नई दिल्ली/- कांग्रेस में अध्यक्ष का चुनाव और राजस्थान सरकार में मुख्यमंत्री पद का फैसले को लेकर अब कांग्रेस आलाकमान सख्त हो गया है। दोनों मसलों पर आज का दिन निर्णायक हो सकता है। राजस्थान में सीएम पद पर शुरू हुए विवाद के बाद अशोक गहलोत अध्यक्ष पद की रेस से बाहर माने जा रहे थे, लेकिन मंगलवार रात से फिर उनकी चर्चा शुरू हो गई है। वहीं नई चर्चा यह भी चल पड़ी है कि सोनिया गांधी ने अशोक गहलोत को मिलने का समय नही दिया है। हालांकि एक बार फिर दिग्विजय सिंह का नाम इस पद के लिए चल पड़ा है, भारत जोड़ो यात्रा छोड़कर वे दिल्ली जा रहे हैं। उन्होंने केरल में मीडिया से बात करते हुए कहा कि वे अध्यक्ष पद के लिए नॉमिनेशन कर सकते हैं।
सियासी घमासान के बीच आज दोपहर मुख्यमंत्री ने विधानसभा स्पीकर डॉ. सीपी जोशी, मंत्री शांति धारीवाल समेत कई वरिष्ठ मंत्रियों से मुलाकात की। इसकी जानकारी देते हुए मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने दावा किया कि गहलोत इस्तीफा नहीं दे रहे हैं। वहीं, अध्यक्ष पद पर नॉमिनेशन के सवाल पर प्रताप ने कहा कि नामांकन वे भरेंगे या नहीं, इसकी जानकारी केवल मुख्यमंत्री और केंद्रीय नेतृत्व को है।
इस बीच मुख्यमंत्री के दिल्ली जाने के समय में तीसरी बार बदलाव हुआ है। सूत्रों के अनुसार वे अब शाम करीब आठ बजे दिल्ली जा सकते हैं। इससे पहले खाचरियावास ने शाम पांच बजे मुख्यमंत्री के दिल्ली जाने की जानकारी दी थी। हालांकि, 10 जनपथ से जुड़े सूत्रों के अनुसार सोनिया गांधी 30 सितंबर तक किसी से नहीं मिलेंगी। इसलिए गहलोत की मुलाकात पर भी संशय बना हुआ है। आज मुख्यमंत्री गहलोत से मिलने विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी, संसदीय कार्य मंत्री शांती धारीवाल समेत महेश जोशी, प्रताप सिंह खाचरियावास और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा भी पहुंचे थे। सूत्रों ने कहा कि कांग्रेस लीडर्स का एक खेमा फिर से गहलोत का नाम अध्यक्ष पद के लिए आगे बढ़ा रहा है। फैसला आज शाम तक हो सकता है।
वेणुगोपाल बोले- जल्द निकलेगा समाधान
भारत जोड़ो यात्रा और अध्यक्ष चुनाव की प्रक्रिया के बीच राजस्थान कांग्रेस की कलह फिर खुलकर सामने आ गई है। कांग्रेस के इस संकट को लेकर पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि राजस्थान संकट का समाधान एक-दो दिन में ढूंढ लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि हम प्रजातंत्र में विश्वास करते हैं और हमारे यहां पर सब कुछ प्रजातांत्रिक तरीके से चर्चा होती है।
वहीं, सीएम पद के लिए गहलोत खेमे के विरोध का सामना कर रहे सचिन पायलट पहले से ही दिल्ली में मौजूद हैं। अभी तक पायलट ने केवल यही कहा है कि वे हाईकमान के फैसले का इंतजार कर रहे हैं। इसके अलावा पायलट या उनके किसी समर्थक ने कोई बयान नहीं दिया है। इस चुप्पी को गंभीर माना जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक, ब्ड पद को लेकर भी फैसला जल्द लिया जा सकता है। इधर, भरतपुर में पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने दावा किया है कि गहलोत अपना कार्यकाल पूरा करेंगे।
राजस्थान से दिल्ली मूवमेंट के पीछे कांग्रेस की स्ट्रैटजी
गहलोत के नजदीकी तीन नेताओं ने विधायक दल की बैठक का बहिष्कार किया और इस पर उन्हें नोटिस दिया गया। लेकिन, पर्यवेक्षकों ने अपनी रिपोर्ट और नोटिस में गहलोत का नाम नहीं लिया है। सूत्रों के मुताबिक, हाईकमान इस विवाद को टालने की कोशिश में है। गहलोत का नाम नहीं लिए जाने को विवाद टालने के संकेत के तौर पर देखा जा रहा है। इसके साथ ही हाईकमान आगे संभावनाएं खुली रखने की स्ट्रैटजी पर चल रहा है। अध्यक्ष पद के नॉमिनेशन का नाम आज फाइनल होने की संभावना है।
अध्यक्ष पद पर अब तक केवल दो ही नेताओं ने नॉमिनेशन फॉर्म लिए
कांग्रेस अध्यक्ष पद पर 30 सितंबर तक नामांकन भरे जा सकेंगे। अब तक कांग्रेस के केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण से केवल शशि थरूर और कोषाध्यक्ष पवन कुमार बंसल ही नॉमिनेशन फॉर्म लेकर गए हैं। पवन बंसल खुद नॉमिनेशन भरने से मना कर चुके हैं। बताया जाता है कि बंसल ने हाईकमान के नेताओं के इशारे पर ही नॉमिनेशन फॉर्म लेकर रखा है, ऐसे में कोई नया नाम सामने आ सकता है।
विधायक दल की बैठक का बहिष्कार करने के बाद हुए विवाद और माकन की रिपोर्ट पर गहलोत के नजदीकी मंत्री शांति धारीवाल और महेश जोशी ने खुलकर सवाल उठाए थे। धारीवाल ने माकन पर पक्षपात करने के आरोप लगाए। इन आरोपों पर गहलोत ने अब तक कुछ नहीं कहा है। अजय माकन को लेकर गहलोत खेमा कभी भी संतुष्ट नहीं रहा, अब उन्हें बदलने की नए सिरे से मुहिम शुरू की गई है।
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