
नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- ब्रिटेन की फार्मास्युटिकल कंपनी एस्ट्राजेनेका के अदालत में बयान के बाद कांग्रेस भाजपा नित केंद्र सरकार पर हमलावर हो गई है। कांग्रेस ने कोविशील्ड टीके के दुष्प्रभाव से पीड़ित लोगों के लिए मुआवजे की मांग की है। कांग्रेस का कहना है कि केंद्र सरकार व कोरोना वैक्सीन कंपनियों ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के दिशानिर्देशों का पालन नहीं किया जिसके लिए अब सरकार को पीड़ितों के परिजनों को मुआवजा देना चाहिए।

विपक्षी दल कांग्रेस ने आरोप लगाया कि केंद्र की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नित सरकार ने कोरोना वायरस महामारी के दौरान टीके के दुष्प्रभाव को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के दिशानिर्देशों का पालन नहीं किया। कांग्रेस ने मांग की कि कोरोना वायरस रोधी कोविशील्ड टीके लेने के बाद दिल का दौरा या मिलते जुलते कारणों से जान गंवाने वालों के परिजनों को मुआवजा दिया जाए। हालांकि, भाजपा की गुजरात इकाई से जुड़े चिकित्सकों ने कहा कि राज्य में विशेषज्ञ समिति के एक अध्ययन से पता चला है कि कोविड-19 रोधी टीकों और रक्त के थक्के के बीच कोई सीधा संबंध नहीं है।

ब्रिटेन की फार्मास्युटिकल कंपनी एस्ट्राजेनेका ने ब्रिटेन की अदालत में स्वीकार किया है कि उसका कोविड टीका रक्त के थक्के जमाने संबंधी दुष्प्रभाव उत्पन्न कर सकता है। भारत में, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) द्वारा निर्मित इस टीके को कोविशील्ड नाम से जाना जाता है। कांग्रेस की गुजरात इकाई के अध्यक्ष और राज्यसभा सदस्य शक्तिसिंह गोहिल ने सवाल किया कि डब्ल्यूएचओ की सलाह के बावजूद दुष्प्रभाव को लेकर डेटा एकत्र क्यों नहीं किया गया।
उन्होंने कहा, ‘‘चूंकि उस समय दुनिया के पास टीकों के दुष्प्रभावों का विश्लेषण करने का समय नहीं था, इसलिए डब्ल्यूएचओ ने कहा था कि देशों को दुष्प्रभावों के आंकड़ों का रिकॉर्ड रखना चाहिए। अन्य देशों ने इस सलाह का पालन किया और रिकॉर्ड रखा।’’ गोहिल ने दावा किया, ‘‘लेकिन, हमारे देश में ऐसा कोई डेटा एकत्र नहीं किया गया।’’
प्रदेश भाजपा के चिकित्सक प्रकोष्ठ के संयोजक डॉ. धर्मेंद्र गज्जर ने गोहिल के दावों का खंडन किया। उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस मिथक फैला रही है। आईसीएमआर ने नवंबर 2023 में एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी और घोषणा की थी कि टीकों से खून का थक्का नहीं जमता है। एस्ट्राजेनेका ने भी कहा है कि खून के थक्के जमने की संभावना 0.004 प्रतिशत है, जो बहुत कम है। हर टीके के अपने दुष्प्रभाव होते हैं लेकिन, हम जोखिम बनाम लाभ अनुपात को भी ध्यान में रखते हैं।

कोविशील्ड लगवाने वालों पर अध्ययन हो : गहलोत
राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कोरोना वैक्सीन के दुष्प्रभाव को लेकर अध्ययन करवाने की मांग की है। गहलोत ने बुधवार को सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा, ‘‘कोरोना से ग्रस्त होने के बाद सामने आईं स्वास्थ्य समस्याओं को लेकर चिकित्सकों ने लगातार जनता को आगाह किया है। अब कोविशील्ड वैक्सीन को लेकर उठे सवालों से जनता के मन में संशय की स्थिति पैदा हो गई है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘भारत सरकार को भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के अनुसंधानकर्ताओं के माध्यम से आमजन को वास्तविकता से अवगत करवाना चाहिए और अविलंब कोविशील्ड लगवाने वाले लोगों पर अध्ययन कर पता करना चाहिए कि इसके क्या दुष्प्रभाव हो सकते हैं और इनसे बचने के लिए क्या किया जाना चाहिए।’’ बायतु से कांग्रेस विधायक हरीश चौधरी ने मंगलवार को सोशल मीडिया पर पोस्ट कर कहा, ‘‘कोविड वैक्सीन की वजह से जो समस्या आज पूरे देश के सामने है, उससे घबराने के बजाय उसके समाधान पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।’’
उन्होंने कहा, ‘‘वैक्सीन बनाने वाली कंपनी ने जब यह स्वीकार कर लिया है कि इसके दुष्प्रभाव जानलेवा हैं और अब वैक्सीन बनाने वाली कंपनी इसकी जिम्मेदारी नही ले रही है तो केंद्र सरकार तुरंत इसका अनुसंधान करवाकर इसके समाधान की दिशा में कदम बढ़ाए ताकि देश में जनहानि को रोकने में हम सफल हो सकें।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैंने स्वयं ने भी यही वैक्सीन लगवायी है इसलिए सभी देशवासियों से मेरी अपील है कि आप घबराएं नहीं, हमने कोविड को भी मिलकर हराया था और इसको भी हम सब मिलकर हराएंगे।’’
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