नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- केरल में पीएम मोदी की ताबड़तोड़ रैलियों का अब राज्य के लोगों पर असर दिखने लगा है। जिसके दम पर केरल में भाजपा बड़ा ऊलटफेर, कर सकती हैं हालांकि प्रदेश में लोगों को मोदी काफी पसंद आ रहे हैं लेकिन फिर भी केरलवासी नॉर्थ की तर्ज पर भाजपा को वोट देने को तैयार नही है। लोगों का मानना है कि मिल-झुलकर रहना ज्यादा अच्छा है। वहीं ‘लेफ्ट की सरकार पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों को देखते हुए मतदाताओं के पास कांग्रेस की खिचड़ी के अलावा कोई दूसरा विकल्प नही है। जिसे देखते हुए कांग्रेस की अगुवाई वाले यूडीएफ को ज्यादा फायदा मिलता नही दिख रहा है। हालांकि केरल में कांग्रेस की फैन लिस्ट इतनी बड़ी नही है जितनी बड़ी अब मोदी की हो चुकी है। इसलिए आनेवाले चुनाव में भाजपा कुछ बड़ा कर सकती है।
कुछ चुनावी ओपिनियन पोल के नतीजे भी दर्शा रहे है कि इस बार केरल में भाजपा का खाता खुल सकता है और भाजपा दो सीट जीत सकती है। सर्वे अनुमानों के मुताबिक केरल की कुल 20 सीटों में से यूडीएफ को 14, एलडीएफ को 4 और भाजपा को 2 सीटें मिल सकती हैं। लेकिन जिस तरह से केरल में मोदी को पंसद करने का ग्राफ बढ़ा उसे देखते हुए इस बार भाजपा 6 सीटे जीत सकती है। जिसके बाद यूडीएफ को 11 और एलडीएफ को 3 सीटे मिलती दिख रही है। यानी केरल में आईएनडीआईए गठबंधन को 14 सीट और भाजपा को 6 सीटें मिल सकती है।
केरल में बन रहे नये समीकरण की बात करें तो वोट शेयर को लेकर कांग्रेस व उसके सहयोगी 41 फीसदी पर सिमट सकते है। बीजेपी को 30 फीसदी तथा लेफ्ट को 26 फीसदी वोट मिलने का अनुमान है। अन्य के खाते में 3 फीसदी वोट जा सकते हैं।
मोदी रैलियों व विश्व प्रभाव से भाजपा को बड़ा फायदा
जिस तरह से पूरे विश्व में इस समय मोदी की ख्याती का डंका बज रहा है उसे देखते हुए केरल वासी भी पीएम मोदी को काफी पसंद कर रहे हैं और मोदी अपनी रैलियों से इसी पसंद को वोट में बदलना चाहते हैं। यही कारण है कि केरल में भाजपा बड़ा ऊलटफेर करने की स्अेज पर आ गई है। वैसे भी भाजपा अपने मिशन 400 पार के नारे पर काम कर रही है उसी के तहत पीएम मोदी ने इस बार दक्षिण में कुछ बड़ा करने का मन बनाया हुआ है। हालांकि दक्षिणवासी देश के उत्तरी भाग में जो हो रहा है उससे नाखुश नजर आ रहे है और मिल झुलकर रहने की संस्कृति को पसंद करते हैं।
कांग्रेस को फायदा
कांग्रेस की अगुवाई वाले यूडीएफ को 2019 के लोकसभा चुनाव में केरल में 15 सीटें मिली थीं और 2014 की तुलना में गठबंधन को 7 सीटों का फायदा हुआ था। इस बार यूडीएफ को कोई खास फायदा होता नही दिख रहा है। भारतीय जनता पार्टी केरल में अब तक कोई भी लोकसभा सीट नहीं जीत पाई है। हालांकि, इस बार बीजेपी की कोशिश जन सेना की मदद से चार सीटों पर जीत हासिल करने की होगी। बीजेपी ने पिछले कुछ समय में यहां बड़े चेहरों को अपने साथ जोड़ा है। इससे पार्टी का वोट शेयर भी बढ़ा है और जिस तरह से केरल में मोदी का ग्राफ बढ़ रहा उससे भाजपा गठबंधन 4 की बजाये 6 सीटें जीत सकता है।
राहुल की सीट पर लेफ्ट का उम्मीदवार
कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी केरल से ही चुनाव लड़ रहे हैं। 2019 में उन्होंने वायनाड सीट से चुनाव लड़ा था और बड़े अंतर से जीत हासिल की थी। इस बार भी उन्हें इसी सीट से टिकट दिया गया है हालांकि, अन्य राज्यों में कांग्रेस के साथ चुनाव लड़ रही लेफ्ट पार्टियां केरल में कांग्रेस के खिलाफ हैं। वायनाड सीट पर लेफ्ट की तरफ से महिला उम्मीदवार को टिकट दिया गया है। इसका नुकसान कांग्रेस को हो सकता है।
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