तमिलनाडु में हिंदी पर सियासत के बावजूद दक्षिण में लोकप्रिय हो रही हिंदी

स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

शिव कुमार यादव

वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

संपादक

भावना शर्मा

पत्रकार एवं समाजसेवी

प्रबन्धक

Birendra Kumar

बिरेन्द्र कुमार

सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

Categories

November 2024
M T W T F S S
 123
45678910
11121314151617
18192021222324
252627282930  
November 8, 2024

हर ख़बर पर हमारी पकड़

तमिलनाडु में हिंदी पर सियासत के बावजूद दक्षिण में लोकप्रिय हो रही हिंदी

-5 दक्षिणी राज्यों में हिंदी में परीक्षा देने वाले 5 लाख पार, बढ़ रही हिंदी सीखने वालों की संख्या

चेन्नई/शिव कुमार यादव/– तमिलनाडु में इन दिनों सनातन पर हमले और हिंदी का विरोध सियासत उबाल रहा है। इस विरोध के बावजूद तमिलनाडु के लोगों में हिंदी सीखने की ललक बढ़ी है, क्योंकि 5 दक्षिणी राज्यों में इस बार हिंदी में परीक्षा देने का आंकड़ा रिकार्ड स्तर पर कर 5 लाख से ज्यादा हो गया है। तमिलनाडु में विरोध के बावजूद लोग अब हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में स्वीकार करने लगे हैं। दक्षिणी हिस्से में हिंदी के प्रचार का जिम्मा दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा (डीबीएचपी) के पास है। ये संस्था तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना में हिंदी सीखने वालों के लिए साल में दो बार परीक्षा आयोजित करती है।

दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा साल में दो बार दक्षिणी राज्यों में हिंदी की परीक्षा आयोजित करती है। 2022 की परीक्षा में कुल 5,12,503 लोग बैठे थे। इनमें अकेले तमिलनाडु के 2.86 लाख परीक्षार्थी थे। 2018 में तमिलनाडु में ये आंकड़ा 2.59 लाख था। इनमें चेन्नई के 90492 लोग थे। इनमें से 80 फीसदी स्कूली छात्र-छात्राएं हैं। अगस्त 2023 में हुई परीक्षा के आंकड़े अभी नहीं मिले हैं। नए परीक्षार्थियों में सरकारी कर्मचारियों का आंकड़ा भी बढ़ने लगा है।

लोग अपनी इच्छा से हिंदी सीखने आ रहे
संस्था से 1986 से जुड़े पीएन रामकुमार ने भास्कर को बताया कि महात्मा गांधी ने 1918 में संस्था की शुरुआत दक्षिणी राज्यों में हिंदी को स्थापित करने के लिए की थी। इसका मुख्यालय चेन्नई में है। 1927 से ये संस्था स्वतंत्र है। पहले प्रचार में हमें काफी मेहनत करनी पड़ी, लेकिन अब लोग स्वेच्छा से हिंदी सीखने और परीक्षा देने आ रहे हैं। तमिलनाडु में हिंदी के 7 हजार प्रचारक हैं। पुडुचेरी सहित पांच दक्षिणी राज्यों में कुल मिलाकर 14847 प्रचारक हैं।

हिंदी को भविष्य के लिए फायदेमंद मान रहे लोग
रामकुमार बताते हैं कि आज तमिलनाडु की युवा पीढ़ी के लिए हिंदी सबसे लोकप्रिय तीसरी भाषा बन गई है। लोग समझने लगे हैं कि हिंदी सीखना फायदेमंद है, क्योंकि यह अंग्रेजी के अलावा एक अखिल भारतीय भाषा है। यहां के पेरेंट्स ये जानते हैं कि राज्य के बाहर रहने के लिए बच्चों का तीसरी भाषा सीखना जरूरी है। हमारी प्राथमिक परीक्षा ‘परिचय’ और आखिरी ’प्रवीण’ कहलाती है।

तमिलनाडु में हिंदी का विरोध 88 साल पुराना
तमिलनाडु के सरकारी स्कूलों में हिंदी नहीं पढ़ाई जाती है। वहां 90 के दशक तक इन स्कूलों में हिंदी के शिक्षक होते थे। बाद में इस विषय को हटा लिया गया। हालांकि, भाषा विकल्प के रूप में हिंदी आज भी है। दरअसल, केंद्र सरकार नई शिक्षा नीति लाने जा रही है, जिसमें तीन भाषाओं को सीखने का प्रावधान है। इसी के खिलाफ तमिलनाडु की क्डज्ञ सरकार विरोध कर रही है।

किंडरगार्टन के बच्चे भी परीक्षा दे रहे
नए परीक्षार्थियों में निचले तबके के वो लोग ज्यादा हैं, जो बड़े स्कूलों में दाखिला नहीं ले सकते। अब सरकारी स्कूलों में हिंदी के टीचर ही नहीं हैं, इसलिए वे हमारी संस्थागत परीक्षा में बैठते हैं। निचले किंडरगार्टन के छात्र भी हिंदी सीखने आने लगे हैं। हम श्रीलंका में भी 25 साल से हिंदी पढ़ा रहे हैं। 2018 में कोलंबो, कैंडी और त्रिंकोमाली में परीक्षा हुई थी, जिसमें 252 लोग बैठे थे।

तमिलनाडु में नीट पर सरकार और राज्यपाल में टकराव
तमिलनाडु में नीट खत्म करने की मांग को लेकर डीएमके युवा विंग और डॉक्टरों ने 21 अगस्त को एक दिन की भूख हड़ताल की। सीएम स्टालिन के बेटे और राज्य सरकार में मंत्री उदयनिधि स्टालिन भी भूख हड़ताल में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने आरएन रवि पर निशाना साधा और कहा- राज्यपाल को अहंकार हो गया है।

आप कौन हो गवर्नर, आपके पास क्या अधिकार है। गवर्नर आरएन रवि को अपना नाम बदलकर आरएसएस रवि कर लेना चाहिए।

About Post Author

Subscribe to get news in your inbox