नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/नजफगढ़/शिव कुमार यादव/- कृषि विज्ञान केंद्र, उजवा, (राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान विकास प्रतिष्ठान) द्वारा, नजफगढ. क्षेत्र के शिकारपुर गांव में चने की फसल पर प्रक्षेत्र दिवस का आयोजन किया गया। यह आयोजन भारत सरकार की परियोजना राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के अंतर्गत किया गया।
इस अवसर पर उजवा कृषि विज्ञान केंद्र के अध्यक्ष डा. पी के गुप्ता ने उपस्थित किसानों का स्वागत करते हुए बताया कि दिल्ली के क्षेत्र में दलहनी फसलों का क्षेत्रफल बहुत ही कम है। इसी को ध्यान में रखते हुए कृषि विज्ञान केंद्र दिल्ली के द्वारा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के क्लस्टर अग्रिम पंक्ति प्रदर्षन के अंतर्गत दिल्ली देहात के विभिन्न गांव झटीकरा, शिकारपुर, दरियापुर, तिगीपुर, धोगा, पल्ला आदि में किसानों के 35 प्रक्षेत्रों (14 हेक्टर) चने की उन्नत किस्म जी.एन.जी-1958 का प्रदर्शन लगवाये, जिसमें किसानों को चने की उन्नत किस्म के बीज के साथ बीज उपचार एवं फफुंदनाशी व कीटनाशक दवाइयों का वितरण किया गया। डा. पी के गुप्ता ने बताया कि सभी किसान भाई चने की फसल से प्राप्त बीज को सभी किसानों को वितरण करें ताकि चने के क्षेत्र में बढ़ावा हो सके।
इसी क्रम में डा. समर पाल सिंह विशेषज्ञ (शस्य विज्ञान) ने बताया कि चने की किस्म जी एन.जी-1958 कृषि अनुसंधान केन्द्र, श्रीगंगानगर (राजस्थान) के द्वारा विकसित कि गई है जो मोटे दाने वाली किस्म है जिसकी उत्पादकता 26 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। डा. सिंह ने कहा कि चने की फसल को लगाने से पानी एवं खाद उर्वरक की कम आवष्यकता होती है। जिससे किसान को खर्चा कम आता है एवं चना वायुमंडल से नाइट्रोजन का स्थिरीकरण करके जमीन को उपलब्ध करवाता है जिससें जमीन की उर्वरकता शक्ति बढ़ती है। इस दौरान डॉ. सिंह ने किसानों को चना के प्रदर्शनों का भ्रमण करवाकर किस्म जी.एन.जी-1958 के बारे में विस्तृत जानकारी दी।
इस अवसर पर श्री कैलाश, विषेषज्ञ (कृषि प्रसार) ने केन्द्र की विभिन्न संचार माध्यम (व्हाट्स एप्प, वेबसाइट, मोबाइल एप्प आदि) कि विस्त्त जानकारी उपलब्ध करवाई। उन्होनें के कहा कि कृषि विज्ञान केन्द्र के द्वारा विभिन्न प्रषिक्षण जैसे- खाद परिरक्षण एवं प्रसंस्करण, मधुमक्खी पालन, मषरुम उत्पादन एवं जैविक खेती का आयोजन किया जाता है जिससें किसान लाभान्वित हो सकते है। कार्यक्रम के क्रम में श्री बृजेष कुमार विषेषज्ञ (मृदा विज्ञान) नें मिटट्ी जांच का महत्व एवं खेत से मृदा नमूना लेने की विधि के बारे में अवगत करवाया।
कार्यक्रम के दौरान प्रगतिशील किसान श्री धर्म पाल त्यागी, श्री बालकिषन, श्री प्रेम कुमार, श्री दीपक कुमार, श्री विषेष, श्री ओम एवं अन्य साथी किसानों ने प्रदि र्षत फसल के बारे में अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि चने कि फसल में फलियों की संख्या काफी अच्छी है जिसमें 2-3 दानों की संख्या प्रति फली है जिससें अच्छी उपज का अनुमान है। इस कार्यक्रम में लगभग 35 किसानों ने भाग लिया। कार्यक्रम के अंत में डा. गुप्ता ने सभी किसानों व अतिथियों का आभार व्यक्त किया।
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