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    June 23, 2025

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    जी-20 देशों में पिछले 8 साल में प्रति व्यक्ति 7 फीसदी बढ़ा कॉर्बन उत्सर्जन

    -समूह के सात देशों ने अभी तक नही बनाई है कोयले के उपयोग को बंद करने की योजना

    नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/सिंगापुर/शिव कुमार यादव/- दिल्ली में जी-20 सम्मेलन से ठीक पहले पर्यावरण समूह एम्बर ने कॉर्बन उत्सर्जन पर जी-20 देशों की एक रिपोर्ट जारी की है। जिसमें दावा किया गया है कि जी-20 देशों में 2015 से अब तक 7 फीसदी कॉर्बन उत्सर्जन बढ़ा हैं। रिपोर्ट में इसका कारण भारत और चीन में कोयला-आधारित नए संयंत्र लगने और ऑस्ट्रेलिया में प्रति व्यक्ति कॉर्बन डाइऑक्सइट का स्तर वैश्विक औसत से तीन गुना अधिक होना बताया जा रहा है। इसमें चीन सबसे आगे और इसके बाद भारत का नंबर है, जहां इस अवधि में क्रमशः 30 फीसदी और 29 फीसदी उत्सर्जन बढ़ा है।

    जी-20 शिखर सम्मेलन से ऐन पहले पर्यावरण समूह एम्बर की तरफ से मंगलवार को जारी शोध नतीजों के मुताबिक, समूह के सात सदस्यों चीन, ब्राजील, भारत, जापान, दक्षिण कोरिया, दक्षिण अफ्रीका और अमेरिका ने चरणबद्ध तरीके से कोयले का उपयोग बंद करने पर अभी कोई योजना नहीं बनाई है। एम्बर वैश्विक स्तर पर स्वच्छ बिजली के इस्तेमाल पर जोर देता है।
                शोध में बताया गया है कि विश्व स्तर पर ऊर्जा क्षेत्र उत्सर्जन में जी-20 देशों की हिस्सेदारी 80 प्रतिशत है। पिछले साल कोयला आधारित बिजली से प्रति व्यक्ति कॉर्बन उत्सर्जन 1.6 टन था, जो 2015 में 1.5 टन था। ताजा आंकड़ा वैश्विक औसत 1.1 टन से काफी अधिक है। दुनिया के सबसे बड़े कोयला उपभोक्ता और कॉर्बन डाइऑक्साइड के सबसे बड़े स्रोत चीन में 2022 में प्रति व्यक्ति उत्सर्जन 3.1 टन तक पहुंच गया, जो 2015 से 30 प्रतिशत अधिक है, जबकि इस अवधि में 670 गीगावाट नवीकरणीय क्षमता में बढ़ी है। वहीं, भारत में कोयला क्षेत्र से प्रति व्यक्ति उत्सर्जन इस अवधि में 29 प्रतिशत बढ़कर 0.8 टन हो गया।

    जलवायु अनुकूल कृषि दक्षता के लिए अनुसंधान की जरूरतों पर मंथन
    जी-20 सम्मेलन की तैयारियों के बीच कृषि मंत्रालय की तरफ से हैदराबाद में जी-20 देशों की एक तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया है। इसका उद्देश्य जलवायु परिवर्तन के कारण उपजी वैश्विक चुनौतियों पर चर्चा करना है। 4 से 6 तक चलने वाली कार्यशाला में इस पर मंथन जारी है कि जलवायु चुनौतियों से बेअसर कृषि कृषि दक्षता कैसे हासिल की जा सकती है। कार्यशाला में दुनियाभर के विशेषज्ञों को साथ लाकर जलवायु परिवर्तन से निपटने में देशों के कौशल और दक्षताओं को बढ़ाने के लिए सहयोग और सूचनाओं का आदान-प्रदान किया जा रहा है। इसमें वक्ता वैज्ञानिक कृषि खाद्य प्रणालियों में अनिश्चितता दूर करने के लिए नवीन समाधान तलाशने पर मंथन कर रहे हैं। कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री सुश्री शोभा करंदलाजे ने कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में हिस्सा लिया था जो जलवायु समुत्थान कृषि अनुसंधान आवश्यकताओं और नवोन्मेष पर केंद्रित था।

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