करवा चौथ पर छलनी से क्यों करते है चांद और पति का दीदार? 

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December 23, 2025

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करवा चौथ पर छलनी से क्यों करते है चांद और पति का दीदार? 

मानसी शर्मा/-   करवा चौथ भारतीय संस्कृति का एक ऐसा पर्व है जो वैवाहिक जीवन की मजबूती, प्रेम और समर्पण का प्रतीक है। हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाने वाला यह त्योहार खासतौर पर उत्तर भारत में धूमधाम से उत्साहित किया जाता है। 2025में यह पर्व 10अक्टूबर, शुक्रवार को मनाया जाएगा। इस दिन सुहागिनें अपने पतियों के लंबे और सुखी जीवन की कामना के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। व्रत के समापन पर चंद्रमा को छलनी से देखने और फिर उसी छलनी से पति का चेहरा निहारने की परंपरा सदियों पुरानी है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि चंद्रमा और पति को छलनी से देखने के पीछे का क्या कारण है। अगर नहीं, तो आइए चलिए जानते है इस रस्म के पीछे का क्या महत्व है?
करवा चौथ का महत्व

करवा चौथ का अर्थ है ‘करवा’ (मिट्टी का छोटा घड़ा) और ‘चौथ’ (चतुर्थी तिथि)। यह पर्व पत्नी के पति के प्रति अटूट विश्वास और त्याग का प्रतीक है। मान्यता है कि इस व्रत से पति को दीर्घायु, स्वास्थ्य और समृद्धि प्राप्त होती है। आधुनिक समय में कई पति भी अपनी पत्नियों के साथ व्रत रखते हैं, जो समानता और पारस्परिक प्रेम को दर्शाता है। यह त्योहार न केवल धार्मिक है, बल्कि सामाजिक भी। महिलाएं एक साथ बैठकर मेहंदी लगाती हैं, उपहारों का आदान-प्रदान करती हैं।

छलनी से पति का चेहरा देखने की परंपरा

करवा चौथ पर चंद्रमा और पति का चेहरा छलनी (चलनी) से क्यों देखा जाता है? यह रस्म व्रत के समापन का सबसे रोमांचक हिस्सा है। चंद्रोदय के बाद महिलाएं पहले छलनी से चंद्रमा को निहारती हैं, फिर उसी छलनी को पति के चेहरे पर लगाकर उन्हें देखती हैं। इसके बाद पति पानी का पहला घूंट और भोजन का कौर पत्नी को खिलाते हैं।

1. शुद्धिकरण का प्रतीक

छलनी एक फिल्टर की तरह काम करती है। चंद्रमा को इससे देखकर महिलाएं जीवन की नकारात्मक ऊर्जाओं, बाधाओं और तनावों को ‘छान’ लेती हैं। फिर वही शुद्ध, सकारात्मक ऊर्जा पति के चेहरे पर लगाकर उन्हें समर्पित कर देती हैं। यह वैवाहिक जीवन में शुद्धता और सकारात्मकता लाने का प्रतीक है। मान्यता है कि इससे दांपत्य जीवन में आने वाली परेशानियां दूर हो जाती हैं।

2. चंद्र देव की पूजा और ऊर्जा हस्तांतरण

करवा चौथ चंद्र देव (चंद्रमा) को समर्पित है, जो शीतलता, शांति और दीर्घायु के कारक हैं। छलनी चंद्रमा की दृष्टि को केंद्रित करती है, जैसे एक प्राकृतिक लेंस। पहले चंद्रमा को देखकर महिलाएं दिव्य आशीर्वाद ग्रहण करती हैं, फिर उसी छलनी से पति को देखकर वह आशीर्वाद उन्हें हस्तांतरित करती हैं। यह प्रक्रिया पति को चंद्रमा की तरह शीतल, मजबूत और लंबी उम्र प्रदान करने का माध्यम है।

3. आध्यात्मिक बाधा और पवित्रता का आवरण

कुछ परंपराओं में छलनी को हल्का पर्दा माना जाता है। चंद्र पूजा के दौरान प्रत्यक्ष दृष्टि से बचने के लिए यह उपयोगी है। साथ ही, यह महिलाओं के मन को एकाग्रचित रखती है, जो प्रेम, सम्मान और समर्पण पर केंद्रित होता है। पुरानी कथाओं में यह रस्म जीवन की अस्थिरताओं को संतुलित करने का उपकरण बताई गई है।

4. एकाग्रता और फोकस का संदेश

 छलनी से देखने से दृष्टि सीमित हो जाती है, जो जीवन में महत्वपूर्ण चीजों पर फोकस करने की सीख देती है। व्यर्थ की चिंताओं को छोड़कर केवल प्रेम और साथ पर ध्यान केंद्रित करना – यही इसकी आध्यात्मिक गहराई है।

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