नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/ब्यूरो डेस्क/शिव कुमार यादव/- कर्नाटक चुनाव से पहले भाजपा में टिकट नही मिलने पर भाजपा छोड़ कांग्रेस में आये वरिष्ठ लिंगायत नेता लक्ष्मण सावदी व जगदीश शेट्टार ने चुनाव में भाजपा को जरूर बड़ा झटका दे दिया लेकिन वहीं कांग्रेस ने पूर्ण बहुमत से कर्नाटक की जीत के बाद मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की सरकार में उक्त दोनो बागियों को मंत्रीमंडल में जगह न देकर यह सिद्ध कर दिया की दलबदलुओं का फायदा तो उठाया जा सकता है लेकिन उन्हे वो सम्मान व रूतबा नही दिया जा सकता जो एक पार्टी के नेताओं को मिलता है।
लिगांयत नेताओं को नकारने के बाद अब कांग्रेस भी इससे होने वाले नुकसान की भरपाई में जुट गई है और सिद्धारमैया सरकार फूंक-फूंककर कदम रख रही है। लेकिन यह तय हो गया है कि कर्नाटक में कांग्रेस ने भाजपा के बागियों का पूरी तरह से नकार दिया है। अब उन्हे सरकार से बाहर कोई पद दे भी दे तो यह वही बात होगी कि एक बागी को चंद टुकड़े फेंक कर खुश कर दिया। हालांकि दोनो ही नेता कर्नाटक के सबसे बड़े लिगांयत समाज के नेता है और लिंगायत समाज का यह अपमान कांग्रेस के लिए काफी भारी पड़ सकता है। तो क्या यह माना जाये कि एक बार फिर बागियों का पलायन होगा और होगा तो कब क्योंकि 2024 का चुनाव भी अब सिर पर आ चुका है। क्या अब कांग्रेस में बागी फिर दलबदल करेंगे। हालांकि अभी तक भाजपा के बागियों ने ऐसा कोई संकेत नही दिया है लेकिन राजनीतिक गलियारों में चर्चा आम हो चली है।
कर्नाटक में कैबिनेट विस्तार के बाद अब मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने अपने सहित मंत्रियों के विभागों का बंटवारा कर दिया है। इस तरह राज्य में कैबिनेट पूर्ण हो गई है। सिद्धारमैया ने वित्त विभाग अपने पास रखा है। उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार के पास प्रमुख व मध्यम सिंचाई और बेंगलुरु शहर का विकास का प्रभार है।
मगर, भाजपा सरकार में कर्नाटक के पूर्व उपमुख्यमंत्री लक्ष्मण सावदी को सिद्धारमैया कैबिनेट में नहीं शामिल किया गया है। लक्ष्मण सावदी कर्नाटक चुनाव में सबसे चर्चित नामों में से एक थे क्योंकि वो चुनाव से ठीक पहले बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए थे। माना जाता है कि सावदी ने कर्नाटक में कांग्रेस को 30-35 सीटों पर जीत सुनिश्चित करवाने में अहम भूमिका निभाई है।
मंत्री मंडल विस्तार के बाद छलका सावदी का दर्द
’मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के मंत्रिमंडल में उन्हें मिलाकर कुल 34 मंत्री हैं। इस बार कांग्रेस के अनुभवी नेताओं को चुना गया है। हम अभी-अभी पार्टी में आए हैं। राजनीति में धैर्य होना चाहिए। अगर ये दोनों चीजें हैं, तो कोई भी राजनीति कर सकता है। हालांकि मुझे उम्मीद थी। राजनीति में कोई साधु या संन्यासी नहीं होता। हर किसी की इच्छा मंत्री, डिप्टी सीएम या सीएम बनने की होती है।’
ये दर्द कर्नाटक के पूर्व डिप्टी सीएम लक्ष्मण सावदी का है, जो कर्नाटक में मंत्रियों की शपथ के बाद 29 मई को सामने आया। कर्नाटक सरकार में 34 ही मंत्री बनाए जा सकते हैं, यानी सिद्धारमैया की कैबिनेट में नए विधायकों के लिए जगह नहीं है। यही वजह है कि कई नेताओं में गुस्सा है।
इस बार टिकट कटने के बाद लक्ष्मण सावदी कांग्रेस जॉइन कर रहे थे, तब बीएस येदियुरप्पा समेत भाजपा के बड़़े नेताओं ने उन्हें रोकने की कोशिश की थी, लेकिन वे नहीं माने। तब भाजपा ने कहा लक्ष्मण सावदी के पार्टी छोड़ने का कोई असर नहीं होगा, पर नतीजे इस दावे के उलट रहे।
लिंगायतों का वोट कांग्रेस को मिला
कर्नाटक विभानसभा चुनाव से एन वक्त पहले लक्ष्मण सावदी का बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में जाना भगवा पार्टी को भारी नुकसान पहुंचा गया। सावदी लिंगायत समुदाय से आते हैं, जिससे लिंगायतों की एक बड़ी वोट संख्या कांग्रेस को मिली।
76 हजार से ज्यादा वोटों से जीते सावदी
लक्ष्मण सावदी के बाद, राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और इनके साथी लिंगायत नेता जगदीश शेट्टार भी बीजेपी से नाराज होकर कांग्रेस में शामिल हो गए थे. हालांकि शेट्टार अपनी सीट हार गए, लेकिन उनके पार्टी में शामिल होने से कांग्रेस को राज्य में लिंगायत वोटों को अपने पक्ष में करने में मदद मिली। लक्ष्मण सावदी ने अथानी विधानसभा सीट से 76 हजार से ज्यादा वोटों से जीत हासिल की है, इसके बावजूद उन्हें कर्नाटक में मंत्री पद नहीं दिया गया।
इस कारण आलाकमान ने नाम खारिज किया
दरअसल, माना जा रहा है कि लक्ष्मण सावदी का नाम सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के बीच दलबदलुओं को मंत्री बनाए जाने के कारण हटा दिया गया। हासन जिले के अरासिकेरे सीट से कांग्रेस के टिकट पर जीते पूर्व जेडीएस नेता के केएम शिवलिंगगौड़ा ने मांग की थी कि उन्हें भी मंत्री बनाया जाए, लेकिन कांग्रेस आलाकमान ने इसे खारिज कर दिया। इसे संतुलित करने के लिए कांग्रेस ने लक्षमण सावदी का नाम भी मंत्री हटा दिया। या यूं कहे कि शिवलिंगगौड़ा की आड़ में कांग्रेस ने दलबदलुओं को नकार दिया।
30-35 सीटों पर कांग्रेस की जीत में भूमिका
कांग्रेस के एक टॉप लिंगायत नेता ने कांग्रेस के इस कदम पर नाराजगी जताते हुए कहा कि सावदी और गौड़ा के बीच कोई तुलना नहीं है। “सावदी एक बहुत बड़े नेता हैं और उन्होंने लगभग सभी उप-जाति गनिगा वोट प्राप्त करके 30-35 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस की मदद की है। इसने राज्य के परिणाम बदल दिए हैं और हमने बड़ी जीत हासिल की है।“
दोनों में तुलना कहां है?
कांग्रेस नेता ने कहा, “गौड़ा ने सिर्फ अपनी सीट जीती है। कांग्रेस हासन जिले की कोई अन्य सीट नहीं जीत सकी। दोनों में तुलना कहां है? गौड़ा का सावदी से कोई मुकाबला नहीं है। हम दृढ़ता से महसूस करते हैं कि आगामी लोकसभा चुनाव और स्थानीय निकाय चुनावों को ध्यान में रखते हुए सावदी को शामिल किया जाना चाहिए था।
बता दें कि कर्नाटक की कुल 28 लोकसभा सीटों में से 14 सीटों पर लिंगायत वोट अहम भूमिका निभाते हैं। ऐसे में लक्ष्मण सावदी लिंगायत वोटों को कांग्रेस के साथ बनाए रखने में मदद कर सकते हैं।
ये तो उनकी बात हुई, जिन्हें पद नहीं मिला। कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक पुट्टारंगशेट्टी तो डिप्टी स्पीकर बनाए जाने से नाराज हो गए। उन्होंने पार्टी का ऑफर ये कहते हुए ठुकरा दिया कि मेरे समर्थक चाहते थे कि मुझे मंत्री बनाया जाए। पुट्टारंगशेट्टी चामराजनगर सीट से विधायक हैं। वे इस बार का चुनाव 80 हजार से ज्यादा वोटों से जीते हैं।
लोकसभा चुनाव के वक्त हो सकती है फूट
2018 में कर्नाटक में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला था। इसके बाद कांग्रेस ने श्रक्(ै) के साथ मिलकर सरकार बनाई थी। एक साल के भीतर सरकार गिर गई, क्योंकि कांग्रेस-श्रक्(ै) के 17 विधायक भाजपा में शामिल हो गए थे। राज्य में दोबारा भाजपा की सरकार बनी। इस बार कर्नाटक में कांग्रेस को बहुमत मिला है, लेकिन मंत्री पद न मिलने से कई बड़े नेता खुश नहीं हैं।
हालांकि कांग्रेस के एक सीनियर लीडर दावा करते हैं कि लक्ष्मण सावदी और जगदीश शेट्टार दोनों को ही जल्द पद दिए जाने वाले हैं। शेट्टार को डस्ब् बनाया जा सकता है। वहां पार्टी बहुमत में रहती है, तो उन्हें चेयरमैन भी बना सकते हैं। इसी तरह सावदी को भी बड़ा पद मिल सकता है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने दोनों नेताओं से बात भी की है। अब तक दोनों ने खुलकर बगावती तेवर नहीं दिखाए हैं।
कांग्रेस के 40 से ज्यादा विधायक मंत्री पद के दावेदार
सिर्फ जगदीश शेट्टार और लक्ष्मण सावदी ही नहीं, कांग्रेस में 40 से ज्यादा विधायक मंत्री पद के दावेदार हैं और मंत्री बनने के लिए लॉबिंग कर रहे थे। अशोक चंदारगी कहते हैं कि 60 से ज्यादा विधायक सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के साथ हाईकमान से मिलने दिल्ली गए थे, वे सभी मंत्री पद चाहते हैं। कई अपने समर्थकों के जरिए विरोध भी करवा चुके हैं। कुछ को उम्मीद है कि दो साल बाद उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा।
सावदी-शेट्टार के साथ कांग्रेस में लौटे लिंगायत वोट
1989 में कांग्रेस ने कर्नाटक में 178 सीटें जीती थीं। वोट शेयर 43.76 फीसदी था। इस जीत के सबसे बड़े नायक थे वीरेंद्र पाटिल। उस वक्त पाटिल कर्नाटक में लिंगायतों के सबसे बड़े लीडर थे। इस जीत में खास बात ये थी कि कांग्रेस के 178 विधायकों में 44 लिंगायत कम्युनिटी से थे।
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