आर्थिक संकट में अब पाकिस्तान में जीवन रक्षक दवाओं की हुई कमी

स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

शिव कुमार यादव

वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

संपादक

भावना शर्मा

पत्रकार एवं समाजसेवी

प्रबन्धक

Birendra Kumar

बिरेन्द्र कुमार

सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

Categories

April 2024
M T W T F S S
1234567
891011121314
15161718192021
22232425262728
2930  
April 19, 2024

हर ख़बर पर हमारी पकड़

आर्थिक संकट में अब पाकिस्तान में जीवन रक्षक दवाओं की हुई कमी

-कमजोर मुद्रा और विवादास्पद मूल्य निर्धारण नीति बनीं वजह, लोग परेशान

नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/कराची/शिव कुमार यादव/- तेजी से घटते विदेशी भंडार व भारी मात्रा में बढ़ती विदेशी ऋण की देनदारी के चलते भारी आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान में अब जीवन रक्षक दवाओं की भी कमी हो गई है। पाकिस्तान की दवा नियामक प्राधिकरण की विवादास्पद मूल्य निर्धारण नीति और गिरते मूल्य वाली स्थानीय मुद्रा ने कर्ज के बोझ के तले दबे देश में आयातित और जीवन रक्षक दवाओं की भारी कमी को जन्म दिया है। मीडिया रिपोर्टों में सोमवार को यह बात सामने आई।
                  पाकिस्तान वर्तमान में एक बड़े आर्थिक संकट से जूझ रहा है और भारी मात्रा में विदेशी ऋण एवं घटते विदेशी मुद्रा भंडार से जूझ रहा है। पिछले साल जून में विनाशकारी बाढ़ ने देश के एक तिहाई हिस्से को डुबो दिया था। इस वजह से 3.3 करोड़ से अधिक लोग विस्थापित हुए और पाकिस्तान की लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था को 12.5 अरब अमेरिकी डॉलर का आर्थिक नुकसान हुआ।
                  मीडिया रिपोर्ट में फार्मासिस्ट और जैविक उत्पादों के आयातक अब्दुल मन्नान के हवाले से कहा गया है कि डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी मुद्रा में अत्यधिक गिरावट और पाकिस्तान के ड्रग नियामक प्राधिकरण (डीआरएपी) की विवादास्पद दवा मूल्य निर्धारण नीति के कारण जीवन रक्षक दवाओं की कीमतें कई गुना बढ़ गई हैं और आयातकों के लिए उन दवाओं को डीआरएपी द्वारा दी गई मौजूदा कीमतों पर लाना आर्थिक रूप से अव्यवहारिक हो गया है।
                   मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, डॉलर और पाकिस्तानी रुपये के बीच बड़े अंतर के कारण विक्रेताओं द्वारा अपनी आपूर्ति बंद करने के बाद सार्वजनिक और निजी स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए आयातित टीकों, कैंसर उपचारों, प्रजनन दवाओं और एनेस्थीसिया गैसों की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है।
                   जिओ टीवी की रिपोर्ट में कहा गया है, हालांकि अधिकांश दवाएं जिनमें सिरप, टैबलेट और इंजेक्शन शामिल हैं, का उत्पादन स्थानीय स्तर पर किया जाता है। पाकिस्तान भारत, चीन, रूस, यूरोपीय देशों के साथ-साथ अमेरिका और तुर्किये से अधिकांश जैविक उत्पादों जैसे टीके, कैंसर रोधी दवाओं और उपचारों का आयात करता है।
                    रिपोर्ट में अब्दुल मन्नान के हवाले से कहा गया है कि समस्या तब से गंभीर हो गई है जब से डीआरएपी ने ड्रग प्राइसिंग पॉलिसी 2018 के तहत कठिनाई श्रेणी के तहत आवेदन करने के लिए तीन साल का प्रतिबंध लगा दिया है। इसका अर्थ है कि यदि कोई दवा बढ़ी हुई आयात कीमत के कारण कठिनाई की श्रेणी में आती है, तो आयातक मूल्य समायोजन के लिए तीन साल में केवल एक बार आवेदन कर सकता है।
                  मीडिया रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि दवा आयातकों के प्रतिनिधि निकाय पाकिस्तान केमिस्ट्स एंड ड्रगिस्ट्स एसोसिएशन ने डीआरएपी अधिकारियों से संशोधित 2018 मूल्य निर्धारण नीति के अनुसार कठिनाई के मामलों पर तीन साल की सीमा की समीक्षा करने का आग्रह किया है।

About Post Author

Subscribe to get news in your inbox