नई दिल्ली/- बाल विवाह को सख्ती से रोकने और शादी की आड़ में बच्चियों के साथ होने वाले बलात्कार पर रोक लगाने के लिए हरियाणा में पारित कड़े कानून पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने हाल ही में दस्तखत किए हैं। यह कानून सुप्रीम कोर्ट के निर्देश को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है लेकिन बाल विवाह पर सही मायने में रोक लगाने के लिए सिर्फ कड़े कानून काफी नहीं हैं, उन पर मुस्तैदी के साथ अमल होना भी जरूरी है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के आंकड़े बताते हैं कि फिलहाल ऐसा नहीं हो रहा है। यहां तक कि देश की राजधानी दिल्ली में भी यह बुराई अब तक बनी हुई है। बाल विवाह से जुड़े इन तमाम मुद्दों पर जोर देने के लिए कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन ने दिल्ली में समाजसेवी संगठनों का एक सम्मेलन किया, जिसमें ‘बाल विवाह मुक्त भारत’ अभियान को आगे बढ़ाने पर बात हुई।
सम्मेलन में इस बात पर चिंता जाहिर की गई कि देश के दूरदराज इलाकों में ही नहीं, राजधानी दिल्ली में भी अब तक ‘बाल विवाह’ जैसी समस्या मौजूद है। भारत सरकार की साल 2011 की जनगणना रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में 84,277 लोगों का बाल विवाह हुआ है, जो पूरे देश में हुए बाल विवाह के करीब एक फीसदी के बराबर है। बाल विवाह के मामले में दिल्ली देशभर के 29 राज्यों में 19वें नंबर पर हैं राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के ताजा आंकड़े भी साल 2011 की जनगणना के आंकड़ों की तस्दीक करते हैं. सर्वे के अनुसार देश में 20 से 24 साल की उम्र की 23.3 फीसदी महिलाएं ऐसी हैं जिनका बाल विवाह हुआ है।
बाल विवाह की पुलिस में नहीं होती शिकायत
नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी की संस्था केएससीएफ की तरफ से बुलाए गए इस सम्मेलन में इस बात का जिक्र भी हुआ कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार दिल्ली में साल 2019 में बाल विवाह के सिर्फ दो ही मामले दर्ज कराए गए। साल 2020 में यह संख्या चार और साल 2021 में महज दो रहीं सम्मेलन में शामिल लोगों ने कहा कि ये आंकड़े बताते हैं कि बाल विवाह के मामलों की पुलिस में शिकायत नहीं की जा रही है। सम्मेलन में शामिल लोगों ने आम लोगों के साथ ही सरकार और सुरक्षा एजेंसियों से भी बाल विवाह को रोकने के लिए ऐसे मामलों में सख्ती से कार्रवाई करने की अपील की है।
बाल विवाह के मामलों में एफआईआर दर्ज करना अनिवार्य हो
सम्मेलन में बाल विवाह रोकने के लिए ऐसे मामलों में एफआईआर दर्ज करने को अनिवार्य बनाने और कानून तोड़ने वालों को कड़ी सज़ा दिलाने के लिए बाल विवाह को जुवेनाइल जस्टिस एक्ट और पॉक्सो एक्ट से जोड़ने जैसे सुझावों पर भी विचार किया गया। सम्मेलन में शामिल संगठनों ने देश के हर जिले में बाल विवाह रोकने के लिए चाइल्ड मैरेज प्रोहिबिशन ऑफिसर नियुक्त करने की मांग भी की हैं केएससीएफ ने ‘बाल विवाह मुक्त भारत’ अभियान के तहत इस सम्मेलन का आयोजन दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग, महिला एवं बाल विकास विभाग और दिल्ली सरकार के साथ मिलकर किया। इस सम्मेलन में दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य रंजना प्रसाद, बुराड़ी से विधायक संजय झा, उत्तर प्रदेश की पूर्व डीजीपी सुतापा सान्याल, दिल्ली टीचर्स यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रो. धनंजय जोशी और कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन के कार्यकारी निदेशक राकेश सेंगर समेत कई प्रमुख समाजसेवी शामिल हुए।


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