गुजारा भत्ता देने के इंकार का कारण नही बन सकता कमाने में समक्ष है पत्नी- दिल्ली हाईकोर्ट

स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

शिव कुमार यादव

वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

संपादक

भावना शर्मा

पत्रकार एवं समाजसेवी

प्रबन्धक

Birendra Kumar

बिरेन्द्र कुमार

सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

Categories

November 2024
M T W T F S S
 123
45678910
11121314151617
18192021222324
252627282930  
November 22, 2024

हर ख़बर पर हमारी पकड़

गुजारा भत्ता देने के इंकार का कारण नही बन सकता कमाने में समक्ष है पत्नी- दिल्ली हाईकोर्ट

-कई बार महिलाएं केवल परिवार हित में कर देती हैं अपने करियर का त्याग, दिल्ली हाई कोर्ट ने सैन्य अधिकारी की याचिका पर की टिप्पणी

नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/दिल्ली हाईकोर्ट/नई दिल्ली/भावना शर्मा/- दिल्ली हाईकोर्ट ने एक सैन्य अधिकारी द्वारा दायर पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने टिप्पणी की कि पत्नी को अंतरिम गुजारा भत्ता देने से इन्कार करने का यह आधार नहीं हो सकता कि वह कमाने में सक्षम है, क्योंकि कई बार महिलाएं केवल परिवार हित में अपने करियर का त्याग कर देती हैं। तीस हजारी स्थित परिवार न्यायालय ने मई 2018 में भारतीय सेना में कर्नल के पद पर कार्यरत व्यक्ति को अपनी पत्नी को 33,500 रुपये मासिक गुजारा भत्ता देने का निर्देश दिया था। इस आदेश को इस सैन्य अधिकारी ने हाई कोर्ट में चुनौती देते हुए मांग की थी कि इसे निरस्त कर दिया जाए।
                 याचिका में तर्क दिया गया कि उसकी पत्नी व्यभिचारी संबंध में थी। यही नहीं, वह शिक्षिका के रूप में जीविकोपार्जन कर रही थी। सैन्य अधिकारी की पत्नी ने कहा कि परिवार न्यायालय का आदेश उचित है और पुनरीक्षण याचिका सुनवाई योग्य नहीं है।इस याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने सुप्रीम कोर्ट के कई निर्णयों को देखा, जिनमें सीआरपीसी की धारा-125 का उद्देश्य निर्धारित किया गया है। इसमें अलग रह रही महिला को भोजन, वस्त्र और आश्रय प्रदान करके सहायता करने का प्रविधान है।
                 पीठ ने याचिका को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए याचिकाकर्ता को पत्नी को अंतरिम गुजारा भत्ते के रूप में 14,615 रुपये प्रतिमाह देने का निर्देश दिया। साथ ही पीठ ने कहा कि वह परिवार न्यायालय के आदेश के उस हिस्से को बाधित करने के लिए इच्छुक नहीं है, जिसमें पति को याचिका दायर करने की तिथि दिसंबर 2016 तक पत्नी को प्रतिमाह नौ हजार रुपये की राशि का भुगतान करने का निर्देश दिया गया था।

About Post Author

Subscribe to get news in your inbox