चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने एक बार फिर अमेरिका को दी धमकी

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November 8, 2024

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चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने एक बार फिर अमेरिका को दी धमकी

-ताइवान का समर्थन अमेरिका के लिए खतरनाक, तनाव कम करने को लेकर आयोजित हुआ आभासी शिखर सम्मेलन

नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/देश-विदेश/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- चीन ताइवान को लेकर किसी का भी हस्तक्षेप बर्दाश्त करने के मूड में नही दिखाई दे रहा है। हालांकि विश्व में कई मुद्दों को लेकर चीन-अमेरिका में काफी तनातनी चल रही है लेकिन ताइवान की आजादी का समर्थन कर रहे अमेरिका को चीन ने एक बार फिर धमकाया है। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने व्हाइट हाउस में चल रहे आभासी शिखर सम्मेलन में अमेरिका को साफ चेतावनी दी है कि ताइवान की आजादी का समर्थन करना अमेरिका के लिए आग से खेलने जैसा है, जो आग से खेलेंगे वे जल जाऐंगे।
                ताइवान के मु्द्दे पर चल रहे इस शिखर सम्मेलन का उद्देश्य दो महाशक्तियों के बीच उत्पन्न हो रहे संघर्ष को खत्म करना था, लेकिन चीन ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के सामने अपना रुख साफ कर दिया है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा कि- ’अमेरिका के कुछ लोग चीन को नियंत्रित करने के लिए ताइवान का इस्तेमाल करना चाहते हैं, लेकिन यह बहुत खतरनाक है और आग से खेलने जैसा है।’
                   दुनिया की दो बड़ी अर्थव्यवस्थाओं और महाशक्तियों के बीच पिछले कुछ दिनों से रिश्ते तल्ख होते जा रहे हैं। पहले कोविड-19 महामारी के कारण अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से चीन के रिश्ते खराब हुए, उसके बाद ताइवान पर बढ़ते दबाव ने जो बाइडन प्रशासन को असहमत कर दिया। ताइवान पर बढ़ने चीनी दबाव पर अमेरिका खुल कर सामने आ चुका है, जिसके बाद चीन ने भी अपने इरादे साफ कर दिए थे। चीन ने पिछले दिनों ताइवान की सीमा में घुसपैठ की थी। करीब दो दर्जन से ज्यादा चीनी लड़ाकू विमान ताइवान के हवाई क्षेत्र में घुस गए थे, जिसके बाद दोनों देशों के रिश्तों में दरार आ गई थी। इसके बाद अमेरिका ने ताइवान का समर्थन किया था, जिससे चीन और भी ज्यादा आक्रामक हो गया है।
                 आभासी शिखर सम्मेलन के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने शिनजियांग, तिब्बत और हांगकान में चीन की गतिविधियों पर चिंता व्यक्त की। बाइडन ने कहा कि अमेरिकी श्रमिकों को चीन के अनुचित व्यवहार और आर्थिक प्रथाओं से बचाने की आवश्यकता है। इसके अलावा उन्होंने एक स्वतंत्र हिंद-प्रशांत क्षेत्र के महत्व पर भी चर्चा की। इस क्षेत्र के लिए अमेरिकी प्रतिबद्धता के बारे में भी चीन को अवगत कराया।

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