक तोड़फोड़ की कार्यवाही की। इस दौरान प्रशासनिक दस्ते ने पुलिस बल के साथ मिलकर करीब 50 घरों बुलडोजर चलाकर उन्हे जमींदोज कर दिया। हालांकि वहां रह रहे लोगों का आरोप है कि प्रशासन ने यह कार्यवाही बिना नोटिस दिये की है जबकि उनका कोर्ट में केस भी लंबित है। वहीं जब एडीएम से इस मामले में बात करनी चाही तो वो बिना कुछ कहे मौके से गायब हो गये। पूरे जीवन की कमाई व सपने का एक ही झटके में अंत हो जाने से लोगों में सरकार की नीतियों को लेकर काफी रोष है। लोगों का तो यहां तक कहना है कि गरीबों की कहीं कोई सुनवाई नही होती तो अब ऐसे में उनके पास आत्महत्या के सिवा कोई विकल्प सरकार ने नही छोड़ा है। वहीं भाजपा व आम आदमी पार्टी इस मुद्दे पर लोगों की सहानुभूति लेने के लिए आमने-सामने आ गई है और राजनीतिक कार्यकर्ता इसे सांप्रदायिक रंग देने में जुट गये है।
यहां बता दें कि मिली जानकारी के अनुसार दिल्ली को जाम से मुक्ति दिलाने के लिए व द्वारका व रोहिणी उपनगरी तथा नरेला व बवाना की औद्योगिक जोन की कनेक्टीवीटी बढ़ाने के लिए डीडीए ने एनएचएआई के तहत अर्बन एक्सटेंशन रोड़ योजना बनाई थी जिसमें डीडीए ने तीन नये लिंक रोड़ बनाने के प्रस्ताव पास किये थे। यह डीडीए व एनएचएआई का एक महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट है जो काफी लंबे समय से विभिन्न कारणों से लंबित पड़ा था। लेकिन पिछले साल प्रधानमंत्री की प्रगति योजना के तहत इसे जोड़ा गया और इस पर काम तेज करने के संकेत दिये गये। जिसका संज्ञान सीधा प्रधानमंत्री कार्यालय ले रहा है। इसे दिल्ली के तीसरे रिंग रोड़ के नाम से भी जाना जा रहा है। जिसकी कुल लंबाई 57.24 किलोमीटर है। जो वजीराबाद बाईपास से शुरू होकर एनएच-1, 10 व 8 को आपस में जोड़ेगा।
मंगलवार को नजफगढ़ के दिचाऊं रोड़ से नजफगढ़ डिपों तक प्रशासन ने अर्बन एक्सटेंशन रोड की जमीन में बने अवैध निर्माण के तोड़फोड़ की कार्यवाही को अंजाम दिया। इस मौके पर प्रशासनिक दस्ते के साथ-साथ भारी पुलिस दल भी मौजूद था। प्रशासन ने लोगों को घरों से सामान निकालने तक का मौका नही दिया। हालांकि कुछ लोगों ने इस कार्यवाही का विरोध करने की भी कोशिश की लेकिन पुलिस बल ने उन्हे आसपास भी नही फटकने दिया। प्रशासन ने इस दौरान करीब 50 घरों को तोड़ा। दो घरों पर हाईकोर्ट में केस होने के चलते प्रशासन अभी नही तोड़ा है। हालांकि तोड़फोड़ के पीड़ित लोगों का कहना है कि प्रशासन ने उन्हे पहले कोई नोटिस नही दिया जबकि उनका केस कोर्ट में लंबित हे फिर भी प्रशासन ने यह कार्यवाही कर कोर्ट की अवमानना की है। लोगों का यह भी आरोप है कि कोरोना काल में न काम है और न पैसा है। जैसे-तैसे गुजारा कर रहे थे ऊपर से मंहगाई ने भी कमर तोड़ कर रख दी है। ऐसे समय में प्रशासन ने यह काम कर उन्हे मरने के अलावा कोई चारा नही छोड़ा है। मुरलीधर कनिका गुलाब सिंह राखी ने बताया कि उन्होने अपने पूरे जीवन की कमाई से जैसे-तैसे बच्चों के लिए सिर छुपाने की जगह बनाई थी लेकिन सरकार ने उनसे यह भी छीन ली। अब इस उम्र में वो जायें तो कहां जाये। लोगों ने आरोप लगाया कि जब यहां कालोनियां कट रही थी तब अधिकारी व पुलिस कहां थी। उन पर सरकार कार्यवाही क्यों नही करती। लोगों का यह भी कहना है कि सरकार ने कोरोना काल का अच्छा मौका ढूंढा है जिसके तहत कहीं कोई सुनवाई नही हो रही है।
इस संबंध में जब एडीएम राकेश दहिया से जानकारी लेनी चाही तो वह मौके से गायब हो गये और नजफगढ़ एसडीएम को कार्यवाही की जिम्मेदारी सौंप गये। एसडीएम नजफगढ़ विनय कौशिक ने बताया कि लोगों को नोटिस दिये जा चुके थे और बोर्ड लगाकर भी यह जानकारी दी गई थी कि यह जमीन हाईवे की है यहां प्लाट न खरीदें लेकिन लोग मानते ही नही है। वहीं डीएम कापसहेड़ा ने लोगों को इस समस्या से निपटने के लिए कार्यालय भी बुलाया था लेकिन लोग गये नही। उन्होने आगे बताया कि इस जमीन में जितने भी मकान टूटे है उनका मुआवजा सरकार दे रही है। डीडीए उन लोगों को मुआवजा दे रही है जिनके कागज पक्के है और जिनके कागज अटार्नी के है उनका पैसा द्वारका कोर्ट में जमा करा दिया गया है। लोग अपने कागज द्वारका एडीजे कोर्ट में जमा करा दे ताकि कोर्ट उस पर कोई निर्णय ले सके। एसडीएम ने बताया कि 24 जून को रोशनपुरा क्षेत्र में तोड़फोड़ की कार्यवाही की जायेगी। बहरहाल लोग सदमें में है और इस तोड़फोड़ की कार्यवाही के बाद बिना छत के आसमान के नीचे रात गुजारने को मजबूर है।
इस तोड़फोड़ की कार्यवाही पर अब राजनीतिक रंग भी चढ़ने लगा है। भाजपा व आम आदमी पार्टी के नेता अब इस मामले में राजनीतिक लाभ लेने के लिए इस सांप्रदायिक बनाने से भी गुरेज नही कर रहे है। वहीं कांग्रेस भी अब मैदान में कूद पड़ी है। कुछ भाजपा नेताओं का अरोप है कि मकानों के साथ-साथ प्रशासन ने मंदिरों को तोड़कर हिन्दूओं की भावनाओं को आहत किया है। उन्होने इस कार्यवाही को केजरीवाल सरकार के मत्थे मढ़ने की कोशिश की है। जब आम आदमी पार्टी कार्यकर्ताओ का कहना है कि पश्चिमी दिल्ली के सांसद की देखरेख में यह कार्यवाही हो रही है और सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय इस पर रिपोर्ट ले रहा है। कांग्रेस कार्यकर्ताओं का कहना है कि दोनो पार्टियां लोगों को बेवकूफ बना रही है। दरअसल यही लोग कालोनी काटते है और फिर यही लोग आरोप लगाते हैं।
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