हैल्थ डेस्क/- सर्दियों में हर घर में च्यवनप्राश खाया जाता है। यह इम्यूनिटी बूस्ट करता है और बीमारियों को दूर रखता है। आयुर्वेद में भी च्यवनप्राश का महत्व बताया गया है। लेकिन आज देश में नकली च्यवनप्राश बहुत ज्यादा बिक रहा है। ज्यादातर कंपनियां च्यवनप्राश के नाम पर सिर्फ चीनी ही परोस रही है। अकसर च्यवनप्राश के खाने के तरीके को लेकर लोग असमंजस में रहते है। कुछ लोेग तो बच्चों को च्यवनप्राश देने तक से परहेज करते हैं। तो आईये च्यवनप्राश कब और कैसे खाना चाहिए तथा कैसे पहचान सकते हैं कि हम जो च्यवनप्राश खा रहे हैं, वो असली है या नकली? क्या इसे खाने का कोई नुकसान भी है?
इस संबंध में हम एक्सपर्ट की राय के अनुसार जानकारी दे रहे हैं-
आखिर क्या होता है च्यवनप्राश?
40 से 50 तरह की जड़ी-बूटियों को मिलाकर बनाई गई एक ऑयुर्वेदिक औषधी को च्यवनप्राश कहा जाता है। इसमें आंवले का इस्तेमाल मुख्य तौर से किया जाता है। आंवले में भरपूर मात्रा में विटामिन- सी होता है। सभी सामान को पकाने के बाद उसमें चीनी या शहद मिलाकर एक पेस्ट जैसा तैयार किया जाता है। जिसे बच्चों से लेकर बूढ़े तक आसानी से खा सकते हैं।
जितना फायदा च्यवनप्राश खाने से होता है लगभग उतना ही नुकसान नकली च्यवनप्राश खाने से हो सकता है। इसलिए असली-नकली में फर्क समझना जरूरी है। नकली च्यवनप्राश को आसानी से घर पर ही पहचाना जा सकता है।
च्यवनप्राश खाने के 11 फायदे
1 च्यवनप्राश को आंवले से बनाया जाता है। आंवले में मौजूद विटामिन- ब् रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यूनिटी को बढ़ाता है।
2 शरीर में न्यूट्रिएंट्स यानी पोषक तत्वों की कमी को दूर करता है।
3 इसमें मौजूद एंटी-ऑक्सिडेंट्स स्किन के लिए फायदेमंद होते हैं। इससे चेहरे की झुर्रियां और फाइन लाइन्स भी कम होती है।
4 इसे खाने से ब्लड सर्कुलेशन सही होता है। दिल की मसल्स को भी मजबूती मिलती है।
5 मेंटल एबिलिटी को बढ़ाने में च्यवनप्राश फायदेमंद हैं। यह अनिद्रा और अल्जाइमर जैसी बीमारियों में खाया जाना चाहिए।
6 दिमाग को तेज करता है और याद्दाश्त मजबूत करता है।
7 डाइजेस्टिव सिस्टम मजबूत होता है। पेट के कैंसर के खतरे को कम करता है।
8 लंग्स से रिलेटेड बीमारियों के लिए काफी फायदेमंद है। खांसी-जुकाम जैसी बीमारियां दूर रहती हैं।
9 यह वात्त, पित्त और वायु तीनों दोषों में बैलेंस बनाकर शरीर को हेल्दी रखने का काम करता है।
10 सेल्स और टिश्यूस की मरम्मत होती है। पुराने रोगों में फायदा होता है।
दांत और हड्डियां मजबूत होती हैं। शरीर में हीमोग्लोबिन के स्तर को बढ़ाता है।
11 महिलाओं के पीरियड्स रेगुलर होते हैं। गर्भवती महिलाओं के लिए भी च्यवनप्राश फायदेमंद है।
आखिर क्यों डाली जाती है च्यवनप्राश में चीनी ?
च्यवनप्राश में अनेकों प्रकार की जड़ी-बूटियां डाली जाती हैं। जिससे इसका स्वाद खट्टा व तीखा हो जाता है। इसके स्वाद को बैलेंस करने के लिए इसमें चीनी या शहद डालना ही पड़ता है। यही जड़ी-बूटी चीनी के नकारात्मक प्रभाव को कम कर देता है। इसे खाने से इम्यूनिटी बूस्ट होती है। यह सर्दी, जुकाम और कई तरह की एलर्जी से हमारा बचाव करता है।
बच्चों को च्यवनप्राश देना चाहिए या नहीं?
बदलते मौसम की बीमारियों से बच्चों को बचाने के लिए उन्हें हर दिन च्यवनप्राश खिलाना चाहिए। इससे बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यूनिटी बूस्ट होती है।
बच्चों को कैसे खिलाएं च्यवनप्राश?
बच्चों को सोने से पहले दूध के साथ एक चम्मच च्यवनप्राश खिलाएं, इससे डाइजेशन अच्छा रहता है।
बच्चों को किस मात्रा में च्यवनप्राश खाना चाहिए?
च्यवनप्राश को सही मात्रा में खाने से कई बीमारियों से बचा जा सकता है। बच्चों को च्यवनप्राश खिलाने के लिए इसे याद रखें-
0-1 वर्ष के बच्चों को च्यवनप्राश खिलाने की जरूरत नहीं होती। स्तनपान कराने वाली मां को च्यवनप्राश खाना चाहिए।
1-5 साल के बच्चों को आधा चम्मच च्यवनप्राश खिलाना चाहिए।
6-12 साल के बच्चों को एक चम्मच च्यवनप्राश खिला सकते हैं।
12 से ज्यादा उम्र के लोग 2 चम्मच च्यवनप्राश खा सकते हैं।
इसे खाने का सही समय क्या है?
सुबह खाली पेट च्यवनप्राश खाने का सबसे सही समय है। खासतौर पर सर्दियों के मौसम में यह अधिक फायदेमंद है। इसे खाने से ठंड में होने वाला सर्दी-जुकाम नहीं होगा। सुबह-शाम खा सकते हैं। रात में खाने से बचना चाहिए। इससे पेट में समस्या हो सकती है।
क्या च्यवनप्राश खाने के कोई नुकसान भी हो सकते हैं?
च्यवनप्राश एक आयुर्वेदिक औषधी है, जिसे खाना स्वास्थ्य के लिए अच्छा है, लेकिन अगर इसे ज्यादा खाया जाए, तो लूज मोशन हो सकते हैं। इसके साथ इनडाइजेशन यानी अपच, पेट फूलना, पेट पर सूजन, स्किन एलर्जी, स्किन पर लाल निशान और रैशेज की समस्या हो सकती है।
क्या डायबिटीज के रोगियों के लिए बाजार में मिल रही शुगर फ्री च्यवनप्राश सेफ है?
बाजार में मिल रही शुगर फ्री और गुड़ वाले च्यवनप्राश डायबिटीज के रोगी खा सकते हैं। इसके अलावा आम च्यवनप्राश भी शुगर के मरीजों को नुकसान नहीं पहुंचाएगी। बस ध्यान रहे कि च्यवनप्राश एक विश्वसनीय ब्रैंड से खरीदें। मेरी सलाह हैं कि ऐसे पेशेंट डॉक्टर की सलाह से ही खाएं।
फ्लेवर वाला च्यवनप्राश कितना उपयोगी होता है?
फ्लेवर वाले च्यवनप्राश बस कंपनियों की मार्केटिंग स्ट्रैटेजी है। इनमें अलग से बस फ्लेवर डाल दिया जाता है।
क्या सिर्फ सर्दियों में ही इसे खा सकते हैं?
च्यवनप्राश को किसी भी मौसम में खाया जा सकता है। हांलाकि गर्मियों में इसे खा रहे हैं, तो खाने-पीने का ध्यान दें और खूब पानी पिएं। नहीं तो कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं। ऐसे समय में तला-भूना और अधिक मसालों वाले भोजन से दूर रहें।
आखिर किसने की च्यवनप्राश की खोज-
इसकी खोज बुजुर्ग च्यवन ऋषि को जवान बनाने के लिए की गई थी। इसे खाते ही ऋषि जवान हो गए थे, जिसके बाद इसका नाम पड़ा च्यवनप्राश। उत्तर प्रदेश के मैनपुरी से 18 किलोमीटर दूर औंछा क्षेत्र में है च्यवन ऋषि आश्रम। मान्यता है कि यहां के कुंड में नहाने से चर्म रोग ठीक हो जाते हैं। हजारों साल पहले द्वापर युग में यहीं पर सबसे पहले च्यवन ऋषि और मयन ऋषि जैसे 88 हजार ऋषियों ने 84 साल तक तपस्या की थी।
श्रीमद्भागवत पुराण के अनुसार, औंछा ऋषियों की तपोस्थली है। जब च्यवन ऋषि यहां तपस्या में लीन थे, तो राजा शर्याद की पुत्री सुकन्या वहां से गुजर रहीं थी। उन्होंने देखा कि दीमक-मिट्टी के टीले में दो गोल-गोल छेद दिखाई दे रहे हैं, जो वास्तव में च्यवन ऋषि की आँखें थीं। सुकन्या ने कौतूहलवश उन छेदों में कांटे गड़ा दिए।
कांटों के गड़ते ही उन छेदों से खून बहने लगा। च्यवन ऋषि काफी बूढ़े भी हो गए थे। उन्होंने दोबारा जवान होने के लिए सूर्य पुत्र अश्विनी कुमार से प्रार्थना की। अश्विनी कुमारों ने अष्टवर्ग के आठ औषधिय पौधों की खोज की और च्यवन ऋषि दोबारा जवान हो गए। उन्होंने बूढ़े शरीर को दोबारा जवान बना देने को उस खास औषधि का चमत्कार माना। राजा शर्याद ने अपनी पुत्री सुकन्या का विवाह च्यवन ऋषि के साथ कर दिया। तभी से इसे च्यनवनप्राश कहा जाता है।
आईये जानते हैं घर पर च्यवनप्राश बनाने की विधि-
सामग्री-
आंवला- 5 किलो
बाकि सभी 50 ग्राम के हिसाब से लें-
बिदरीकन्द
सफेद चन्दन
वसाका
अकरकरा
शतावरी
ब्राह्मी
बिल्व
छोटी हर्र (हरीतकी)
कमल केसर
जटामानसी
गोखरू
बेल
कचूर
नागरमोथा
लौंग
पुश्करमूल
काकडसिंघी
दशमूल
जीवन्ती
पुनर्नवा
अंजीर
असगंध (अश्वगंधा)
गिलोय
तुलसी के पत्ते
मीठा नीम
संठ
मुनक्का
मुलेठी
इसके अलावा-
घी- 250 ग्राम
तिल का तेल – 250 ग्राम
चीनी – तीन किलो
पिप्पली – 100 ग्राम
बंशलोचन – 150 ग्राम
दालचीनी – 50 ग्राम
तेजपत्र – 20 ग्राम
नागकेशर – 20 ग्राम
छोटी इलायची – 20 ग्राम
केसर – 2 ग्राम
शहद – 250 ग्राम
बनाने का तरीका
-आंवले को अच्छे से धोकर एक पोटली में बांध लें। एक बड़े स्टील के बर्तन में 12 लीटर पानी भरें। उसमें पोटली में बंधा आंवला भिगो दें।
-इसमें 50 ग्राम वाली सारी साम्रगी मिला लें। इस बर्तन को गैस पर रख दें और जब पानी उबल जाए, तो गैस को धीमी कर दें।
-धीमी आंच पर इसे 1-2 घंटें के लिए उबलने दें। इसे गैस से हटाकर 10-12 घंटे के लिए ढककर रख दें। अब आंवले को पोटली से निकालकर गुठली अलग कर दें।
-आंवले को काट लें। बर्तन के पानी को छानकर अलग रख लें। लोहे की कढ़ाही में आंवले का पल्प भून लें।
-दूसरी कढ़ाही में तिल का तेल और घी डालें और गर्म कर लें। इसके बाद इसमें आंवले का पल्प मिला लें और चम्मच से हिलाते रहें।
-जब इस मिक्सचर में उबाल आने लगे, तो इसमें चीनी मिला दें। इसे चम्मच से लगातार चलाते रहें। इसमें बीच-बीच में जड़ी-बूटी वाला पानी मिलाते रहे ताकि ये ज्यादा गाढ़ा न हो।
-पूरा पानी मिलाने के बाद, जब मिश्रण गाढ़ा हो जाए तो गैस बंद कर दें और 5-6 घंटे के लिए ढककर रख दें।
-अब छिली हुई इलायची के दानों में पिप्पली, बंशलोचन, दालचीनी, तेजपात और नागकेसर को मिक्सी में पीस लें।
-पिसी हुई सामग्री में शहद और केसर मिलाकर आंवले वाले मिक्सचर में मिला दें। इस आयुर्वेदिक च्यवनप्राश को एक एयर टाइट बर्तन में रख दें।
नोट- ध्यान रहें कि च्यवनप्राश लोहे की कढ़ाही में ही बनाया जाता है।
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