नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/प्रयागराज/शिव कुमार यादव/- 17 साल पुराने उमेश पाल अपहरण केस में अतीक अहमद समेत 3 को एमपी-एमएलए कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है जबकि इसी मामले में अतीक के भाई अशरफ समेत 7 आरोपियों को बरी कर दिया है। इस केस में 11 लोग आरोपी थे, इसमें एक की मौत हो चुकी है। अतीक गैंग के खिलाफ पुलिस रिकॉर्ड में 101 मुकदमे दर्ज हैं। पहली बार किसी मामले में गैंगस्टर को दोषी ठहराया गया और सजा हुई है।
इस मामले में अतीक के अलावा खान सौलत और दिनेश पासी को भी उम्रकैद की सजा हुई है। वहीं अशरफ उर्फ खालिद अजीम, फरहान, जावेद उर्फ बज्जू, आबिद, इसरार, आशिक उर्फ मल्ली, एजाज अख्तर को कोर्ट ने बरी कर दिया है।
बता दें कि अतीक अहमद का 20 साल से ज्यादा वक्त तक प्रयागराज समेत आसपास के 8 जिलों में वर्चस्व रहा है। यूपी पुलिस के डोजियर के अनुसार, अतीक के गैंग आईएस- 227 के खिलाफ 101 मुकदमे दर्ज हैं। अभी कोर्ट में 50 मामले चल रहे हैं। इनमें एनएसए गैंगस्टर और गुंडा एक्ट के मुकदमे भी हैं। अतीक पर पहला मुकदमा 1979 में दर्ज हुआ था।
वकीलों ने फांसी दो फांसी के नारे लगाए
जब कोर्ट में अतीक को ले जाया गया, परिसर में वकीलों ने फांसी दो फांसी के नारे लगाए। इससे पहले नैनी सेंट्रल जेल से अतीक को बंद वैन में कोर्ट लाया गया था। इसमें सीसीटीवी कैमरे और पर्दे लगे थे। कोर्ट तक 10 किमी की दूरी 28 मिनट में तय हुई। हालांकि कोर्ट के बाहर कुछ लोग जूतों की माला लेकर पहुंचे थे। इनका कहना था कि अतीक ने बहुत लोगों को तंग किया है। अब हम उसे जूतों की माला पहनाना चाहते हैं।
अतीक को सोमवार शाम को अहमदाबाद की साबरमती जेल से और उसके भाई अशरफ को बरेली जेल से प्रयागराज लाया गया था। दोनों को नैनी सेंट्रल जेल में हाई सिक्योरिटी बैरक में रखा गया था।
फैसले से पहले अतीक को सुप्रीम कोर्ट से झटका, सुरक्षा की मांग की थी
इस बीच, उमेश पाल मर्डर केस में सुप्रीम कोर्ट ने अतीक अहमद की सुरक्षा देने की अपील खारिज कर दी है। अतीक ने याचिका में कहा था कि जब तक वो उत्तर प्रदेश पुलिस की कस्टडी में है, उसे सुरक्षा दी जाए। अतीक ने कहा था कि वह यूपी की जेल में शिफ्ट नहीं होना चाहता। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने अतीक के वकील से कहा कि अपनी शिकायत लेकर हाईकोर्ट जाइए।
सजा के बाद अतीक के वकील दया शंकर मिश्रा ने कहा कि फैसले के बाद आगे की रणनीति तय होगी। हमें हाईकोर्ट में अपील करने का अधिकार है।
उमेश पाल का परिवार कोर्ट नहीं आया। सुरक्षा के मद्देनजर पत्नी जया पाल और मां के अलावा भाई, रिश्तेदार कोर्ट में मौजूद नहीं हैं। परिवार को डर सता रहा।
गौरतलब है कि अतीक अहमद और उमेश पाल के बीच दुश्मनी 18 साल पुरानी है। शुरुआत 25 जनवरी, 2005 में बसपा विधायक राजू पाल के मर्डर के साथ हुई थी। उमेश, राजू पाल मर्डर केस का चश्मदीद गवाह था। अतीक अहमद ने उमेश को कई बार फोन कर बयान न देने और केस से हटने को कहा था। ऐसा न करने पर जान से मारने की धमकी दी। उमेश पाल नहीं माना तो 28 फरवरी, 2006 को उसका अपहरण करा लिया। उसे रात भर मारा गया। बिजली के शॉक दिए गए। मनमाफिक गवाही देने के लिए टार्चर किया गया। इस मामले में 17 मार्च को कोर्ट में बहस हो चुकी है।
1 मार्च, 2006 को उमेश पाल ने अतीक के पक्ष में गवाही दी। उस समय सपा की सरकार थी। उमेश अपनी और परिवार की जान की रक्षा के लिए सालभर चुप रहा। 2007 में विधानसभा चुनाव हुए और सपा को करारी हार का सामना करना पड़ा। मायावती की नेतृत्व वाली बसपा की पूर्ण बहुमत से सरकार बनी। राजू पाल की हत्या के चलते अतीक के खिलाफ मायावती ने कार्रवाई की। चकिया स्थित उसका दफ्तर तुड़वा दिया। उमेश पाल को लखनऊ बुलवाया और हिम्मत दी। उमेश पाल ने एक साल बाद 5 जुलाई, 2007 में अतीक अहमद उसके भाई अशरफ समेत 10 के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई।
17 साल से केस की पैरवी कर रहे थे उमेश
उमेश पाल की तहरीर पर धूमनगंज थाने में धारा 147/148/149/364।/323/341/342/504/506/34/120 ठ ंदक 7 ब्तपउपदंस सूं ।उमदकउमदज ।बज के तहत अपहरण का मामला दर्ज हुआ था। इस केस की 17 साल से उमेश पाल बिना डरे पैरवी कर रहे थे। उमेश पाल ने ठान लिया था अतीक अहमद और अशरफ ने जिस तरह उसको मारा-पीटा और उसके साथ गलत व्यवहार किया था। उसका बदला सजा दिलवाकर लेगा।
अपहरण के केस में धारा 364।, इसमें फांसी की सजा तक का प्रावधान
इलाहाबाद हाईकोर्ट के एडवोकेट शाश्वत आनंद ने बताया कि अपहरण करने वालों पर ही हत्या का भी आरोप लग गया है। ऐसे में धारा 364। में फांसी की सजा का प्रावधान भी है। चूंकि वादी उमेश पाल की हत्या भी हो चुकी है और हत्या का आरोप भी अपहरण कराने वालों पर ही है। ऐसे में अपराध और गंभीर हो जाता है। उन्होंने बताया, अगर अतीक अहमद उसके भाई अशरफ पर दोष सिद्ध होता है, तो 10 साल की कैद से लेकर फांसी तक की सजा का प्रावधान है। इस केस में जीवित रहते उमेश पाल ने अपनी गवाही पूरी कर ली थी।
फैसले से 31 दिन पहले उमेश पाल की हो गई हत्या
यही कारण है कि उमेश पाल हर तारीख पर खुद मुकदमे की पैरवी के लिए जाता था। कई बार उसे धमकी भी दी गई। केस वापस लेने को कहा गया पर उमेश ने बिना डरे पैरवी नहीं छोड़ी। उससे ठीक 31 दिन पहले 24 फरवरी को उमेश पाल की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई। इस हत्याकांड का आरोप भी अतीक, अशरफ समेत उसके पूरे कुनबे पर लगा है। हत्या वाले दिन उमेश पाल अपहरण केस की सुनवाई के बाद घर लौट रहे थे।
फैसला आने के बाद पूछताछ के लिए रिमांड पर ले सकती है एसटीएफ
उमेश पाल अपहरण केस में मंगलवार को एमपी-एमएलए कोर्ट द्वारा फैसला सुनाए जाने के बाद एसटीएफ अतीक और अशरफ को उमेश पाल मर्डर केस में 14 दिन की कस्टडी रिमांड पर ले सकती है। इसके बाद दोनों आरोपियों से गहन पूछताछ की तैयारी है। इस प्रक्रिया में कुछ दिन लग सकता है। इसके बाद राजू पाल हत्याकांड पर फैसला आने की उम्मीद है।
सीबीआई की स्पेशल कोर्ट में यह मामला चल रहा था। सभी गवाहियां पूरी हो चुकी हैं। फैसला आना बाकी है। उधर, उमेश पाल हत्याकांड के बाद राज्य सरकार अतीक के खिलाफ दर्ज मुकदमों की पैरवी तेजी से कर रही है। एडीजी अभियोजन आशुतोष पांडेय खुद हर मुकदमे की मॉनिटरिंग कर रहे हैं। ऐसे हालात में अतीक की गुजरात वापसी की राह आसान नहीं दिख रही है।
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