किसान आंदोलन की तर्ज पर अब 113 संगठनों ने बनाया संयुक्त युवा मोर्चा,

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किसान आंदोलन की तर्ज पर अब 113 संगठनों ने बनाया संयुक्त युवा मोर्चा,

-देश के युवाओं के हित सुरक्षित रखने को देशव्यापी संघर्ष की तैयारी

नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- किसान आंदोलन के बाद उसी की तर्ज पर अब एक देशव्यापी युवा आंदोलन की तैयारी जोरों पर है। देश भर के 113 समूहों और संगठनों ने साथ आकर ’संयुक्त युवा मोर्चा’ गठित किया है। युवा हल्लाबोल के राष्ट्रीय संयोजक अनुपम ने मंगलवार को एक प्रेसवार्ता में यह जानकारी दी है। रोजगार के लिए देशव्यापी आंदोलन शुरू किया जाएगा। एक दिन पहले दिल्ली में हुई बैठक में 22 राज्यों से विभिन्न भर्ती समूह और युवा संगठन शामिल हुए थे। उस बैठक में ’भारत रोजगार संहिता’ लागू कराने पर आम सहमति बनी है। आंदोलन की जमीन तैयार करने को लेकर देश भर में युवा महापंचायत आयोजित की जाएंगी। जून में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में युवाओं का राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित होगा। इसमें सभी प्रांतों से भारी संख्या में युवा शामिल होंगे।
                 प्रेसवार्ता के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण, पूर्व आईपीएस रहे यशोवर्धन आजाद, उत्तरप्रदेश से राजेश सचान, पंजाब के लवप्रीत सिंह और अमनदीप कौर, तमिलनाडु से डॉक्टर पी ज्योति कुमार व जम्मू कश्मीर के विंकल शर्मा भी मौजूद रहे। अनुपम ने बताया, सोमवार को हुई बैठक में कई राज्यों के भर्ती समूह जैसे बिहार शिक्षक अभ्यर्थी, मध्यप्रदेश शिक्षक अभ्यर्थी, उत्तरप्रदेश पुलिस अभ्यर्थी, कार्यपालक सहायक, सेना अभ्यर्थी, राजस्थान लाइब्रेरियन अभ्यर्थी, रेलवे अभ्यर्थी, आशा वर्कर्स, कंप्यूटर शिक्षक अभ्यर्थी, महिला कामगार संघ, बिहार उर्दू अनुवादक, लेखपाल, खुदाई खिदमतगार सहित तमिलनाडु, केरल, जम्मू कश्मीर और पंजाब सहित 22 राज्यों के युवा समूहों ने एक साथ आकर बड़े आंदोलन की जमीन तैयार करने का फैसला किया है। इसके अतिरिक्त इस मुहिम को देश के प्रसिद्ध वकीलों, अर्थशास्त्रियों, पूर्व नौकरशाहों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का समर्थन भी मिल रहा है।
                    सोमवार को हुई बैठक में प्रशांत भूषण एवं जाने माने अर्थशास्त्री संतोष मेहरोत्रा के अलावा सामाजिक कार्यकर्ता अखिलेंद्र प्रताप, जेपी सेनानी व दिनेश कुमार सहित कई जाने माने सामाजिक कार्यकर्ता भी शामिल हुए थे। बैठक में पेश हुए प्रस्ताव की जानकारी देते हुए अनुपम ने बताया, रोजगार युवाओं के लिए जीवन मरण का सवाल बन चुका है। बेरोजगारी के कारण आत्महत्या करने वालों युवाओं की संख्या बढ़ती जा रही है। देश के युवाओं को सरकार से एक ’भरोसा’ चाहिए कि उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ न हो। यह ’भरोसा’ ’भारत रोजगार संहिता’ है। इसके लिए विभिन्न संगठनों को सामूहिक रूप से संघर्ष करना होगा। जनता के बीच परिवर्तन की इस आशा को जगाने के लिए एक जन आंदोलन की आवश्यकता है।
                   अनुपम के मुताबिक, हम युवाओं की समस्या को लेकर केवल हल्ला नहीं मचा रहे हैं, बल्कि समस्या का हल भी सुझा रहे हैं। देश में ऐसी व्यवस्था लागू हो, जिसमें हर वयस्क को रोजगार का अधिकार मिले। 21-60 आयु वर्ग के प्रत्येक वयस्क के लिए उनके निवास के 50 किलोमीटर के दायरे में बुनियादी न्यूनतम मजदूरी सुनिश्चित करने के लिए एक कानूनी गारंटी हो। सार्वजनिक क्षेत्र में सभी रिक्त पदों को निष्पक्ष और समयबद्ध तरीके से भरा जाए। स्थाई प्रकृति की नौकरियों में बड़े पैमाने पर संविदाकरण को समाप्त किया जाए। घाटे में चलने वाले उद्योगों का राष्ट्रीयकरण और लाभ का निजीकरण बंद हो। इसके चलते सामाजिक न्याय, बुरी तरह प्रभावित हुआ है। देश में असमानता बढ़ रही है और साथ ही नौकरियों का नुकसान हो रहा है।

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