मानसी शर्मा / – रंगों का त्योहार होली आने वाली है। ये पर्व हिंदू धर्म में सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक मानी जाती है। होली के पहले होलिका दहन मनाई जाती है। होलिका दहन फाल्गुन महीने की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। होलिका दहन के अगले दिन ही रंग-गुलाल से होली खेली जाती है। जिसे धुलेंडी, धुलंडी और धूलि होली भी कहते हैं। होली को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है।
पौराणिक कथाओं केमुताबिक, असल में होलिका दहन की तैयारी त्योहार से 40दिन पहले शुरू हो जाती हैं। 40 दिन पहले से लोग सूखी टहनियां, पत्ते जुटाने में लग जाते हैं। इसके बाद फाल्गुन की पूर्णिमा तिथि के दिन शाम के समय अग्नि जलाई जाती है और मंत्रों का उच्चारण किया जाता है फिर दूसरे दिन दिन सुबह नहाने से पहले इस अग्नि की राख को अपने शरीर लगाते हैं, और स्नान करते हैं।
क्यों मनाते हैं होलिका दहन
हिंदू धर्म में भगवान विष्णु के भक्त प्रह्लाद और दानव होलिका के बारे में कथा है। प्रह्लाद राक्षस हिरण्यकश्यप और उसकी पत्नी कयाधु का पुत्र हुआ करता था। हिरण्यकश्यप नहीं चाहता था कि प्रह्लाद भगवान विष्णु की पूजा करे। एक दिन, उसने अपनी बहन होलिका की मदद से अपने बेटे को मारने की योजना बनाई। होलिका के पास एक दिव्य चुनरी थी। तब होलिका को यह चुनरी ब्रह्मा जी ने अग्नि से बचाने के लिए उपहार में दी थी।
होलिका जलकर राख हो गई
होलिका ने प्रह्लाद को लालच दिया कि वो प्रचंड अलाव में उसके साथ बैठे लेकिन भगवान विष्णु की कृपा के कारण, दिव्य चुनरी ने होलिका के बजाय प्रह्लाद की रक्षा की और होलिका जलकर राख हो गई और प्रह्लाद अग्नि से बाहर निकल आया। इसलिए इस त्यौहार को होलिका दहन के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में भी होलिका दहन का पर्व मनाया जाता है।
More Stories
डी.एच क्रिकेट की रोमांचक जीत! विराज के विस्फोटक शतकीय पारी ने मचाया कोहराम!
ककरौली उपचुनाव में हिंसा और पथराव, पुलिस पर हमला, 120 पर मामला दर्ज
पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में आतंकी हमला, 32 लोगों की मौत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गुयाना दौरा, राष्ट्रपति इरफान अली ने किया स्वागत
पोक्सो एक्ट में वांछित अपराधी को द्वारका एएटीएस ने किया गिरफ्तार
पर्थ टेस्ट से पहले कप्तान बुमराह का दिखा अलग रूप, प्लेइंग इलेवन पर साधी चुप्पी